चाबहार बंदरगाह बना भारत समेत कई देशों के लिए वरदान

  • 25 लाख टन गेहूं निर्यात,  कोविड-19 महामारी में मानवीय सहायता और टिड्डियों के खतरे से निपटने में मिला फायदा

शाश्वत तिवारी

चाबहार बंदरगाह भारत के लिए बहुत एहम और उपयोगी साबित हो रहा है ये कहना है विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री वी मुरलीधरन का दरअसल चाबहार बंदरगाह पर राज्यसभा में सवाल पूछा गया जिसके जवाब में विदेश राज्य मंत्री वीव मुरलीधरन ने बताया है की भारत को चाबहार बंदरगाह से मौद्रिक और गैर-मौद्रिक लाभ हो रहा है। इसके साथ ही बंदरगाह के निर्माण में विभिन्न चरणों की समय-सीमा, खर्च और फायदों पर विस्तार से जानकारी दी। दरअसल मई 2016 में प्रधान मंत्री ईरान यात्रा पर गए थे जहाँ उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा यानि चाबहार समझौते की स्थापना के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते में भारत, ईरान और अफगानिस्तान शामिल थे। 

भारत ने शहीद बेहेस्ती टर्मिनल, चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए 85 मिलियन अमरीकी डॉलर की कुल अनुदान सहायता और 150 मिलियन अमरीकी डॉलर की ऋण सुविधा देने का वचन दिया है साथ ही साथ अन्य उपकरणों की आपूर्ति भी की जा रही है। चाबहार बंदरगाह ने अफगानिस्तान सहित क्षेत्र के भू-आबद्ध देशों (जमीन से घिरे हुए) के लिए बहुत आवश्यक समुद्री पहुंच प्रदान की है और देशों के लिए भारत और वैश्विक बाजार तक पहुंचने का एक अधिक किफायती और स्थिर मार्ग है। अब तक चाबहार बंदरगाह के माध्यम से कुल 25 लाख टन गेहूं और दो हजार टन दाल भारत से अफगानिस्तान भेजी जा चुकी है।

बंदरगाह ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी एहम भूमिका निभाई है, मानवीय सहायता की आपूर्ति को भी सुगम बनाया है। भारत ने 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में 75,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए चाबहार बंदरगाह का उपयोग किया है। 2021 में, भारत ने टिड्डियों के खतरे से लड़ने के लिए ईरान को 40,000 लीटर पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशक की आपूर्ति की है। बंदरगाह का उपयोग मध्य एशियाई देशों द्वारा वैश्विक बाजार तक पहुंचने के लिए भी किया गया है और इस क्षेत्र के व्यापारियों के लिए व्यापार और आर्थिक अवसरों में वृद्धि हुई है।


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