मधुमक्खियां अपने कार्य कौशल से सामाजिकता एवं कार्यकुशलता की प्रेरणा देती है: अनिल कुमार शुक्ला

लखनऊ । ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में आज कुलपति प्रो अनिल कुमार शुक्ला की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के आइक्यूएसी सेल द्वारा 'मधुमक्खी पालन' विषय पर  व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में उद्यमता के अवसरों से अवगत करना था।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ नितिन कुमार सिंह, निदेशक, रायल हनी एवं मधुमक्खी पालन सोसायटी ने बताया कि मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में कई सम्भावनाए है। उन्होंने कहा कि यह  छोटे स्तर से शुरू कर एक बड़े। व्यवसाय में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन के द्वारा शहद, बी वैक्स, पौलन, प्रोपाला आदि प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मधुमक्खी पालन से न केवल शुध शहद प्राप्त होता है पर इस शहद से एनर्जी ड्रिंक, हनी केक, जैम, कैंडी आदि बनाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि बी वैक्स का प्रयोग  कैंडल, साबुन, क्रीम इत्यादि बनाने के लिए भी किया जा सकता है।पौलन के विषय में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण बाज़ार में  इसकी काफी मांग है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो शुक्ला ने कहा कि मधुमक्खियां अपने कार्य कौशल से अच्छा शहद बनाने की ही नहीं सामाजिकता एवं कार्यकुशलता की भी प्रेरणा देती है। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को इस प्रकार के उद्यमी क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने से  उन्हें स्वरोज़गार के नए अवसर मिलेंगे एवं उनमें कार्य कुशलता विकसित होगी। कार्यक्रम की संयोजक प्रोफेसर चंदना डे, निदेशक, आइक्यूएसी सेल ने धन्यवाद देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही मधुमक्खी पालन विषय में एक सर्टिफिकेट कोर्स आरंभ करेगा जिसका लाभ आने वाली सत्र में सभी विद्यार्थी उठा सकेंगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ पूनम चौधरी, विषय प्रभारी, इतिहास विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक उपस्थित रहे।

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