भाषा विश्वविद्यालय में फैक्ट चेकिंग की कार्यशाला का आयोजन

 

लखनऊ (ना.स.)। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने आज डाटा लीड्स एवं गूगल न्यूज़ इनीशिएटिव (GNI)  के संयुक्त तत्वाधान में एक विशेष वर्चुअल टाउन हॉल 'फैक्ट चैकिंग' प्रशिक्षण वेब कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य मीडिया व्यवसायियों, मीडिया विद्यार्थियों, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवको, नीति निर्माताओं एवं सामुदायिक संगठनों को कोविड-19  वैक्सीन से संबंधित गलत सूचनाओं, झूठे दावों और अफवाहों की पहचान करना और उन्हें सत्यापित करने के लिए उपयोगी तकनीकों की जानकारी देना था। 


कार्यशाला के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो अनिल कुमार शुक्ला ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि लोगों को अभी भी कोविड टीकाकरण से संबंधित संपूर्ण जानकारी नहीं है और इस जानकारी के अभाव में वह गलत सूचनाओं से भ्रमित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण सभी के लिए बहुत आवश्यक है जिससे वह सही और गलत सूचनाओं में भेद करना सीख सकें। साथ ही उन्होंने बताया कि  विश्वविद्यालय की  एनएसएस एवं एनसीसी इकाइयों द्वारा ना केवल ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास किया गया है बल्कि  विद्यार्थियों ने अपने गृह जनपद के लोगों  को टीकाकरण केंद्र में ले जाकर उनका टीकाकरण भी करवाया है।  उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से प्राप्त जानकारी विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं उत्तर प्रदेश के अन्य साथियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी व उन्हें टीकाकरण संबंधित गलत खबरों को पहचानने में मदद करेगी।


कार्यशाला के प्रथम सत्र में निमिष कपूर वरिष्ठ वैज्ञानिक और संपादक विज्ञान प्रसार ने विदेशों में किए गए शोध के माध्यम से बताया कि टीकाकरण से संबंधित गलत खबरों का प्रचार किस तरह लोगों के व्यवहार को प्रभावित करता है। उन्होंने यह भी बताया कि विदेशों की तरह भारत में भी लोगों के टीकाकरण ना कराने के मुख्य कारण साइड इफेक्ट का भय, संपूर्ण जानकारी का अभाव, राजनैतिक तंत्र पर भरोसा ना होना आदि पाए गए है। उन्होंने कहा कि मीडिया की ज़िम्मेदारी है कि वह स्वास्थ्य संबंधित जानकारी को लोगों तक आसान भाषा में पहुंचाएं। अंत में उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने मिलकर कोविड- ज्ञान नामक पोर्टल की शुरुआत की है जिसके माध्यम से कोविड  संबंधित जानकारियों की पुष्टि की जा सकती है।


कार्यशाला के दूसरे सत्र में जीएनआई के प्रशिक्षक क़ाज़ी फ़राज़ अहमद ने सभी प्रतिभागियों को कोविड से संबंधित भ्रमक सूचनाओं की पहचान करने के विभिन्न टूल एवं तकनीकों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से भ्रामक सूचनाएं इमेज एवं टेक्स्ट के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा फैलाई जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी किसी भी सूचना को मुख्य मीडिया स्त्रोतों में शामिल करने से पहले सभी पत्रकारों को उसकी जांच अवश्य करनी चाहिए। अंत में उन्होंने सभी प्रतिभागियों को फैट चेकिंग की विभिन्न वेबसाइट की जानकारी दी। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश से लगभग 300 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला का संयोजन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की सहायक आचार्य डॉ तनु डंग द्वारा किया गया।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही