जस्टिस उदय उमेश ललित बने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

  • सीजेआई उदय उमेश ललित भारत के दूसरे ऐसे व्यक्ति हैं जो वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने 

  • केवल 74 दिन का होगा कार्यकाल, 8 नवम्बर को होंगे सेवानिवृत 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना शुक्रवार को रिटायर हो गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को जस्टिस उदय उमेश ललित को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। मुख्य न्यायधीश उदय उमेश ललित का कार्यकाल 8 नवंबर 2022 तक रहेगा। उनका कार्यकाल सिर्फ 74 दिन का होगा। इस दौरान उन्हें सुप्रीम कोर्ट में लंबित 492 संवैधानिक मामलों को निपटाने की चुनौती होगी। जस्टिस ललित ने 3 अहम सुधारों का वादा किया है। इनमें मुकदमे की समय से लिस्टिंग, अर्जेंट मामलों की मेंशनिंग के लिए नया सिस्टम बनाने और ज्यादा संवैधानिक पीठ बनाने की बात कही।

जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के दूसरे ऐसे चीफ़ जस्टिस हैं जो वकील सेे सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। उनसे पहले जस्टिस एसएम सिकरी वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बने और बाद में चीफ़ जस्टिस के ओहदे तक पहुंचे। वो देश के 13वें सीजेआई थे। 

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने जब उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई तब उनकी तीन पीढ़ियां सामने मौजूद थीं। खास बात है कि उनका परिवार पिछले 100 सालों से वकालत के पेशे में है। सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित जस्टिस यूयू ललित का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में 9 नवंबर 1957 को हुआ था। उनके दादा महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में वकालत करते थे। उनके पिता उमेश रंगनाथ ललित भी नामी वकील रहे हैं। ललित की पत्नी अमिता नोएडा में एक स्कूल चलाती हैं। उनके दो बेटे हैं श्रीयस और हर्षद हैं। श्रीयस वकील हैं तो उनकी पत्नी रवीना भी इसी पेशे में हैं। दूसरा बेटा हर्षद अपनी पत्नी राधिका के साथ अमेरिका में रहता है।

जस्टिस ललित ने जून 1983 में एक एडवोकेट के रूप में नामांकन किया। उन्होंने दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की, फिर जनवरी 1986 में प्रैक्टिस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। अप्रैल 2004 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट के रूप में नॉमिनेट किया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2जी मामलों में सुनवाई करने के लिए उन्हें सीबीआई के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया था। जस्टिस ललित दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया लीगल सर्विसेज कमेटी के सदस्य भी थे।

इस डिजिटल युग में सीजेआई रमना के काम के आखिरी दिन की कार्यवाही को लाइव किया गया। विदाई समारोह से पहले कोर्टरूम में मौजूद वकीलों से चीफ जस्टिस ने कहा, कि मुझे लिस्टिंग और पोस्टिंग के मुद्दों पर ध्यान न देने के लिए खेद है। भारतीय न्यायपालिका लोकतंत्र की लहरों के साथ चलती है। इसे एक आदेश या निर्णय से परिभाषित नहीं कर सकते। उन्होने कहा कि सफलता का शार्टकट नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में उन्होंने कहा मैंने 12 साल की उम्र में पहली बार गांव में बिजली देखी। 17 साल की उम्र में 10 हजार मजदूरों की अगुवाई की। आजकल वकीलों को चेंबर मिलता है। मैं पेड़ के नीचे खड़े होकर मुवक्किल से बात करता था। किसी जज की जिंदगी में कितना संघर्ष होता है, यह वकील ही समझ सकता है।


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