परिस्थितियों के अनुकूल स्वंय को ढालने वाला ही लोकप्रिय होता है: सतीश महाना

  • विधानसभा अध्यक्ष ने बुंदेलखंड क्षेत्र के विधायकों से संवाद किया 
  • जनप्रतिनिधि को अपनी आलोचना और प्रशंसा के लिए तैयार रहना चाहिए: सतीश महाना


नागरिक सत्ता लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री सतीश महाना ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि को सम्मान और अपमान दोनो मिलता है। इसलिए उसे अपनी आलोचना और प्रशंसा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। इस क्षेत्र में समर्पण भाव से काम करने के साथ ही बहुत धैर्य की जरूरत होती है।

प्रदेश के विधायकों के साथ क्षेत्रवार चल रहे संवाद कार्यक्रम के तहत आज बुंदेलखण्ड क्षेत्र से आए विधायकों से संवाद करते हुए श्री महाना ने कहा कि एक विधायक पूरे क्षेत्र का विधायक होता है। जनता को इस बात से कोई लेना देना नहीं होता है कि उनका विधायक सत्ता पक्ष का है अथवा विपक्ष का है। वह बस अपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान चाहती है। 

श्री महाना ने कहा कि जहां तक जनसमस्याओं की बात है, वह कभी खत्म नहीं होती है, यह अनवरत बनी रहती हैं। इसलिए जनसमस्याओं का समाधान करने का प्रयास हमेशा करते रहने चाहिए। उससे कभी मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता की निगाह अपने विधायक और उसकी कार्यशैली पर हमेशा रहती है। विधानसभा क्षेत्र में जनता को इस बात का भी संदेश होना चाहिए कि जो भी विकास कार्य हो रहे है वह उनके विधायक के प्रयास से ही हो रहे है। 


श्री महाना ने लगातार आठ बार अपनी सफलता का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने पांच बार विपक्ष में रहकर चुनाव जीता है क्योंकि क्षेत्र की जनता को इस बात का अहसास होता रहा कि उसके काम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सुझाव देते हुए कहा कि एक विधायक, परिस्थितियों के अनुकूल, जो स्वंय को ढाल लेता है, वह जनता में लोकप्रिय हो जाता है। 

उन्होंने कहा कि जितना खूबसूरत उत्तर प्रदेश का विधानभवन है उतनी ही बेहतरीन छवि विधानसभा की भी बन रही है। विधानसभा में पूर्व की कार्यशैली और वर्तमान कार्यशैली में अब परिवर्तन आ चुका है। उन्होंने विधायकों को सुझाव देते हुए कहा कि नकारात्मक कार्यशैली से बचकर अपने सकारात्मक कार्यो से मीडिया में आए जिससे प्रदेश के साथ देश में भी आपकी पहचान बन सके। उत्तर प्रदेश की गरिमा को आगे बढ़ाने का काम उत्तर प्रदेश की विधानसभा में हम सबको मिलकर करना है।

श्री महाना ने फिर कहा कि प्रदेश में अपनी पहचान बनाने के लिए सदन से बड़ा कोई फोरम नहीं होता है। इसलिए आगामी बजट सत्र में विधानसभा सदस्य अपनी विशिष्टता साबित करने का प्रयास करें। अन्य विषयों पर बोलने के साथ ही किसी एक विषय में पारंगत बनने का काम करें। 

इस मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डे ने कहा कि विधायिका की भी एक सीमा निर्धारित है, फिर भी श्री महाना जितना संभव है, उससे बेहतर कार्य कर रहे हैं। अनुपमा जायसवाल ने कहा कि श्री महाना अपनी विशिष्ट कार्यशैली से विधानसभा के इतिहास में ऐसी कहानी लिख रहे हैं जिसे मिटाना भविष्य में मुश्किल होगा। सदन में जो नहीं बोल पाते थें उन्हे भी बोलना सिखा दिया। पलटू राम ने कहा कि सदन में जिस तरह संरक्षण मिलता है उतना उनके राजनीतिक जीवन में कभी और कहीं नहीं मिला। विनोद चतुर्वेदी ने कहा 18वीं विधानसभा में जो कार्य हो रहे हैं भविष्य मेे उसे याद रखा जाएगा। रामफेरन पाण्डेय ने कहा कि यूपी विधानसभा अब दिन पर दिन उच्च स्तर की होती जा रही है। सुभाष पांडेय ने कहा कि इस विधानसभा में हम सदस्यों की परेशानियों को दूर करने का काम हो रहा है। 

इनके अलावा संवाद कार्यक्रम में विकास गुप्ता, बाबूराम पासवान, विनोद शंकर अवस्थी, विशम्भर सिंह यादव, मनीषा अनुरागी, लोकेन्द्र प्रताप सिंह, मूलचंद्र निरंजन, कैलाश नाथ शुक्ला, राकेश गोस्वामी, रामरतन कुशवाहा, साईदा खातून, कृष्णा पासवान, मनोज कुमार प्रजापति आदि ने भी बातें रखी। 

कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के मंत्री मनोहर लाल ‘मन्नू कोरी’, अनूप वाल्मीकि और संजय गंगवार भी उपस्थिति थें। इस मौके पर प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया।

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