विधायिका के सम्मान को नष्ट करने के लिए किया गया कोई भी कार्य लोकतंत्र पर घातक प्रहार है: सतीश महाना

  • विधानसभा अध्यक्ष ने मुम्बई में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित किया 


मुंबई (महाराष्ट्र)। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने मुंबई में आयोजित 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में "एजेंडे के बिंदुओं पर चर्चा" पर आयोजित सत्र को संबोधित किया। अध्यक्ष श्री महाना ने कहा कि सरकारी कामकाज और नीतियों की आलोचना करने का विपक्ष को पूर्ण अधिकार है लेकिन सदन में औपचारिक अवसरों पर व्यवधान न तो विपक्ष के लिए शोभा जनक माना गया है और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत बनती है। विधायिका के सम्मान को नष्ट करने की दिशा में किया गया हमारा कोई भी कार्य लोकतंत्र पर घातक प्रहार है।

  • ज्वलंत मुद्दों को सदन में इस प्रकार से उठाएं कि उनका निस्तारण शीघ्र हो

श्री महाना ने कहा कि सदस्यों को सदन में अपनी बात कहने के लिए नियम और निर्धारित कार्य विधि के अंतर्गत ही व्यवहार करना चाहिए। नियमों में सदस्यों के लिए अनेक प्रावधान है जिनके अंतर्गत वह अपनी बातों को प्रभावी ढंग से उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सदस्यों के समक्ष यह चुनौती होती है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं तथा ज्वलंत मुद्दों को सदन में इस प्रकार से उठाएं कि उनका निस्तारण शीघ्र हो। साथ ही विधायिका के प्रति विश्वास तथा गरिमा में वृद्धि होती रहे।

  • प्रभावशाली जनप्रतिनिधि होने के लिए शिष्ट सदाचारी तथा सहनशील व्यवहार करें 

श्री महाना ने कहा कि एक प्रभावशाली जनप्रतिनिधि होने के लिए विधानसभा सदस्य को अपने शिष्ट सदाचारी तथा सहनशील व्यवहार के साथ दूसरों को समझने एवं सुनने की भी क्षमता रखनी चाहिए। सदस्यों का यह नैतिक दायित्व है कि वह संसदीय संस्कृति को बनाए रखने में सहयोग करें।  

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदस्यों द्वारा आरोप प्रत्यारोप शोर शराबा, धरना, बहिर्गमन, विधायिका के आंतरिक अनिवार्य दृश्य बन गए हैं। यह लोकतांत्रिक मर्यादाओं और सामान्य शिष्टाचार के विपरीत है। राज्यपाल के अभिभाषण के अलावा भी सदन में अनावश्यक व्यवधानों से विधायिका का बहुत सारा समय हंगामें और शोर शराबे में नष्ट हो जाता है। 

एक अन्य सत्र "समिति प्रणाली को अधिक उद्देश्यपूर्ण और प्रभावी कैसे बनाया जाए" में श्री महाना ने कहा कि विधानसभा अपने कार्य का एक बड़ा हिस्सा समितियों के माध्यम से संपन्न करती है। यह संसदीय समितियां बहुत लाभदायक होती हैं। इससे सदन का समय बचता है जो अन्य मामलों पर चर्चा में लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा की समितियां यदि कारगर ढंग से कार्य करें तो राज्य सरकार के विभागों को सही मार्ग दर्शन देने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। इससे जनता के प्रति न सिर्फ समिति की छवि मजबूत होगी बल्कि सदन का मान भी बढ़ेगा।

कार्यक्रम को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर तथा उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी संबोधित किया। महाराष्ट्र विधानपरिषद की उपसभापति डॉ नीलम गोरहे ने सभी व्यक्तियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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