भारतीय हाथियों को लेकर जापानी नागरिकों और बच्चों में दिखा जबरदस्त उत्साह

टोक्यो। अगले वर्ष भारत और जापान अपने कूटनीतिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाएंगे। इसको लेकर दोनों देश अभी से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। ऐसे ही एक कार्यक्रम का नज़ारा जापान के टोयोहाशी शहर में स्थित चिड़ियाघर 'नॉन हॉयो पार्कमें देखने को मिलाजिसमें भारत से जापान भेजे गए 3 हाथियों के स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान जापानी नागरिकों और बच्चों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ भारत के इस कदम को 'पशु कूटनीतिके तौर पर देख रहे हैं।

 

इस सम्बंध में मंगलवार को जापान स्थित भारतीय दूतवास ने दो ट्वीट कर जानकारी दी। अपने पहले ट्वीट में दूतवास ने लिखा कि "17 जुलाई को राजदूत संजय कुमार वर्मा जापान के टोयोहाशी शहर में स्थित चिड़ियाघर 'नॉन हॉयो पार्कपहुंचेजहां उन्होंने 3 भारतीय हाथियों 10 वर्ष के द्रोण, 8 वर्ष के चंपक और 6 वर्ष की भवानी के स्वागत में आयोजित समारोह में हिस्सा लिया।" ट्वीट में ये भी बताया गया कि ये हाथी भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर जिले में स्थित चिड़ियाघर से भेजे गए थेजो अब नॉन हॉयो पार्क में रहने को अभ्यस्त हो गए हैं।

 

अपने दूसरे ट्वीट में दूतावास ने लिखा कि "राजदूत वर्मा ने अपने संबोधन के दौरान भारत की पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक प्रतीकों में हाथियों क्या महत्व है इस पर प्रकाश डाला।" दूतावास ने आगे लिखा कि "उन्होंने बताया कि जापानी स्कूल के बच्चों के अनुरोध पर पहली बार भारतीय हाथी इंदिरा को 1949 में भारत से जापान भेजा गया था। इस तरह से भारत-जापान दोस्ती में हाथी की बहुत प्यारी भूमिका है।" 


नेहरू ने भेजा था पहला हाथी

 

जापान को पहला हाथी भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1949 में भेजा था जिसका नाम इंदिरा था। उन्होंने यह हाथी जापानी बच्चों के अनुरोध पर भेजा थाजिसे जापान की राजधानी टोक्यो में स्थित यूनो चिड़ियाघर में रखा गया था। हाथी भेजने के साथ ही नेहरू ने एक पत्र भी भेजा थाजिसमें उन्होंने लिखा था कि इंदिरा भारत के बच्चों की ओर से सभी जापानी बच्चों के लिए एक उपहार है। इससे उन जापानी लोगों के जीवन में प्रकाश की किरण आएगीजो अभी भी युद्ध में हार से उबर नहीं पाए हैं। इसके वर्ष बाद 28 अप्रैल, 1952 को दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए।


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