श्री राधा रमण बिहारी मंदिर इस्कॉन लखनऊ में कल श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का भव्य आयोजन होगा

लखनऊ। हिन्दू धर्म में कई सारे देवी देवता की पूजा की जाती है। उन्हीं में से एक हैं भगवान कृष्ण। महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने धर्मं की रक्षा करने के लिए और अधर्मियों का नाश करने के लिए अर्जुन का सारथी बनकर मार्गदर्शन किया था। इसी भगवान कृष्ण के मंदिर को इस्कॉन मंदिर भी कहा जाता है।

इस्कॉन के मंदिर सारी दुनिया में है। इस मंदिर का नाम एक विशेष अंग्रेजी भाषा के शब्दों को बनाकर किया गया है, "इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कांशसनेस (इस्कॉन)" इस अध्यात्मिक संस्थान की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपद ने 1966 में न्यूयॉर्क में की थी।

न्ययॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा शीघ्र ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश हरे रामा-हरे कृष्णा के पावन भजन से गुंजायमान होने लगे।

मंदिर निर्माण कमेटी के चेयरमैन आनंद स्वरूप अग्रवाल एवं वाइस चेयरमैन लाल बहादुर यादव ने आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी श्री राधा रमण बिहारी मंदिर इस्कॉन लखनऊ में 30 अगस्त सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाएगा। जन्माष्टमी महोत्सव में अतिथि के रूप में उपमुख्यमंत्री महोदय दिनेश शर्मा एवं अन्य मंत्री कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे l 

मंदिर के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास ने जन्माष्टमी महोत्सव में सम्पन्न होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि दोपहर 12:00 बजे से रात्रि 12:00 बजे तक दूध दही शहद व 1008 तीर्थो के जल से श्री राधा कृष्ण का महा अभिषेक मंदिर हाल में किया जाएगा तत्पश्चात बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। जरी मोती मणि मानिक से तैयार भगवान की पोशाक जो विशेष कारीगरों द्वारा निर्मित की गई है वह पहनाया जाएगा। वृंदावन भक्त मंडली द्वारा 24 घण्टा अखंड हरिनाम कीर्तन किया जाएगा। इस्कॉन मंदिर द्वारा कौन बनेगा डिवोटी भक्त प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा। भगवान के जन्म के समय भव्य आतिशबाजी होगी। इस नंदोत्सव के दिन 15 फीट की ऊंचाई पर दही हांडी उत्सव मनाया जाएगा, प्रभुपाद जी की 125वी व्यास पूजा अर्विभाव महोत्सव के दिन 125 तरह के भोग अर्पित होंगे विशाल भंडारा का आयोजन 10 बजे से हरी इच्छा तक चलेगा। 

मंदिर के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास ने कहा कि जब तक प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अध्यात्मिक क्रांति नहीं आएगी तब तक मनुष्य स्वावलंबी नहीं बन सकता सर्वोप्रथम पहली पाठशाला अध्यात्म ही है। आज के परिवेश में जो अपनी संस्कृति को पहचानना चाहता है तो वैदिक पाठशाला ग्रहण करनी होगी। श्याम दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार से मांग की कि वैदिक पाठशाला का विस्तार और गुरुकुल जैसी शिक्षा हो और कहा हमारे सभी कार्यक्रम कोविद-19 को ध्यान में रखते हुए, सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार होगा l


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