एनडीआरएफ के वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह

लखनऊ/ दिल्ली (नागरिक सत्ता)। दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) द्वारा आयोजित ‘आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन 2022‘ में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एनडीएमए, सभी मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में एसडीएमए और एक समग्र एकीकृत दृष्टिकोण के साथ आपदा प्रबंधन को विश्वास के साथ केन्द्र और राज्य सरकारों ने ज़मीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि नब्बे के दशक से पहले हमारा राहत केन्द्रित दृष्टिकोण था। इसमें जान-माल बचाने की कोई गुंजाइश नहीं थी और न ये योजना का हिस्सा था। अब अर्ली वॉर्निंग, स्क्रिय निवारण, शमन और पूर्व तैयारी आधारित जान-माल को बचाने के वैज्ञानिक कार्यक्रम पर हमने काफ़ी काम किया है। आज विश्व में आपदा मोचन के क्षेत्र में हम बराबरी पर और कई क्षेत्रों में आगे भी खड़े हैं। इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केन्द्रीय गृह सचिव और एनडीआरएफ़ के महानिदेशक अतुल करवाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एनडीएमए की एनडीएमपी योजना शुरू की। ये देश में तैयार की गई पहली राष्ट्रीय आपदा योजना है और सेन्डाई आपदा जोखिम निम्नीकरण फ़्रेमवर्क-2015 से 2030 के सभी मानकों से मैच करती है। पहली बार सरकार की सभी ऐजेंसियों, विभागों के हॉरीजॉन्टल और वर्टिकल एकीकरण की योजना बनाई गई और इसका परिणाम हमारे सामने है। इस योजना में पंचायत, शहरी, स्थानीय निकाय के स्तर तक सरकार को और अलग-अलग सरकारी विभागों को, कलेक्टर को नोडल ऐजेंसी बनाकर जोड़ा गया है। 2016 में इस योजना में 11 आपदाओं का समावेश किया गया था और 2019 में 17 आपदाओं का इसमें समावेश किया गया है। यह बताता है कि हम निरंतर हर प्रकार की आपदाओं पर काम कर रहे हैं और आपदाओं से होने वाली मृत्युओं की संख्या में हम बहुत कमी लाए हैं और यह हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है।


केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कोई अगर ये सोचता है कि सिर्फ़ साधनों या रिसर्च पेपर से आपदा मोचन का काम नहीं हो सकता। इसे नीचे तक पहुंचाने वालों की क्षमता का निर्माण बहुत ज़रूरी है क्योंकि कई ऐजेंसियों को मिलकर काम करना है। एक दूसरे की भूमिका पर स्पष्टता और अगर कहीं किसी की भूमिका में कोई गैप आता है तो उसे भरने की सिद्धता हासिल किए बिना नीचे तक आपदा मोचन का काम ठीक से नहीं हो सकता। इस प्रकार के अभ्यास से ही राज्यों, ज़िलों और नीचे गांवों तक के साथ एक आपसी समन्वय का निर्माण होता है और अंत में ये आपसी समन्वय ही आपदा से लोगों के जान-माल को बचाने का कारण बनता है।

अमित शाह ने कहा कि तकनीक और विज्ञान के कारण आज हमें समयपूर्व सूचना मिल जाती है, लेकिन जब तक उसे सटीक ढंग से नीचे तक पहुंचाने, आपदा की दृष्टि से आपदा संभावित स्थान को सतर्क करने, बचाने की कार्रवाई करने, सबसे पहले जान और फिर संपत्ति का नुक़सान कम करने में प्रोफ़ेश्नल महारत हासिल नहीं होती तब तक आपदा मोचन का काम सफल नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि इन सब कार्यों से संबन्धित 5-6 ऐजेंसियों के बीच समन्वय का प्रोटोकॉल और इसका प्रैक्टिकल अनुभव भी बहुत जरूरी है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने एनडॉआरएफ़ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि कहा कि शायद ही किसी संस्था ने अपने जन्म के इतने कम समय में 130 करोड़ की जनता वाले इस विशाल देश में अपने काम के प्रति श्रद्धा का निर्माण किया हो। देश में कहीं भी किसी भी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की आपदा आती है और लोगों को जब पता चलता है कि एनडीआरएफ़ एसडीआरएफ़ के साथ आ गया है तो उनकी आधी चिंता समाप्त हो जाती है। इस श्रद्धा का निर्माण सरकारी परिपत्रों से नहीं हो सकती, बल्कि कृत्यों से हो सकती है। अनेक घटनाओं के दौरान एनडीआरएफ़ ने मौक़े पर रिस्पॉंड किया है और जान-माल की रक्षा की। दुनियाभर के आपदा मोचन और आपदा प्रतिक्रिया क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के बीच भी एनडीआरएफ़ ने अपना सिक्का जमाकर अपना स्थान निश्चित किया है और ये देश के लिए यह बहुत गौरव की बात है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कई इनिशिएटिव लिए गए और राज्य सरकारों ने भी इसको बहुत अच्छी तरीके से रिस्पॉन्ड किया है। अब तक 26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में एसडीआरएफ का गठन हो चुका है। एसडीआरएफ के गठन के समय ही एनडीआरएफ उसके प्रशिक्षण के साथ जुड़ता है, इसी कारण इतने बड़े देश में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पंचायत स्तर पर प्रबंधन के क्षेत्र में एकरूपता लाने में सफलता मिली है। 

अमित शाह ने कहा कि पहले से तैनाती की नीति के तहत जो एडवांस में सूचनाएं मिलती हैं, इसमें बल की सक्रिय उपलब्धता को राज्यों ने भी सुनिश्चित करने के लिए बहुत अच्छा काम किया है। जहाँ भी सूचना या अलर्ट गया, पहले से तैनाती का जो सिद्धांत है, उसे राज्यों ने जमीन पर उतारने के लिए काम किया है और एनडीआरएफ की 12 बटालियन हमेशा राज्यों और एसडीआरएफ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती हैं। चाने के लिए एक तंत्र ज़रूर बनाना चाहिए क्योंकि जो अलर्ट आता है वह बहुत सटीक होता है और  समय से पहले मिलता है। 


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