शैक्षणिक संस्थान रक्तदान-प्लेटलेट दान जैसे मानव जीवन उपयोगी मुहिम से जुड़ेंः आनंदीबेन पटेल

 ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने की अध्यक्षता 

छात्र अपने जीवन में सफलता के साथ राष्ट्र एवं समाज उपयोगी आयाम स्थापित करेंः प्रो आलोक कुमार राय                              

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के छठें दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने  उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी और कहा कि जो विद्यार्थी पदक प्राप्त करने से रह गए हैं वे अपनी क्षमताओं को कम न आंके क्योंकि कुछ नंबरों से आगे-पीछे हो जाना आपके आगामी जीवन में प्रभावी नहीं होगा। उन्होंने कहा भविष्य में जीवन की सफलता आप द्वारा प्राप्त किए गए ज्ञान और जीवन लक्ष्यों को लगन के साथ पूरा करने से प्राप्त होगी। दीक्षांत समारोह में पद्मश्री मालिनी अवस्थी बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रही।

दीक्षांत समारोह में कुल 734 विद्यार्थियों को स्नातक एवं परास्नातक की उपाधियां प्रदान की गई। प्रदान किए गए कुल 93 पदकों में स्नातक पाठ्यक्रमों में 25 स्वर्ण, 16 रजत एवं 16 कांस्य तथा परास्नातक पाठ्यक्रमों में 14 स्वर्ण 11 रजत एवं 11 कांस्य शामिल है। इन पदकों के अतिरिक्त उर्दू विभाग के बीए ऑनर्स पाठ्यक्रम के प्रथम स्थान प्राप्त करता सैयद मोइनुद्दीन को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पदक प्रदान किया गया, शिक्षा शास्त्र विभाग के बीएड पाठ्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करता विवेक कुमार सिंह को कुलाधिपति पदक दिया गया तथा इसी इसी पाठ्यक्रम की छात्रा शिवानी सिंह को कुलपति पदक प्रदान किया गया।

विश्वविद्यालय की विशेषता का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस संस्थान का नाम देश के महान सूफी-संत ख्वाजा मुुईनुद्दीन चिश्ती से जुड़ा है, जिन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि देश के ऐसे सूफी-संत को नमन करती हूँ, जिन्होंने प्रेम और सौहार्द का पैगाम दिया। उन्होंने भाषा विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी एवं फ्रेन्च भाषाओं को एलिमेन्ट्री विषय के रूप में पढ़ाये जाने कि पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की। भाषायी ज्ञान को रोजगार से जोड़ने पर चर्चा करते हुए उन्होंने अपने सम्बोधन में अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के साथ-साथ भारतीय भाषाओं विशेषकर क्षेत्रीय बोलियों एवं भाषाओं पर आधारित अधिक से अधिक पाठ्यक्रम चलाने पर बल दिया। उन्होंने कहा इन पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने की दिशा में भी विश्वविद्यालय को सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न प्रकोष्ठों के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त की।

इसी क्रम में पुराने छात्रों के योगदान पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कानपुर आईआईटी के पुराने छात्रों द्वारा अपने संस्थान के संसाधनों की बढ़ोत्तरी के लिए दिए गए योगदानों को अनुकरणीय बताया और कहा ये हमारे सभी युवाओं के लिये प्रेरक है। उन्होंने कहा कि इस भाषा विश्वविद्यालय से निकले वे पुराने छात्र जो आज कहीं न कहीं अच्छे-अच्छे उच्च पदों पर होंगे, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने पूर्व शैक्षिक संस्थान की मदद करें, ताकि आने वाली पीढ़ी को और बेहतर संसाधनों के साथ अध्ययन करने का अवसर मिल सके। 

