विश्वविद्यालय के सभी स्टेकहोल्डर्स में विश्वास पैदा करना बहुत जरूरीः प्रो राजीव मनोहर

  • भाषा विश्वविद्यालय में नैक संशोधित मूल्यांकन पद्धति पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन 

  • नैक का विजन यूनिवर्सिटी की गुणवत्ता को आगे बढ़ाना हैः वहिलदुल हसन

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के सहयोग से नैक संशोधित मूल्यांकन पद्धति पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। दूसरे दिन के कार्यक्रम में पहले तकनीकी सत्र के प्रथम वक्ता प्रो राजीव मनोहर पूर्व आइक्यूएसी डायरेक्टर लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने वक्तव्य में बताया कि विश्वविद्यालय के सभी स्टेकहोल्डर्स में विश्वास पैदा करना बहुत जरूरी है। उन्होंने डाटा प्रबंधन और शोध को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्था में सुधार के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने प्रोत्साहन उद्दीपन आदि योजनाएं शुरू कर शोध और नवाचार के क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि महज नजर बदलने से ही नजरिया बदला जा सकता है। 

पहले तकनीकी सत्र की दूसरी वक्ता प्रो रोली मिश्रा सदस्य आइक्यूएसी लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने वक्तव्य के शुरुआत में बताया कि उन्होंने नैक को किया नहीं बल्कि नैक को जिया है। उन्होंने क्राइटेरिया 7 के बारे में विस्तार से चर्चा की जिसमें उन्होंने जेंडर सेन्सीटाइजेशन, ग्रीन केंपस, वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी आदि के बारे में बताया। उन्होंने डेटा के प्रजेंटेशन पर फोकस करने की सलाह दी। उन्होंने खुले मस्तिष्क के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी।

दूसरे तकनीकी सत्र के प्रथम वक्ता वहिलदुल हसन सीनियर कम्युनिकेशन ऑफिसर नैक ने अपने संगठन के इतिहास के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह विश्व की सबसे बड़ी एक्रेडेशन एजेंसी है। नैक का विजन यूनिवर्सिटी को आगे बढ़ाना है ना कि उनकी जांच करना जिससे की शिक्षा की गुणवत्ता को और बढ़ाया जा सके। उन्होंने रिवाइज्ड एडिशन फ्रेमवर्क से भी प्रतिभागियों का परिचय कराया और उसमें हुए नए परिवर्तनों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नैक में किए गए नए परिवर्तन उसे और स्टेकहोल्डर फ्रेंडली ऑब्जेक्टिव और पारदर्शी बनाते हैं।

डॉ नीलेश पांडे असिस्टेंट एडवाइजर नैक ने अपने वक्तव्य में बताया कि हमें अंको पर नहीं क्वालिटी पर फोकस करना है। उन्होंने एक्यूयूआर अर्थात एनुअल क्वालिटी एसेसमेंट रिपोर्ट के बारे में बताया जो कि नैक में रैंक प्राप्त कर चुके विभिन्न यूनिवर्सिटीज तथा कॉलेज के लिए प्रत्येक वर्ष भेजना अनिवार्य है। इसके साथ ही उन्होंने नैक प्रत्यायन के विभिन्न चरणों की चर्चा के साथ ही 87 मैट्रिक्स के बारे में भी संक्षेप में जानकारी दी। उन्होंने विश्वविद्यालय और कॉलेजों से कहा कि उन्हें सही मैनुअल के उपयोग करना चाहिए। वे जिस श्रेणी के विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज हैं उस श्रेणी में ही उन्हें आवेदन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने डीवीवी प्रोसेस और स्टूडेंट सेटिस्फेक्शन सर्वे के बारे में भी बताया। इस सत्र का संयोजन प्रो हरिशंकर सिंह डीन स्कूल ऑफ़ एजुकेशन द्वारा किया गया। उन्होंने अपने वक्तव्य में नैक से जुड़ी कई बारीकियों की चर्चा की।  

कार्यक्रम की समन्वयक डॉ तनु डंग ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन बहुत ही सफलता पुर्वक किया गया। कार्यशाला में कानपुर विश्वविद्यालय, शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय, शारदा विश्वविद्यालय  रोहेलखंड विश्वविद्यालय आदि संस्थानों से शिक्षकों ने प्रतिभाग किया और कार्यशाला में ऑनलाइन तथा ऑफलाइन जुड़े 360 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रत्येक सत्र में अपनी शंकाओं का समाधान भी प्राप्त किया। 

समापन सत्र में प्रो मसूद आलम, डीन कला एवं मानविकी प्रो हैदर अली निदेशक आइक्यूएसी, प्रो सौबन सईद अधिष्ठाता शैक्षणिक मंचासीन रहे और कार्यक्रम के प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सहसमन्वयक डॉ अताउर रहमान आज़मी, सहायक आचार्य, व्यवसाय प्रशासन विभाग तथा मंच का संचालन डॉ नीरज शुक्ल, सहायक आचार्य, वाणिज्य विभाग ने किया। कार्यक्रम में प्रो एहतेशाम अहमद, प्रो तनवीर ख़दीजा, डॉ मुशीर अहमद, डॉ मनीष कुमार, डॉ नलिनी मिश्रा समेत विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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