इलाहाबाद हाईकोट ने लगाई फटकार कहा गांवों, कस्बों में चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे
समय रहते सुधार न होने का मतलब तीसरी लहर को दावत देना
लखनऊ (ना.स.)। गांवों में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार को तीसरी बार कड़ी फटकार लगाई। कोरोना की दूसरी लहर में संसाधनों की कमी और गांवों में बदहाली को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रदेश के गांवों और कस्बों में चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। यदि समय रहते इसमें सुधार नहीं किया गया तो कोराना की तीसरी लहर को कोई रोक नहीं सकता। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव से कोरोना की रोकथाम और इलाज के लिए तैयार किया गया कार्य योजना का विवरण मांगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि नौकरशाही छोड़कर एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर अच्छे से प्लान तैयार करें। कोर्ट ने गांवों और कस्बों में टेस्टिंग बढ़ाने का भी आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि लखनऊ, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज, किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ की तर्ज पर प्रयागराज, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर में भी हाईटेक सुविधाओं वाले मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की प्रक्रिया चार महीने के अंदर पूरी करनी होगी। इसके लिए जमीन और फंड की कोई कमी न रहे। कोर्ट ने कहा कि इन पांच मेडिकल कॉलेजों को ऑटोनॉमी भी दी जाए। कोर्ट ने बी और सी ग्रेड के कस्बों में 20 एंबुलेंस और हर गांव में आईसीयू की सुविधा वाली दो एंबुलेंस तैनात करने का आदेश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने बिजनौर, बहराइच, बाराबंकी, श्रावस्ती, जौनपुर, मैनपुरी, मऊ, अलीगढ़, एटा, इटावा, फिरोजाबाद और देवरिया के जिला जजों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है। ये नोडल अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करवाकर रिपोर्ट तैयार करेंगे। कोर्ट ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के प्राचार्य को सेंट्रलाइज मॉनिटरिंग सिस्टम में कोविड और आईसीयू वार्डों का विवरण 22 मई को पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान केंद्र और प्रदेश सरकार की तरफ से रिपोर्ट दाखिल की गई। सरकार ने बताया कि महामारी से जुड़ी शिकायतों के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बना दी गई है। इस पर कोर्ट ने कि कमेटी संबंधित जिले के नोडल अधिकारियों से चर्चा कर हर शिकायत का निस्तारण 24 से 48 घंटे के अंदर करने का निर्देष दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 22 मई को रखी गई है।
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