कृषि कार्यों में नवीनतम तकनीक का अधिकाधिक उपयोग लाभकारीः आनंदीबेन पटेल


 लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन लखनऊ से ऑनलाइन उदयभाण सिंह क्षेत्रीय प्रबंध संस्थान, गांधीनगर गुजरात के पीजीडीएम एवं एबीएम 2021-23 के प्रवेश सत्र का शुभारम्भ करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में खेती का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत के उद्योग जगत से लेकर कृषि के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तक खेती महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सभी की जरूरतों के लिए अनाज, दलहन, खाद्य तेल, दूध, मछली इत्यादि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। राज्यपाल ने कहा कि पूरे विश्व का लगभग पच्चीस प्रतिशत अनाज का उत्पादन भारत में होता है।

राज्यपाल ने कहा कि भारत ने पूरे विश्व को दूध उत्पादन और विपणन के क्षेत्र में ‘अमूल’ मॉडल दिया है। ‘अमूल’ मॉडल पर आधारित ग्रामीण रोजगार की गतिविधि विकासशील और अविकसित देशों के लिए वरदान साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा किसानों को उनकी मेहनत का उचित लाभ दिलवाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई गई है और उनका अमलीकरण अलग-अलग चरण में हो रहा है। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीदी, रियायती दर पर खाद, बीज और दवाइयों की उपलब्धता, जिला और तालुका स्तर पर अनाज बेचने के लिए मंडियो की व्यवस्था आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आज देश को खेती के क्षेत्र में पढ़े-लिखे व्यवसायिक ज्ञान रखने वाले एग्रीकल्चर स्नातक की आवश्यकता है।

श्रीमती पटेल ने कहा कि जिन राज्यों में रासायनिक खेती पर ज्यादा जोर दिया गया, उन राज्यों में खेती की उत्पादकता में कमी आई है। इसलिए भविष्य में किसानों को जैविक खेती की ओर ध्यान देना चाहिए। भारतीय बाजार में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी जैविक खेती से उत्पादित अनाज, फल और सब्जियों की मांग ज्यादा है और खरीददार इसके लिए अधिक मूल्य भी चुकाते हैं। उन्होंने कहा कि पढ़े लिखे कृषक परिवार से जुड़े लोगो को खेती करने से पहले वर्तमान और भविष्य की मांग को ध्यान में रखना चाहिए, जिससे उत्पादित माल का उचित मूल्य मिल सके।

राज्यपाल  ने कहा कि वर्तमान कोविड की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए किसानों को सामूहिक रूप से संग्रहन, परिवहन और बेचने की व्यवस्था करने की आवश्यकता महसूस हो गई। उन्होंने कहा कि केन्द्र तथा राज्य सरकार किसान उत्पादक संगठन पर ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ताकि किसान सामूहिक रूप से अपने खेती के उत्पादों को स्थानीय बाजार के साथ औद्योगिक इकाईओं को भी बेच सकें। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पूरे देश में वर्ष 2024 तक दस हजार एफ.पी.ओ. को खड़ा करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि देश के अनेक हिस्सों में किसानों का समूह कृषि उत्पाद को अपने राज्य के अन्दर व राज्य से बाहर बेचने में सफल रहे है।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही