देश की आजादी में पूर्वोत्तरवासियों की महती भूमिकाः मुख्यमंत्री

  • भारत की एकता तथा अखण्डता को अक्षुण्ण रखने में पूर्वात्तर भारत के राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिकाः योगी आदित्यनाथ
  • उत्तर प्रदेश भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता हैः मुख्यमंत्री

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन (सील) की राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा-2023 के अन्तर्गत पूर्वात्तर भारत के राज्यों से आये 27 विद्यार्थियों से मुलाकात की एवं उनका स्वागत करते हुए कहा कि भारत की एकता तथा अखण्डता को अक्षुण्ण रखने में पूर्वात्तर भारत के राज्यों की राष्ट्रवादी भावना की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बिना भेदभाव के पूरा देश एकजुट होकर ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ ‘विकसित भारत’ के लिए अपना योगदान दे रहा है। पूर्वात्तर के युवा आज आईआईटी, जेईई, नीट, एम्स, आईआईएम और सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों के प्राचीन सांस्कृतिक व आध्यात्मिक सम्बन्धों पर चर्चा की। उन्होंने विद्यार्थियों की यात्रा के अनुभव के साथ-साथ पूर्वोत्तर के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक आबादी का राज्य है। यहां 25 करोड़ जनसंख्या निवास करती है। उत्तर प्रदेश भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। प्रदेश के निवासी परस्पर मिलकर देश की एकता व अखण्डता के लिए पूरे मनोयोग से कार्य करते हैं। प्रदेश को सामाजिक व सांस्कृतिक नवाचार के लिए भी जाना जाता है। इस राज्य में प्रत्येक क्षेत्र में कुछ नया करने का अभियान जारी है। स्वतंत्र भारत में सर्वाधिक प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश ने ही दिये हैं। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री स्वयं जनपद वाराणसी से संसद में प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने पूर्वात्तर से आये प्रतिनिधियों से कहा कि सभी प्रतिनिधि यहां भ्रमण के दौरान विधान भवन जरूर देखें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का आधुनिक माध्यम मेट्रो है, सभी उसका अनुभव प्राप्त करें। स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्थल काकोरी शहीद स्मारक का भ्रमण करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन (सील) यात्रा विविधता में एकता का जीवन्त अनुभव लेने का नाम है। पराधीनता काल से लेकर आजादी के बाद तक पूर्वात्तर राज्यों को शेष भारत से अलग-थलग रखने के अनेक प्रयास हुए। अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन (सील) एवं अन्य विभिन्न माध्यमों से पूर्वात्तर राज्यों एवं देश के विभिन्न राज्यों के बीच परस्पर आदान प्रदान के कार्य किये जा रहे हैं। पूर्वोत्तर और भारत के शेष राज्यों के बीच मन की दूरी को समाप्त कर, हृदय को हृदय से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम इस सील यात्रा ने किया है। किसी होटल, गेस्ट हाउस आदि में रुकने की व्यवस्था से दूर इन विद्यार्थियों को विभिन्न परिवारों के बीच रहते हुए, अपने परिवार से दूर, एक नए परिवार का अनुभव प्राप्त होता है। यही आतिथ्य पूर्वोत्तर को शेष भारत के साथ आत्मीय जुड़ाव का कारण बनता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर को भारत की मुख्य धारा में लाने का सबसे सार्थक व उत्तम प्रयास अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने किया है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद वर्ष 1966 से सील यात्रा के माध्यम से कार्य कर रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भारतीय संस्कृति के प्रसार में पूर्वोत्तर के लोगों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में आज भी भारतीयता के चिन्ह एवं अवशेष देखने को मिलते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में कामाख्या माता का मन्दिर एवं अरुणाचल प्रदेश में परशुराम कुण्ड भारत के नागरिकों की आस्था के केन्द्र हैं, यह प्रत्येक भारतीय को आकर्षित करते हैं। देश की आजादी में पूर्वोत्तरवासियों की महती भूमिका रही है। त्रिपुरा सहित पूर्वात्तर के अन्य राज्यों के कई क्षेत्रों में ब्रिटिशर्स प्रवेश नहीं कर पाये थे। एक राष्ट्र की भावना से कभी समझौता नहीं किया जा सकता। हम सबकी सुरक्षा तभी तक है, जब तक हमारा देश सुरक्षित है। यह राष्ट्रीयता का भाव पूर्वात्तरवासियों में आजादी की लड़ाई के समय देखने को मिला था, जो आज भी विद्यमान है। 

इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही ने कहा कि विभिन्न प्रकार की जनजातियों, अलग-अलग बोली, वेश भूषा और खान-पान, रहन-सहन जैसी विविधताओं से परिपूर्ण पूर्वोत्तर को शेष भारत से परिचय कराने की यात्रा का नाम ही अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन (सील) है। इस यात्रा के माध्यम से भारत के पारम्परिक व सांस्कृतिक मूल्यों को जानने के साथ ही पूर्वोत्तर के सुंदर पर्यटन क्षेत्र, जैव विविधता, विविध लोक संस्कृति की विशेषता के बारे में पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों द्वारा समग्र भारत में प्रसार किया जाता है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने कहा कि विद्यार्थी परिषद ही एकमात्र ऐसा छात्र संगठन है जो अपने स्थापना काल से ही देश-समाज की प्रत्येक समस्या के समाधान हेतु सदैव अग्रणी भूमिका में खड़ा रहा है। भारत की तत्कालीन समस्या को जड़ से समाप्त करने हेतु अ0भा0वि0प0 ने जो प्रयास किया था, वह अब पूर्वोत्तर में विराट परिवर्तन ला चुका है। वहां के विद्यार्थी अब अपनी मूल पहचान को समझकर, राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ कर नए भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। 


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