एकेटीयू: महिला ग्राम प्रधानों के लिए जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया

 कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पांच महिला ग्राम प्रधानों को सम्मानित किया गया

लखनऊ। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय एवं पंचायतीराज निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में आज विश्वविद्यालय में महिला ग्राम प्रधानों के लिए जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आरएमएलआईएस लखनऊ की निदेशक प्रो सोनिया नित्यानंद बतौर मुख्य अतिथि एवं सामाजिक कुरीतियों एवं महिला अधिकारों पर चर्चा करने के लिए उच्च न्यायालय की अधिवक्ता डॉ दीप्ती त्रिपाठी तथा महिलाओं के स्वास्थ्य एवं कोरोना की संभावित तीसरी लहर के सम्बन्ध में चर्चा करने के लिए केजीएमयू की डॉ मोनिका अग्रवाल विशेषज्ञ के रूप में मौजूद थीं। 

कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पांच महिला ग्राम प्रधानों क्रमशः रामनगर माल की ग्राम प्रधान आकांक्षा, संयुक्ता सिंह चौहान ग्राम प्रधान अटारी (माल), माधुरी सिंह ग्राम प्रधान थावर काकोरी, गरिमा सिंह ग्राम प्रधान काकराबाद काकोरी एवं सुषमा सिंह ग्राम प्रधान नानमऊ सरोजनीनगर को सम्मानित किया गया।

दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनीत कंसल ने कहा कि कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में प्रदेश के विश्वविद्यालय सामाजिक उत्थान एवं पुनर्वास के कार्यों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि वह देश की प्रथम इकाई हैं और देश के समावेशी विकास के लिए ग्रामीण अंचलों का सर्वांगीण विकास की अहम् कड़ी हैं। उन्होंने कहा कि नव निर्वाचित महिला ग्राम प्रधानों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार, तकनीक, न्याय एवं कानूनों के सम्बन्ध में महिला ग्राम प्रधानों को उनके दायित्व के विषय में जागरुक करना महत्वपूर्ण है। 

कार्यशाला की मुख्य अतिथि प्रो सोनिया नित्यानंद ने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत सी योजनाएं क्रियान्वयित की जा रही है। उन्होंने कहा महिला ग्राम प्रधान होने के नाते आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप सभी इन योजनाओं का लाभ ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को दिलवाने के लिए जागरूकता अभियान का सञ्चालन करें। उन्होंने कहा कि महिला ग्राम प्रधानों को परिवार नियोजन जैसे गंभीर विषयों पर भी कार्य करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि भारत में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण अंचलों में शिशु मृत्यु दर काफी ज्यादा है। ऐसे में महिला ग्राम प्रधानों को मातृ-शिशु देखभाल के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं के विषय में व्यापक जागरूकता फ़ैलाने के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में महिलाओं की कुल आबादी की 50 प्रतिशत महिलाएं एनिमियां रोग से ग्रसित हैं। उन्होंने कहा कि एमिनियाँ जैसे घातक रोग के सम्बन्ध में व्यापक जानकारी महिलाओं को देने के लिए समय-समय पर संगोष्ठियों और रक्त जांच शिविर का आयोजन करने हेतु प्रयत्न करने की आश्यकता है।  उन्होंने कहा कि एकेटीयू द्वारा इस तरह के प्रासंगिक कार्यशाला का आयोजन किया जाना सराहनीय है। 

केजीएमयू की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ मोनिका अग्रवाल ने महिलाओं के स्वास्थ्य एवं कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की।  उन्होंने कहा कि महिला के स्वास्थ्य का पूरे समाज पर प्रभाव पड़ता है। महिला यदि स्वस्थ है तभी वह स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है। उन्होंने कहा कि महिला स्वास्थ्य जीवन के तीन चक्र हैं। इनमें प्रथम चक्र शून्य से 15 वर्ष, द्वितीय चक्र 15 से 45 वर्ष एवं तृतीय चक्र 45 वर्ष से अधिक का है। डॉ अग्रवाल ने बताया कि तीनों चक्रों की स्वास्थ्य समस्याएं अलग-अलग हैं और उनके उपचार भी अलग अलग हैं। ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य समस्याओं के निदान के लिए एएनएम आंगनबाड़ी एवं आशा बहू के त्रिस्तरीय ढांचे में महिला ग्राम प्रधान चौथा स्तम्भ बनकर महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चियों को कुपोषण से बचाना बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं में एनिमियां एक बड़ी समस्या है।  उन्होंने कहा कि आयरन फोलिक एसिड का 180 दिनों तक सेवन सुनिश्चित किये जाने हेतु अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा महिला ग्राम प्रधानों को शिशु एवं मातृ मृत्यु दर कम करने के लिए जननी सुरक्षा योजना एवं प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना जैसी योजनाओं के विषय में जागरूकता फैलानी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं में होने वाले सरवाईकल कैंसर एवं ब्रेस्ट कैंसर के प्रति सजगता एवं उपचार के लिए  जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।

कार्यशाला में डॉ दीप्ती त्रिपाठी ने सामाजिक कुरीतियों, महिला अधिकारों एवं क़ानूनी सहायता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचलों में घरेलू हिंसा एक आम बात है। ऐसे में महिला सशक्तिकरण में ग्राम प्रधानों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं में न्याय केंद्र बनाने के लिए महिला प्रधानों को पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय केंद्र की स्थापना से तमाम मुद्दे पंचायत स्तर पर ही निस्तारित होना संभव हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं का आत्मनिर्भर बनाना होगा। उन्होंने कहा कि महिला ग्राम प्रधानों को स्वयं सहायता समूह बनाकर स्वरोजगार के लिए महिलाओं को प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फसल बीमा, ऋणमुक्ति, फसल ऋण सम्बन्धी तमाम योजनाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजन करवाने चाहिए। उन्होंने महिला अधिकारों एवं क़ानूनी सहायता पर विस्तृत चर्चा की।

विश्वविद्यालय के वास्तुकला एवं योजना संकाय के ताबिश अहमद अब्दुल्ला एवं वैभव कुलश्रेष्ठ ने स्मार्ट विलेज की रुपरेखा के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में आदर्श ग्राम पर विशेष डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गयी। कार्यक्रम में लखनऊ जनपद के विभिन्न ब्लाकों की ग्राम पंचायतों के 100 महिला प्रधानो ने प्रतिभाग किया। आईईटी की आचार्य डॉ नीलम श्रीवास्तव ने महिला सशक्तिकरण पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही ग्रामीण अंचलों में शिक्षा में महिलाओं की प्रतिभागिता बढ़ाने के लिए सुझाव दिए।


 


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