एमिटी में स्टडीज ऑफ ह्यूमैनिटी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज ‘एमिटी यूनिवर्सिटी‘ लखनऊ कैंपस द्वारा नैरेटिव्स ऑफ ट्रबल्ड् टाइम्स रिफ्लेक्शन इन स्टडीज ऑफ ह्यूमैनिटीज विषय पर नवां अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का ऑनलाइन आयोजन मुगला सीतकी कोकमैन यूनिवर्सिटी तुर्की के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम में एलायंस डी फ्रांसेइस यस जर्मनी, पीएफएच यूनिवर्सिटी और कील यूनिवर्सिटी जर्मनी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने हिस्सा लिया।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से गणमान्य व्यक्तियों जैसे लोक प्रशासन विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के हेड डिपार्टमेंट प्रो मनोज दीक्षित, एमएसके विश्वविद्यालय तुर्की से प्रो. नेविदे अकपिनार डेलल, डॉ. सेवल अयने कराकाबे, प्रो. डॉ. सिग्डेम पाला, एलायंस डी फ्रेंसाइस से मैरीलाइन लैडेन, और  पीएफएच विश्वविद्यालय से स्टीफन जैमिट आदि ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस के प्रो वीसी प्रो डॉ सुनील धनेश्वर ने सभी का स्वागत किया। एमिटी स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज की निदेशिका प्रो डॉ कुमकुम रे ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को सम्मेलन के उद्देश्य और विषयवस्तु से परिचित कराया। 

सम्मेलन में संबोधित करते हुए प्रो. दीक्षित ने अपनी संस्कृतिक जड़ों में वापस जाने के महत्व पर जोर दिया क्योंकि वहां कई समस्याओं के समाधान मिल सकते हैं। उन्होंने आयुर्वेद का उदाहरण देते हुए कहा जब पूरा विश्व महामारी की चपेट में कराह रहा था तब भारतीय आर्युर्वेद के पास समाधान था। दुनियां के सामने योग और भारतीय जीवन पद्धति का महत्व उजागर हुआ। डॉ सेवल ने मुगला सीतकी कोकमैन विश्वविद्यालय पर एक सुंदर प्रस्तुति दी, जबकि डॉ सिग्डेम ने जॉन स्टीनबेक की कृति ग्रैप्स ऑफ क्रैथ के जरिए मुश्किल समय में मानवता की उत्तरजीविता को उत्कृष्ट रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि लोग हमेशा कठिन समय से उबरते रहेे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे। प्रो स्टीफन ज़मिट ने महामारी के दौरान छात्रों और विश्वविद्यालय परिसर में जीवन के लिए नई चुनौतियों पर बात की। मैरीलाइन लैडिन अपने संबोधन में कहा कि कैसे एक अंतर-सांस्कृतिक दृष्टिकोण भाषा सीखने में सहायता करता है। 

सम्मेलन के समापन सत्र में काइल विश्वविद्यालय जर्मनी में शोधकर्ता डॉ अभिषेक कुमार सीईओ यस जर्मनी डॉ. गगन स्याल,  टोर्नाेस के सीईओ प्रतीक हीरा, शिक्षाविद् चंदन सिंह सेंगर और न्यूयॉर्क से प्रो. बिनीता मेहता जैसे वक्ताओं ने छात्रों को जर्मनी, फ्रांस और दुनिया भर में नौकरी के विभिन्न अवसरों के बारे में जानकारी दी। सम्मेलन में जेएनयू के प्रोफेसरों की अध्यक्षता में पेपर रीडिंग सत्र भी आयोजित किया गया।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही