बहुभाषिकता है भारत की शक्तिः प्रो.संजय द्विवेदी

  •  बसन्त व्याख्यानमाला में भारतीय भाषाओं में अंतर संवाद और अनुवाद पर विमर्श


भोपाल। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो संजय द्विवेदी का कहना है कि हम भारतीय जन्मना बहुभाषी हैं और बहुभाषिकता हमारी शक्ति है। बहुभाषिकता हमारे संस्कार में है। वे यहां मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा हिंदी भवन, भोपाल में आयोजित बसंत व्याख्यानमाला के अंतर्गत आयोजित भारतीय भाषाओं में अंतर संवाद और अनुवाद विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित कर रहे थे। सत्र के अध्यक्ष रवींद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ संतोष चौबे रहे। सत्र में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो खेम सिंह डहेरिया, लेखक डॉ श्रीराम परिहार, डॉ रंजना अरगड़े ने अपने विचार व्यक्त किये।

प्रो द्विवेदी ने कहा कि भारत जैसे बहुभाषी देश में हमारा किसी एक भाषा के सहारे काम नहीं चल सकता। यही भाषागत बहुलता हमारी भाषाई समृद्धि का बोध कराती है। बहुभाषी युवाओं के लिए अवसरों के अनेक द्वार स्वतः खुल जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज का समय अनुवाद का समय है। इससे भाषाई सद्भाव भी स्थापित हो रहा है। प्रो द्विवेदी ने कहा कि हमें भारत को सिर्फ बीपीओ और आऊटसोर्सिंग के जरिए तकनीकी विश्व शक्ति नहीं बनाना है, बल्कि उसे एक ज्ञान समाज में तब्दील करना है। तकनीक, भारत में सामाजिक परिवर्तन तथा आर्थिक विकास का जरिया बन सकती है और भाषाओं की इसमें बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय भाषाओं को रोजगारपरक और संवादपरक बनाना होगा। यह भाषाई सद्भाव और पारस्परिक आदान प्रदान से ही संभव है।

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