किताबी ज्ञान के साथ साथ प्रैक्टिकल का भी अनुभव कराती है नई शिक्षा नीतिः ब्रजेश पाठक

  • डॉ आरएमएल विश्वविद्यालय में शिक्षा नीति 2020 पर संगोष्टी का आयोजन

लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय में कानूनी शिक्षा की गुणवक्ता बढ़ाने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका पर संगोष्टी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि नई शिक्षा नीति पुरानी शिक्षा नीति से इस लिए बेहतर हैं क्योंकि नई शिक्षा नीति न केवल थियोरिटीकल कार्य पर केंद्रित है बल्कि प्रैक्टिकल कार्य पर भी छात्रों को केंद्रित करती हैं। 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति विधि के छात्रों के लिए इस लिए भी ज्यादा फायदे मंद हैं क्योंकि विधि के छात्रों को सैद्धांतिक शिक्षा तो कॉलेजों में मिल जाती हैं परंतु जब बात प्रैक्टिकल कार्य की आती थी तब वो पढ़ाई पूरी होने के बाद न्यायालयो में प्रैक्टिस शुरू करने पे उनको थोड़ा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। परंतु अब नई शिक्षा नीति से सभी छात्रो की शिक्षा की गुणवक्ता में और सुधार देखने को मिलेगा। आखरी में उन्होंने विश्विद्यालय प्रशासन से कहा कि जो भी शोध इस विषय से संबंधित हो वो सरकार को भेजे जिससे समाज मे और सुधार लाया जा सके। 

इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरआत में कुलपति प्रो सुभीर के भटनागर और कमिटी के अध्यक्ष डॉ प्रेम कुमार गौतम ने सभी का स्वागत किया। सेमिनार कमिटी की ग्लोबलाइजेशन पर किताब का विमोचन किया गया। किताब की संपादकीय डॉ प्रेम कुमार गौतम, डॉ मिताली तिवारी, डॉ अब्दुल्ला नासिर, प्रिया अनुराग्नी द्वारा किया गया है। 

कार्यक्रम में भारतीय विधि आयोग के सदस्य प्रो आनंद पालीवाल ने बताया नई शिक्षा नीति आने वाले समय मे एक पुल की तरह काम करेगी जो कि राष्ट्र में आने वाली चुनौतियों का शिक्षा द्वारा हल निकाला जाएगा। उन्होंने लॉ कमीशन के 14जी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि कानूनी शिक्षा में थियोरिटीकाल और प्रैक्टिकल शिक्षा में एक संतुलन बना रहना चाहिए जिससे विधि के छात्र सही शिक्षा लेकर समाज में लोंगो को न्याय दिला सके। विधि के छात्रों के अंदर नेतृत्व करने के साथ ही शोध करने का भी कौशल होना चाहिए। 

उन्होंने यह भी बताया कि लॉ एक बहुउद्देशीय विषय माना जाता है क्योंकि विधि समाज के हर फील्ड  में एक प्रमुख भूमिका निभाता हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कानून के छात्र जब अधिवक्ता बनते हैं तो उनकी प्राथमिकता यह रहनी चाहिए कि वो किसी प्रकार का पक्षपात न करे जो भी क्लाइंट अपना केस लेके आए उनको पक्षपात के बिना और सच्चाई से उसके लिए लड़ना चाहिए। 

उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के सदस्य एवं बीबीएयू के शिक्षक डॉ राज शरण शाही ने बताया कि शिक्षा नीति ऐसा होना चाहिए जो ज़मीनी स्तर से जुड़ी हो और शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो लोगो को आपस मे साथ रहना सिखाये। उन्होंने वासुदेव कुटुम्ब के विषय पर भी जोर डाला। उन्होंगे बताया कि कैसे अंग्रेजी शिक्षा नीति लार्ड मैकाले द्वारा लाई गई थी जिससे भारतीय संस्कृति को भारतीयों से अलग कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शिक्षा नीति पश्चमी संस्कृति पे ज़ोर डालती थी जबकि नई शिक्षा नीति भारतीयों को भारतीय संस्कृति से परिचित करवाएगी। शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्तियों में संस्कार, संस्कृति, नैतिकता का संचार कर सके। 

इस संगोष्टी में विश्विद्यालय की सेमिनार कमेटी और लीगल ऐड कमेटी ने उन्नत भारत के तहत 2 गाँव गोद लेने की घोषणा भी की। दोनों कमेटी लखनऊ के पास अलीनगर सोनहारा और बिरुरा गाँव को गोद लिया। दोनों कमेटी गाँव में स्वास्थ्य, कानूनी, कृषि आदि समस्याओं के लिए जागरूकता एवं मद्दत प्रदान करेगी। कार्यक्रम के अंत में कुछ दिनों पहले सेमिनार कमेटी द्वारा आयोजित एथेना कॉम्प्टीशन के विजेताओं को पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम में कमिटी अध्यक्ष डॉ प्रेम कुमार गौतम, डॉ मिताली तिवारी, डॉ अंकिता यादव,ऋषि शुक्ला, आत्रेय त्रिपाठी, अनुष्का श्रीवास्तवा, सत्यम, प्रतिष्ठा, रोमिका समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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