लैंगिक समानता और लड़कियों की साक्षरता दर में सुधार करने की आवश्यक्ताः उपराष्ट्रपति

  •  उपराष्ट्रपति ने फिक्की महिला संगठन के 38वें वार्षिक सत्र को संबोधित किया

  • उपराष्ट्रपति ने फिक्की महिला संगठन (एफएलओ) की 38वीं वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन किया      

नई दिल्ली। फिक्की महिला संगठन (एफएलओ) के 38वें वार्षिक सत्र में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र को विभिन्न मोर्चों पर आगे बढ़ने को लेकर शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से महिलाओं की सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में लैंगिक असमानता को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार से लेकर निजी क्षेत्र और नागरिक समाज तक को एक साथ जरूर आगे आना चाहिए।

श्री नायडू ने महिलाओं को सशक्त बनाने के एक साधन के रूप में संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने की जरूरत को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण का न केवल खुद उनके जीवन पर बल्कि, परिवार और समाज पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समावेशी विकास के लिए महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण भारत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने लैंगिक समानता सुनिश्चित करने और लड़कियों की साक्षरता दर में सुधार करने का आह्वाहन किया और महिलाओं की प्रगति के लिए आर्थिक सशक्तिकरण की महत्ता को देखते हुए बिना लैंगिक आधार के सभी बच्चों के लिए समान संपत्ति अधिकारों का भी आह्वाहन किया। 

श्री नायडू ने कारपोरेट क्षेत्र और विभिन्न एनजीओ से सरकार की ओर से लड़कियों को शिक्षित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं देश के हर एक हिस्से में लागू है। लड़कियों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए और हर एक बच्ची को विद्यालय जाना चाहिए। उन्होंने महिलाओं के शिक्षित होने के लाभों का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने बताया कि इनमें प्रजनन दर, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी होना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा महिलाओं को बेहतर निर्णयकर्ता बनने के लिए सशक्त बनाएगी। उपराष्ट्रपति ने बच्चों की शारीरिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने और उन्हें ठीक से पका हुआ पारंपरिक भारतीय भोजन उपलब्ध कराने के महत्व पर भी जोर दिया। 

उपराष्ट्रपति ने इस ओर संकेत किया कि आर्थिक विकास के लिए व्यवसाय में महिलाओं की भागीदारी को मौलिक रूप से मान्यता दी जा रही है। उन्होंने आगे अधिक महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत में कुल 5.85 करोड़ उद्यमियों में से केवल 14 फीसदी महिलाएं हैं। उपराष्ट्रपति ने महिलाओं के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत, सरकार और समाज से ठोस प्रयास करने का आह्वाहन किया। इसके अलावा उन्होंने महिला सशक्तिकरण में एफएलओ के प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने फिक्की महिला संगठन (एफएलओ) की 38वीं वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन किया। इस रिपोर्ट के साथ एफएलओ की ओर से तैयार वुमेन लीडिंग इंडियाज इंडस्ट्रियल आउटलुक शीर्षक से एक नीति दस्तावेज भी जारी किया गया। इस कार्यक्रम में एफएलओ की अध्यक्ष उज्ज्वला सिंघानिया, एफएलओ के हैदराबाद चौप्टर की अध्यक्ष उमा चिगुरुपति, एफएलओ की कार्यकारी निदेशक रश्मि सरिता और प्रतिष्ठित महिला उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया।


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