समाज को जेंडर फ्रेम-बॉक्स से बाहर निकलना होगाः रेणुका मिश्रा

 महिलाओं को बराबरी के अधिकार का नहीं बल्कि एक ऐसे वातावरण की आवश्यकता है जिसमें वह अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रगति कर सकेंः रेणुका मिश्रा

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के आशा क्लब द्वारा आयोजित अंर्तराष्ट्रिªय महिला दिवस के अवसर पर महिला सशक्तीकरण एवं जेंडर  सेंसीटाइजेशन के व्याख्यान कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश की डीजी एसआईटी आईपीएस रेणुका मिश्रा ने कहा कि सेक्स जीवविज्ञान का मामला है, जबकि जेंडर समाज के द्वारा बनाई गई मानसिकता है। जन्म के बाद से ही परिवार के अंदर महिला और पुरूष के बीच अंतर करने और दोनों को एक तय परिपाटी के अनुरूप ढ़ालना ही जेंडर असमानता को जन्म देता है। प्रकिृति ने यह नियम नहीं बनाए कि महिला को इस प्रकार रहना है और पुरूष को वैसे। महिलाओं को बराबरी के अधिकार का नहीं बल्कि एक ऐसे वातावरण की आवश्यकता है जिसमें वह अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रगति कर सके।

कार्यक्रम में संस्मरण साझा करते हुए रेणुका मिश्रा ने कहा कि जब जौनपुर में बतौर एसपी पहली पोस्टिंग पर गईं तो सैकड़ों लोग प्रतिदिन मुझे देखने आते थे। महिलाओं का पुलिस में आना अजूबा जैसा था। उन्होनें कहा कि महिला सशक्तीकरण की शुरूआत घर से ही होनी चाहिए। यदि हम अपनी बेटी को अनचाहे काम के लिऐ साफ तौर पर नहीं कहने को तैयार करते हैं तो दूसरी तरफ बेटों के अंदर उस नहीं को सम्मानपूर्वक स्वीकार करना भी सिखाना होगा। उन्होने कहा कि महिलाओं को जेंडर की पुरानी स्थापित मान्यताओं के फ्रेम बाक्स से बाहर निकल कर अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर बात करते हुए रेणुका मिश्रा ने कहा कि अगर आप किसी महिला के साथ कुछ भी गलत होते हुए देखते है और चुप रहते हैं तो आप अपराध में सहभागी होगें इसलिए महिला अपराध के खिलाफ समाज को चुप्पी तोडनी होगी तभी ऐसी वारदातें रूक सकती हैं।

कार्यक्रम में प्रति कुलपति एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर डॉ सुनील धनेष्वर ने रेणुका मिश्रा को स्मृति चिंह देकर सम्मानित किया और कहा कि महिला दिवस केवल एक दिन न होकर साल के 365 दिन मनाया जाना चाहिए। हम सभी महिलाओं का हर रूप में और जीवन के हर क्षेत्र में सममान करेंगे तभी इस दिन का मनाना सार्थक होगा।

डीन रिसर्च प्रो. कमर रहमान ने कहा कि महिलाएं पुरूषों की बराबर नहीं उनसे सुपीरियर हैं, वो रचनात्मक होती हैं। हमें महिलाओं को शिक्षित करने पर जोर देना चाहिए क्यूंकि एक शिक्षित महिला पूरे पीढ़ी को शिक्षित बना देती है। हमें महिलाओं को तरक्की करने के लिए समुचित वातावरण देने की आवश्यकता है। इस अवसर पर एमिटी विवि लखनऊ परिसर की, डीन रिसर्च प्रो. कमर रहमान, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. मंजू अग्रवाल, डॉ प्राची श्रीवास्तव सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहें। 

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