एमिटी: निजता का अधिकार और डेटा संरक्षण पर सम्मेलन का आयोजन
लखनऊ (नागरिक सत्ता)। जीवन के हर क्षेत्र में डिजटलीकरण और वर्चुआलिटी का दखल होता जा रहा है। लोगों के सामने अपनी प्राईवेसी और व्यक्तिगत सूचनाओं की सुरक्षा का सवाल बड़ा होता जा रहा है। विधि के प्रकाश में इस विषय पर चर्चा के लिए एमिटी लॉ स्कूल, एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ परिसर द्वारा ‘डिजिटल युग में निजता का अधिकार और डेटा संरक्षण-मुद्दे और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का आज समापन हो गया।
सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसके भटनागर, विशिष्ट अतिथि प्रो डॉ त्रिवेणी सिंह आईपीएस, एसपी साइबर क्राइम लखनऊ, मुख्य वक्ता प्रो डॉ प्रीति सक्सेना निदेशक सीपीजीएलएस, पूर्व प्रमुख और डीन डीएचआर एसएलएस बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ, विंग कमांडर डॉ अनिल कुमार तिवारी डिप्टी प्रो वीसी एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ व डॉ जेपी यादव निदेशक एमिटी लॉ स्कूल ने दीप प्रज्जवलित करके किया।
सेवासेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवीप्रसाद सिंह, उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने बतौर मुख्य अतिथि समापन सत्र की शोभा बढ़ाई।
प्रो डॉ जेपी यादव ने अतिथियों का स्वागतम करते हुए कहा कि आज मनुष्य दो समानांतर जीवन जी रहा है, एक जो वास्तविकता है और दूसरा आभासी जो कि हमारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से है। निजता का अधिकार की सुरक्षा को इन दोनों माध्यमों पर चुनौती मिल रही है।
विंग कमांडर डॉ अनिल कुमार तिवारी ने इस दौर में निजता कानूनों पर समाधान और कानूनों की आवश्यकता पर जोर दिया। जहां तकनीक इतनी तेज गति से बदल रही है कि यह किसी भी कानून के लिए एक चुनौती है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो एसके भटनागर ने कानूनों के माध्यम से निजता के अधिकार की व्याख्या की। उन्होंने जॉन लोके के सामाजिक अनुबंध सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहा कि आज के युग में निजता के अधिकार के लिए कोई अपनी खुशी का सौदा नहीं कर सकता।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति देवी प्रसाद ने बताया कि किस तरह अपनी साख और विश्वास खो रहे संस्थानों द्वारा निजता की सुरक्षा को खतरा है। उन्होंने कहा कि निजता एक मौलिक अधिकार है और इसकी सुरक्षा किए की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब लोग गुफाओं में रह रहे थे तब भी उनके पास निजता थी। गोपनीयता भंग करना न तो नैतिक रूप से अच्छा है और न ही कानूनी। उन्होंने विधि प्रतिनिधियों से कानून के मूल सिद्धांतों को सुरक्षित रखने के लिए भी कहा।
प्रो डॉ प्रीति सक्सेना ने ग्रीक, लैटिन और अंग्रेजी कानूनों से गोपनीयता कानूनों के ऐतिहासिक विकास का के बारे में विस्तार से चर्चा की।
प्रोफेसर डॉ त्रिवेणी सिंह जिन्हें देश के साइबर पुलिस के रूप में भी जाना जाता है ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पूफिंग, सिंथेटिक वीडियो और फोटो की शब्दावली की समझ के साथ अपने पेशेवर अनुभव साझा किए। अनुप्रिया यादव असिस्टेंट प्रोफेसर मास्टर आफ सेरेमनी रहीं।
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