राज्यपाल ने जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, रक्तदान, प्लेटलेट दान, बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवाने कि दिशा में शैक्षणिक संस्थानों के योगदान पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है। वो उतना जल संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास करे। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को रक्तदान-प्लेटलेट दान जैसे मानव जीवन उपयोगी मुहिम से जुड़ने का आह्यान भी किया। उन्होंने कहा मानव-जीवन को बचाने में इसकी कमी को सिर्फ दान के द्वारा नैसर्गिक रूप से ही प्राप्त किया जा सकता और इसके दान से कोई शारीरिक क्षति भी नही होती हैं, ये स्वतः शरीर में फिर बन जाता है। राज्यपाल ने समारोह में माध्यमिक विद्यालय से आए 20 छात्रों को पठन-पाठन सामग्री की किट में एक बैग, पानी की बोतल, पेंसिल बॉक्स, महात्मा गांधी की पुस्तक “मेरे सत्य के प्रयोग” तथा फलों की टोकरी प्रदान कर उत्साहवर्धन किया।

समारोह में विशिष्ट अतिथि लोक गायिका एवं पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए आजीवन अध्ययन करते रहने को कहा। उन्होंने समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों को बताया कि ज्ञान प्राप्ति के लिए विनम्रता पहली आवश्यकता है।

विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या में कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने बताया कि किसी भी विश्वविद्यालय के जीवन में आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है जब वह अपने विद्यार्थियों को उनकी सफलता का प्रमाण पत्र सौपता है। स्वामी विवेकानंद जी का कथन दोहराते हुए उन्होंने कहा ष्जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवन संग्राम में समर्थ नहीं बना सकती, जो मनुष्य में चरित्र बल, परहित भावना तथा सिंह के समान साहस नहीं ला सकती, वह भी कोई शिक्षा है? जिस शिक्षा द्वारा जीवन में अपने पैरों पर खड़ा हुआ जाता है वही है शिक्षा।

उन्होंने बताया कि कोविड-19 बावजूद विश्वविद्यालय में गत वर्ष की अपेक्षा 24% अधिक प्रवेश हुए एवं विभिन्न भाषाओं के प्रचार प्रसार हेतु उर्दू, अरबी, फारसी हिन्दी व अंग्रेज़ी के साथ-साथ वर्तमान सत्र से संस्कृत एवं फ्रेंच भाषाओं की पढ़ाई भी प्रारंभ कर दी गई है। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय में लगभग 40 से अधिक अन्य पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं एवं इस सत्र से कुछ नए प्रोफेशनल पाठ्यक्रम भी शामिल किए गए हैं, जिसमें एल एल एम और अभियंत्रिकी के अंतर्गत परास्नातक के पाठ्यक्रम भी शामिल है। विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार ना सिर्फ स्नातक स्तर बल्कि परास्नातक स्तर पर भी अपने पाठ्यक्रमों को संचालित कर रहा है। शोध कार्य को आगे बढ़ाते हुए 2021 में शिक्षकों द्वारा 20 पुस्तकें प्रकाशित की गई 124 शोध पत्र भी प्रकाशित हुए साथ ही 6 पेटेंट एवं चार सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी विश्वविद्यालय ने प्राप्त किए।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान विश्वविद्यालय ने यूट्यूब चौनल तथा अन्य ई लर्निंग के स्रोतों का उपयोग कर ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों पद्धतियों के माध्यम से शिक्षण कार्य संपादित कराया। इसके अलावा कोविड-19 में जिन विद्यार्थियों के माता अथवा पिता का निधन हुआ ऐसे विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय ने निशुल्क प्रवेश भी दिया। विश्वविद्यालय ने अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए आसपास के क्षेत्र एवं बस्तियों में कैंप लगाकर शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक जागरूकता तथा कुरीतियों के निवारण हेतु जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों इत्यादि के माध्यम से अपनी भूमिका सुनिश्चित करने के भी भरपूर प्रयास किए। उन्होंने सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और आशा जतायी कि वह समाज के पुनर्निर्माण में अपनी भूमिका को सार्थक सिद्ध करेंगे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ नीरज शुक्ल, सहायक आचार्य, वाणिज्य विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रो निशि पांडे, प्रो पूनम टंडन एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों सहित, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्य उपस्थित रहे। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के समस्त संकायों के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं एवं माध्यमिक विद्यालय से आए बच्चे भी उपस्थित थे।


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