ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह कलः किया गया पुर्वाभ्यास

  • समारोह में 890 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की जाएगी
  • 47 छात्र एवं 63 छात्राओं को 110 स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रदान किए जाएंगे
  • विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का सीधा प्रसारण यू ट्यूब के लिंक  https://www.youtube.com/live/A0fHTERErmY?/feature+share  पर देखा जा सकता है।

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विवि का 7वां दीक्षांत समारोह एक मार्च को प्रदेश की राज्यपाल एवं विवि की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आयोजित किया जाएगा। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि पदमश्री चमू कृष्ण शास्त्री, विशिष्ट अतिथि योगेन्द्र उपाध्याय मंत्री उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश एवं विशेष अतिथि  रजनी तिवारी राज्य मंत्री उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश सरकार होंगी।

110 पदकों में 01 ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक, 01 कुलाधिपति पदक, 01 कुलपति पदक, स्नातक पाठ्यक्रमों में 27 स्वर्ण, 21 रजत, 19 कांस्य, परास्नातक पाठ्यक्रमों में 17 स्वर्ण, 13 रजत एवं 13 कांस्य पदक शामिल हैं। अरबी विभाग की बीए ऑनर्स अरबी पाठ्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्तकर्ता नूर फातिमा (93.29 प्रतिशत) को ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक एवं कुलाधिपति पदक प्रदान किया जाएगा एवं शिक्षाशास्त्र विभाग के बीएड पाठ्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्तकर्ता कार्तिकेय तिवारी (87.85 प्रतिशत) को कुलपति पदक दिया जाएगा। 

आज विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो एनबी सिंह की अध्यक्षता में दीक्षांत समारोह का पूर्वाभ्यास किया गया। इस अवसर पर कुलाधिपति के रूप में प्रो चन्दना डे, विभागाध्यक्ष शिक्षाशास्त्र विभाग, विशिष्ट अतिथि योगेन्द्र उपाध्याय के रूप में डॉ प्रवीण कुमार राय, सह आचार्य, भूगोल विभाग एवं विशेष अतिथि रजनी तिवारी के रूप में प्रो तनवीर खदीजा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण विभाग ने कार्यवाही पूर्ण की। इस दौरान विवि के कुलसचिव अजय कृष्ण यादव ने शोभायात्रा की अगुवाई की। पूर्वाभ्यास में मेडल प्राप्तकर्ता भी उपस्थित रहे। 

दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर किए गए पूर्वाभ्यास में पदमश्री चमू कृष्ण शास्त्री भी मौजूद रहे। उन्होंने पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ इंटरएक्टिव सत्र में वार्तालाप की। श्री शास्त्री ने उच्च शिक्षा में भाषा के महत्व और वर्गीकरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने भाषा के विभिन्न सोपानों की चर्चा करते हुए बताया कि भावों की अभिव्यक्ति के लिए भाषा में निपुणता आवश्यक है। उन्होने कहा कि भारत हमेशा विभिन्न भाषाओं का देश रहा है एवं सभी भाषाएँ एक दूसरे की पूरक हैं। सभी भारतीय भाषाओं में हमें अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से उनके भविष्य के बारे चर्चा करते हुए भाषा से संदर्भित उनकी शंकाओं का समाधान भी किया।


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