क्षय रोग नियंत्रण पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल का कार्य प्रेरणादायी हैः डॉ मनसुख मांडविया

 राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शीर्षस्थ जनप्रतिनिधि, अधिकारी, प्रतिष्ठित और सम्पन्न नागरिकों से क्षय रोग ग्रस्त एक-एक बच्चा गोद लेने की अपील की

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज विश्व क्षय रोग दिवस पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन प्रतिभाग किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि विश्व में वर्ष 2030 तक क्षय रोग से मुक्ति का लक्ष्य रखा गया है जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा।

कार्यक्रम में आनंदीबेन पटेल ने मध्य प्रदेश में किए गए और उत्तर प्रदेश में जारी क्षय रोग उन्मूलन के अपने कार्य अनुभवों का जिक्र करते हुए बताया कि क्षय रोगी को दवा के साथ-साथ बेहतर पोषण की आवश्यकता भी होती है। सरकार 500रु प्रतिमाह रोगी के लिए देती है, लेकिन जानकारी के अभाव में तथा अन्य पारिवारिक स्थितियों के कारण वह पूरा पैसा क्षय रोग ग्रस्त बच्चे अथवा मरीज के लिए व्यय न होकर परिवार के दूसरे बच्चों पर भी खर्च हो जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को उचित पोषण उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने बच्चों के स्वस्थ होने तक गोद लेने का कार्य प्रारम्भ करवाया जिसके बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।  

राज्यपाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में टीबी उन्मूलन के प्रयासों में तेजी लाने के उद्देश्य से 14 अगस्त, 2019 को राजभवन द्वारा क्षय रोगियों को गोद लेने की पहल की गयी और 25 अगस्त को राजभवन के अधिकारियों द्वारा क्षयरोग से ग्रसित 21 बच्चों को गोद लिया गया। उन्होंने बताया कि इस पहल को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश भ्रमण के दौरान उन्होंने इसे अपने एजेंडे में शामिल किया। सभी शैक्षणिक संस्थानों, कॉरपोरेट जगत, टीबी एसोसिएशन, रेडक्रॉस सोसाइटी और समाज सेवी संगठनों से टीबी रोगियों को गोद लेने का आह्वान किया, जिसका सभी स्वयं सेवी संगठनों पर सकारात्मक प्रभाव हुआ और सबने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार टीबी रोगियों को गोद लिया। वर्ष 2021 में प्रदेश में लगभग चार लाख पचपन हजार क्षय रोगियों को चिन्हित कर उपचार एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की गयीं। इस प्रकार प्रदेश में वर्ष 2021 में टीबी के इलाज की सफलता दर बढ़कर 84 प्रतिशत हो गई है।

मध्य प्रदेश के इस दिशा में किए गए कार्यों के जिक्र में उन्होंने कहा कि भोपाल में इस अभियान से 500 बच्चों को चिन्हित कर के जोड़ा गया था, जो उचित देख-रेख और पोषण पाकर मात्र छः माह में पूरी तरह स्वस्थ हो गए थे। उन्होंने कहा कि स्वयं सेवी संगठन तथा राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा रोगी को गोद लेना परिवार को भावनात्मक और पोषण संबंधी सहायता प्रदान करता है और कार्यक्रम व रोगी के बीच एक अतिरिक्त पुल के रूप में कार्य करता है। राज्यपाल ने बताया कि आज उत्तर प्रदेश में टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए अधिक से अधिक अधिकारी और संगठन आगे आ रहे हैं। इसने सामुदायिक जुड़ाव के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया है और वर्ष 2025 तक राज्य में टीबी उन्मूलन की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है।

उन्होंने कार्यक्रम में देश के सभी शीर्षस्थ जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, प्रतिष्ठित और सम्पन्न नागरिकों से अपील की कि वे क्षय रोग ग्रस्त एक बच्चा गोद लें और समाज को इसके लिए प्रेरित करें, इसे जनांदोलन बनाए तो निश्चय ही भारत टीबी मुक्त देश हो जायेगा। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने भारत में टीबी मुक्ति में प्राप्त सफलता तथा भारत में टीबी मुक्ति के लिए किए गए कार्यों पर निर्मित दो वीडियो का रिमोट दबाकर विमोचन किया। उन्होंने इसी क्रम में “इण्डिया टी.बी. रिपोर्ट-2022” तथा “नेशनल टी.बी. प्रीवलेंस सर्वे रिपोर्ट” का अनावरण भी किया। उन्होंने कार्यक्रम में हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर्स के माध्यम से लोगों में इस दिशा में जनांदोलन हेतु जागरूकता प्रसार के लिए देशव्यापी अभियान का शुभारम्भ किया। ये कैम्पेन 14 अप्रैल 2022 तक चलाया जायेगा।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बड़े लक्ष्यों का प्राप्ति जनभागीदारी से ही की जा सकती है। उन्होंने कहा प्रतिवर्ष भारत में 20 से 25 लाख टीबी के केस आते हैं जिनमे 60 वर्ष से नीचे के मरीजों की जीवन रक्षा उनके पारिवारिक दायित्वों की दृष्टि से जरूरी है। उन्होंने प्रदेश सरकारों द्वारा क्षय रोग नियंत्रण पर किए जा रहे कार्यों के उल्लेख में उत्तर प्रदेश में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के कार्यों की विशेष सराहना करते हुए इसे अन्य लोगों के लिए प्रेरक बताया।

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ भारती प्रवीण पवार केंद्रीय राज्य मंत्री विज्ञान एवं तकनीक डॉ जितेन्द्र सिंह, नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद के.पाल, सचिव स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राजेश भूषण सहित क्षय रोग से मुक्त होकर स्वस्थ हुई काजल विष्ट ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में क्षय रोग नियंत्रण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले देश भर से आए जनपदों के अधिकारी एवं प्रतिनिधियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर असम के स्वास्थ्य मंत्री केशव महन्ता तथा अरूंणाचल के स्वास्थ्य मंत्री एलो लिवांग सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, प्रतिनिधि, स्वास्थ्य कर्मी तथा अन्य लोग भी उपस्थित थे।

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