संविधानिक व्यवस्था के खेवनहारों के लिए लाइट हाउस है भागवद् गीता: प्रो बलराज चौहान

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ‘द फिलॉसफी ऑफ गीता एंड इट्स इम्बाडीमेंट इन द इंडियन कांस्टिट्यूशन’ (गीता का दर्शन और भारतीय संविधान में इसका निरूपण) के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ एवं जबलपुर के पूर्व वीसी प्रोफेसर बलराज चौहान ने कहा कि हम स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में आज विश्व में इतने सशक्त सक्षम और प्रभावशाली हैं कि हमारे सबसे बड़े शत्रु भी हमारी क्षमता का बखान कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि इसके पीछे देश के संविधान की ताकत है। वो संविधान जिसकी नींव में श्रीमद्भागवद् गीता जैसे ग्रंथों का दर्शन निहित है। आज बतौर शिक्षक हमें गीता से सीखना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी को किस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए। गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को भगवान या गुरू की भांति नहीं बल्कि एक मित्र-सखा के तौर पर वस्तुस्थिति का भान कराते हैं। एक मित्र के स्तर पर आकर अर्जुन भी श्रीकृष्ण के सम्मुख अपनी समस्या और जिज्ञासा को पूरी तरह रख पाए। इसी तरह एक शिक्षक को भी पढ़ाते समय कृष्ण की भूमिका में रहना चाहिए।

प्रो चौहान ने कहा गीता में ध्यान योग, ज्ञानयोग और कर्मयोग सहित दर्शन का कोई ऐसा पहलू नहीं है जिस पर बात न की गई हो। भारतीय संविधान की मूल भावना जस्टिस ऑफ इक्वालिटी की बात भारत के नागरिकों के लिए है परन्तु गीता में श्रीकृष्ण संपूर्ण चराचर को अपना ही अंश बताते हुए पूरी सृष्टि को एक बराबर बना देते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी नई पीढ़ी में आज एक समस्या प्राब्लमोफोबिया की भी है। समस्या से डरना अपने आप में समम्या है इसके हल गीता है। उन्होंने कहा कि यदि हम गीता को अपने जीवन में धारण कर सके तो समस्याएं तो रहेगी पर हम प्राब्लमोफोबिया से बच सकते हैं। प्रो. चौहान ने गीता को भारतीय संविधान के अनुरूप व्यवस्था सुनिश्चित करने वाले प्रहरियों के लिए गीता को लाइट हाउस बताते हुए कहा श्रीमद्भ भागवत गीता जीवन के सभी क्षेत्रों में मार्ग प्रशस्त करती है। 

इसके पूर्व एमिटी लॉ स्कूल के निदेशक डॉ जे पी यादव ने मुख्य अतिथि सहित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और सम्मेलन के बारे में बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान न केवल देश के रूप में भारत के संचालन की रूपरेखा है बल्कि देश के सांस्कृतिक संस्कारों और ऐतिहासिक गौरव का जीवंत प्रतिमान है। 

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता जनार्दन तिवारी, डा. रमेश तिवारी और एमिटी विवि लखनऊ के सह प्रति कुलपति विंग कमांडर डॉ. अनिल तिवारी शामिल हुए। समापन सत्र में सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत शोध पत्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ पत्र के पुरस्कार भी दिए गए। 

इस दौरान एमिटी ला स्कूल के डॉ अमरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, डॉ तपन चंदोला, डॉ अर्पिता कपूर, डॉ अक्षिता श्रीवास्तवा, डॉ शास्या मिश्रा और ज्योत्सना सिंह सहित बड़ी संख्या में विधि छात्र उपस्थित रहे।


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