न्याय संविधान के मूल सिद्धांतों में से एक



लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय लखनऊ के प्रो बोनो क्लब द्वारा सामाजिक सशक्तिकरण निःशुल्क विधिक सहायता के प्रभावी वितरण के लिए नीतियाँ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सरोजिनी नगर लखनऊ से विधायक डॉ राजेश्वर सिंह रहे, वही अन्य वक्ता प्रो दीपक कुमार चौहान, लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अमृत खरे, अधिवक्ता मोहम्मद हैदर रिज़वी, अधिवक्ता शैलेन्द्र शर्मा अटल रहे। प्रो बोनो क्लब के अध्यक्ष प्रो मनीष सिंह ने सभी का कार्यक्रम में स्वागत किया। 

प्रो बोनो क्लब वंचितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक औपचारिक संस्था की कमी को पूरा करता हैं। उन्होंने ने प्रो बोनो क्लब के कार्य के बारे में बताते हुए कहा कि लोगो मे कानूनी संबधी जागरूकता लाने के लिए क्लब समय समय पर विभिन्न कार्यशालाएं एवं अन्य आयोजन करता है। इसके साथ ही निःशुल्क विधिक सहायता भी उपलब्ध कराता हैं।

डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय के कुलपति डॉ अमरपाल सिंह ने निःशुल्क विधिक सहायता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हमारे लोकतंत्र के मूलभूत उद्देश्यों में न्याय को जनसाधारण तक पहुंचाने का बहुत महत्व है। डॉ अंबेडकर के अनुसार न्याय संविधान के मूल सिद्धांतों में से एक है। संविधान के अनुच्छेद 39ए में निशुल्क विधिक सहायता जैसे सिद्धांतों का वर्णन है। विश्वविद्यालय के प्रो बोनो क्लब का उद्घाटन भारत सरकार के न्याय विभाग की न्याय बंधु प्रो बोनो स्कीम के अंतर्गत हुआ था। उन्होंने कहा कि लॉ के छात्रों को यह समझने की आवश्यकता है कि उनके करियर के लक्ष्यों में से एक है कि वह यह सुनिश्चित करें कि न्याय की पहुंच देश के उन लोगों तक पहुंच पाए जो अभी इन सारे अधिकारों की जागरूकता ना होने के कारण वंचित है। उन्होंने अपने अनुभव से बताया कि विश्विद्यालय के ही एक सफाई कर्मचारी से बात करके पता चला कि उसको अपने अधिकारों की एवं कानून की जानकारी न होने के कारण मुआवजा मिलने में कितनी समस्या उठानी पड़ी। उन्होंने कहा कि हमारे आसपास ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अपने मूल अधिकारों के बारे में भी जानकारी नहीं हैं। प्रो बोनो उन्हीं सब के लिए एक सार्थक प्रयास हैं जिससे उनको अपने अधिकारों के साथ कानूनी सहायता भी मिलेगी और विधि विश्विद्यालय इसके लिए अपना पूरा प्रयास करेगा। उन्होंने बताया कि भारत को एक विकसित राष्ट्र तब तक नहीं कह सकते जब तक हम उसे नैतिक रूप से समाजिक सशक्तिकरण के माध्यम से सिद्ध न कर दे। अंत में उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की काव्य गीतांजलि की एक पंक्ति सुनाते हुए छात्रों का प्रोत्साहित किया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक डॉ राजेश्वर सिंह ने विश्वविद्यालय के प्रो बोनो क्लब की सराहना करते हुए कहा कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण आत्म संतुष्टि का भाव है। देश के गरीब एवं वंचित वर्ग की सेवा करके जो संतुष्टि मिलती है उसको शब्दों में शायद ही व्यक्त किया जा सके। 

उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष छात्र लॉ विषय से लगभग 2 लाख छात्र ग्रेजुएट होते हैं और भारत विधि की शिक्षा में विश्व मे दूसरे स्थान पर हैं परंतु फिर भी लग भग 10 लाख लोगो को ही नि:शुल्क विधिक सहायता मिल पाती है जो कि एक चिंताजनक विषय है। उन्होंने बताया कि अन्य देशों में जैसी कि साउथ कोरिया में अधिवक्ताओं को 30 घंटे की अनिवार्य प्रो- बोनो सेवा देने प्रावधान हैं वही अमेरिका में इस पर 15 घंटे तक प्रो बोनो सेवा देने का चिंतन चल रहा हैं ठीक उसी तरह अब भारत मे भी इसकी जरूरत मालूम पड़ती हैं।

उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में विधिक सहायता एवं जागरूकता को कक्षा 10 एवं 12 में एक अनिवार्य विषय बनाने के लिए पीआईएल दाखिल की गई हैं। लोगों को पता होना चाहिए की यदि उन्हें विधिक सहायता चाहिए तो कैसे और कहां से प्राप्त होगी। वही उन्होंने यह भी बताया कि सामाजिक न्याय के लिए सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। भारत में अभी लीगल लिटरेसी काफी कम है, लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। 
उन्होंने यह भी कहा कि प्रो बोनो के लिए विधि विश्विद्यालय को वह सारे संसाधनों उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं, उन्होंने अपने क्षेत्र में कई डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया है जिससे लोगों में जागरूकता बढ़ सके। अंत में उन्होंने प्रो बोनो क्लब को नई ऊंचाइयों पर जाने के लिए शुभकामनाएं दीं और अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया।

कार्यशाला में दो टेक्निकल सेशन हुए जिसमे आए हुए वक्ताओं ने प्रो बोनो क्लब के ज़रिए विधि के छात्र कैसे जरूरत मंद लोगो तक विधिक सहायता पहुँचा सकते हैं इसके बारे में बताया।

कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो मनीष सिंह, प्रो बोनो क्लब और कार्यशाला के संयोजक डॉ विकास भाटी, डॉ अमनदीप सिंह, ऋषि शुक्ला,हबीबबुल रहमान, शिवम शुक्ला, सत्यम शिवम अन्य छात्र छात्राए मौजूद रहे।

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