‘समाजिक समरसता में अधिवक्ताओ की भूमिका’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन
दलितों के उत्थान के लिए आरक्षण लागू करने की वकालत की थी डॉ अम्बेडकर ने लखनऊ। अधिवक्ता परिषद उच्च न्यायालय इकाई ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय लखनऊ में ‘समाजिक समरसता में अधिवक्ताओ की भूमिका’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें केन्द्र सरकार के डिप्टी सालीसिटर जनरल सूर्यभान पान्डे ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर दलितों के उत्थान के लिए दलितों और धार्मिक समुदायों के लिए आरक्षण लागू करने की वकालत की थी। श्री पान्डे ने कहा कि वर्ष 1923 में उन्होंने दलितों के बीच शिक्षा और सांस्कृति का प्रसार करने, उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने और समाधान खोजने के लिए उनकी समस्याओं को प्रमुख मंचो पर उठाया था। बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर का मानना था कि संविधान के विभिन्न प्रावधानों में से अनुच्छेद 32 सबसे महत्वपूर्ण है। संविधान सभा की बहस में उन्होंने इसे संविधान की हृदय और आत्मा कहा, जिसके बिना संविधान अर्थ हीन होगा। अनुच्छेद 32 संविधान के भाग तीन मे निहित मौलिक अधिकारों के कार्यान्वयन की गारंटी देता है जिसमें समानता, जीवन और भेदभाव से मुक्ति का अधिकार शामिल हैं। इस अवसर पर अधिवक्ता परिषद अव