केदारनाथ मंदिर का नर-नारायण और पांडवों से जुड़ा है इतिहास
पांचवां ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर का आदिगुरु शंकराचार्य ने कराया था जिर्णाेद्धार उत्तराखण्ड में केदारनाथ के नाम से प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का पांचवां ज्योतिर्लिंग है। हिमालय क्षेत्र में स्थित केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के चारधामों में भी शामिल है जिसका इतिहास भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण, पांडव और आदिगुरु शंकराचार्य से जुड़ा है। शीत ऋतु में बर्फ गिरने के कारण मंदिर का कपाट 6 महीने बंद रहता है और ग्रीष्म ऋतु के समय भक्तों के लिए खोला जाता है। नर-नारायण के तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे शिव जी केदरनाथ धाम से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। शिवपुराण की कोटीरुद्र संहिता में लिखा है कि पुराने समय में बदरीवन में विष्णु भगवान के अवतार नर नारायण पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का रोज पूजन करते थे। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए। शिव जी ने नर-नारायण से वरदान मांगने के लिए कहा। तब नर-नारायण ने वरदान मांगा कि शिव जी हमेशा यहीं रहें, ताकि अन्य भक्तों को भी शिव जी के दर्शन आसानी से हो सके। ये बात सुनकर शिव जी ने कहा कि अब से वे यहीं रहेंगे और ये क्षेत्र केदार