प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का किया एलान, किसान यूनियन ने किया स्वागत, विपक्ष ने उठाए सवाल
(अखिलेश पाण्डेय)
लखनऊ (नागरिक सता)। आखिरकार भाजपा के नरेन्द्र मोदी सरकार को किसानों की जिद के आगे झुकना ही पड़ा। आज कार्तिक पूर्णिमा एवं गुरूनानक जयंती के दिन किसान बिल पास होने के लगभग 14 महीने बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर किसानों को राहत प्रदान किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुलने की बधाई देते हुए कहा कि आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरु नानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। फिर उन्होंने किसानों के हित में अपनी सरकार के काम और योजनाएं गिनाईं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की 10 हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की प्लानिंग है। हमने एमएसपी और क्रॉप लोन बढ़ा दिया है। यानी हमारी सरकार किसानों, खासतौर पर छोटे किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। इसी अभियान में तीन कृषि कानून लाए गए थे, ताकि किसानों को फायदा हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी जिसके कारण मैं कुछ किसानों को समझा नहीं पाया। मैं आंदोलनकारी किसानों से घर लौटने का आग्रह करता हूं और तीनों कानून वापस लेता हूं। इस महीने के अंत में संसद सत्र शुरू होने जा रहा है उसमें कानूनों को वापस लिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें बदलने को भी तैयार थे। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। गुरु नानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। हमने किसान कल्याण को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी। हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना को प्रभावी बनाया गया। 22 करोड़ किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। छोटे किसानों को ताकत देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।
तीन कृषि कानून की मुख्य बातेंः-
‘‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020‘‘ इस कानून में एक ऐसी व्यवस्था बनाने था जहां जहां किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होती। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
‘‘कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020‘‘ इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रॉसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इस कानून में है।
‘‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020‘‘ इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। इससे बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा और किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिलेगी।
प्रियंका गांधी वाड्राः चुनाव आया तो माफी, बदले हुए रूख पर विश्वास करना मुश्किल
प्रधानमंत्री के संबोधन पर प्रियंका गांधी वाड्रा ट्वीट कर कहा कि चुनाव आया तो माफी मांग रहे हैं। उन्होंने ने कहा आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला। उनपर लाठियां बरसाईं, उन्हें गिरफ़्तार किया। अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी। आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द। 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन।
भारतीय किसान यूनियन-भानू के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि हम इस कदम का स्वागत करते हैं। किसान विरोधी नीतियों की वजह से पिछले 75 साल से किसान कर्ज के बोझ तले दबकर मर रहे थे। मैं पीएम मोदी से अपील करता हूं कि एक फार्म कमेटी बनाएं और उसे फसल के रेट तय करने दें। किसी दिन ऐसे ही घोषणा करके सभी किसानों के कर्ज भी माफ कर देने चाहिए।
किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा कि हम तब तब आंदोलन वापस नहीं लेंगे जबतक कृषि कानूनों को संसद में रद्द नहीं किया जाएगा।
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