विश्व कल्याण के लिए सनातन की तरफ लौटना ही पड़ेगा : अपरिमेय श्यामदास

  • वैज्ञानिक मान्यताओं पर आधारित भारतीय नववर्ष संकल्प के तौर पर आज के परिवेश में प्रदर्शित हो रहा 
  • भारतीय नव वर्ष के स्वागत उत्सव का कार्यक्रम नववर्ष चेतना समिति ने खाटू श्याम जी मंदिर पर आयोजित
  • भारतीय नववर्ष को 15 वर्ष से मना रही नववर्ष चेतना समिति


लखनऊ। विश्व कल्याण के लिए प्राणिमात्र को सनातन की तरफ लौटना ही पड़ेगा और इसके लिए पौराणिक और वैज्ञानिक मान्यताओं पर आधारित पिंगल नवसंवत्सर निश्चित ही एक संकल्प के तौर पर आज के परिवेश में प्रदर्शित हो रहा है। चूँकि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के 84वें वंशज सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा ही विक्रम संवत का प्रतिपादन किया गया है। नववर्ष चेतना समिति द्वारा आयोजित सांस्कृतिक आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में इस्कॉन लखनऊ के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास ने मंगलवार को यह बातें कही।

गोमती नदी तट पर खाटूश्यामजी मंदिर प्रांगण में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने भारत माता और सम्राट विक्रमादित्य के चित्र पर पुष्पार्चन और दीप प्रज्वलन कर किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भारतीय नववर्ष पर हम भारतीय अपने सभी धार्मिक और शुभ कार्य विक्रम संवतानुसार ही करते हैं, परन्तु नए वर्ष के रूप में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए परतंत्रता की मानसिकता के चिन्ह, आंग्ल नववर्ष को मनाने में पीछे नहीं हटते, इससे बचना चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्र ने सम्बोधित करते हुए कहा कि विक्रम संवत को भी जन-जन तक पहुँचाने और मनाने का काम नव वर्ष चेतना समिति विगत 15 वर्षों से कर रही है। समिति को चाहिए कि यह कार्यक्रम अन्य राज्यों और जनपदों में भी शुरू कराए।

पिंगल नव संवत्सर 2081 विक्रम संवत, भारतीय नव वर्ष के स्वागत अभिनंदन में नव वर्ष चेतना समिति ने खाटू श्याम मंदिर प्रांगण में समिति की मुख्य संरक्षिका रेखा त्रिपाठी की अध्यक्षता में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ एवं वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय डॉ एलपी मिश्रा उपस्थित रहे। सर्वप्रथम समिति के सचिव डॉक्टर सुनील अग्रवाल के आवाहन पर समिति के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ता ने समिति के कार्य व्यवहार का परिचय दिया। कार्यक्रम में नववर्ष चेतना समिति द्वारा वार्षिक पत्रिका नव चैतन्य का भी विमोचन किया गया जिसकी संपादक डॉक्टर निवेदिता रस्तोगी एवं डॉक्टर संगीता शुक्ला ने बताया कि इस बार यह पत्रिका हम सबके आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम को समर्पित है। पत्रिका में तमाम मनीषियों द्वारा लिखे गए लेख प्रकाशित हैं, साथ ही पत्रिका में डिजाइनिंग का कार्यभार इंजीनियर हेमंत कुमार द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में वक्ता के रूप में पधारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह डॉ वीरेंद्र जायसवाल ने नववर्ष चेतना समिति की प्रयासों की सराहना करते हुए कहा हम सभी भारतवासियों का नैतिक कर्तव्य है की अपनी सभ्यता और संस्कृति की प्रामाणिकता को जीवंत बनाए रखने के लिए इस तरह के तमाम और प्रयास समाज के बीच में लाएं। हमारा भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत पूरी तरह से वैज्ञानिक और प्रमाणिक है, अतः भविष्य में इसको पूरे भारतवर्ष में तथा प्रशासन में भी लागू करने का प्रयास समिति द्वारा किया जाना चाहिए, समिति के विशिष्ट अतिथि डॉ. एलपी मिश्रा जी ने बताया कि वह विगत काफी वर्षों से नववर्ष चेतना समिति से जुड़कर इस पुण्य काम के भागी बने रहे हैं।

कार्यक्रम में गीता परिवार द्वारा एकल गीत प्रस्तुत करने के साथ-साथ राघवेंद्र सिंह का भी एकल गीत तथा प्रभु श्रीराम को समर्पित प्रस्तुति दर्शनीय रही। कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एसपी सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक कौशल, विभाग प्रचारक अनिल एवं लखनऊ दक्षिण जिले के प्रचारक अजीत की विशिष्ट उपस्थिति रही।

अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद डॉ हरेंद्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा समस्त अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम में ओम प्रकाश पांडेय, अजय सक्सेना, बाल संरक्षण आयोग के सदस्य श्यामजी त्रिपाठी, डॉ. पुनीता अवस्थी, डॉ रंजना द्विवेदी, एडवोकेट राकेश यादव, अरुण मिश्र, एडवोकेट दयाशंकर पांडेय, एसके त्रिपाठी, कमलेंद्र मोहन, दीपक अग्रवाल, मीडिया प्रभारी आनंद पाण्डेय, भारत सिंह, राधेश्याम सचदेवा, डॉ राजीव गुप्ता, तेज नारायण पांडेय, मुदित सिंघल समेत सैकड़ों नागरिक उपस्थित रहे।

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