एकेटीयू: द्वारा बीएचयू में दो दिवसीय कार्यक्रम का आज शुभारंभ किया गया

लखनऊ/ वाराणसी (नागरिक सत्ता)। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के वास्तुकला एवं योजना संकाय द्वारा सोमवार को बीएचयू वाराणसी के स्वतंत्र भवन में एकेटीयू के कुलपति प्रो विनीत कंसल की अध्यक्षता में काशीसार दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। 

कार्यक्रम के शुभारम्भ सत्र में पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी एवं प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा अमृत अभिजात बतौर विशिष्ट अतिथि मंचासीन रहे। 

शुभारम्भ सत्र में डॉ नीलकंठ तिवारी ने काशी के पुरातन इतिहास का जिक्र करते हुए इसकी प्राचीनता के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देश में काशी के नव निर्माण हेतु सकारात्मक पहल की गई है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत वाले शहरों के उचित एवं समग्र विकास के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।

इस अवसर पर कुलपति प्रो विनीत कंसल ने अपने स्वागत उद्बोधन में वैज्ञानिक सोच को धरातल पर होने वाले कार्य से जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि एकेटीयू से संबद्ध 750 विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र एवं शिक्षकों को ऐतिहासिक निर्माण कार्यों पर प्रोजेक्ट करने से जोड़ने हेतु कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल द्वारा दीक्षांत समारोह में दिए गए निर्देशों के क्रम में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने विवि ऐसे समस्त ऐतिहासिक धरोहरों के नव निर्मित परिसरों में उपयोग में लाई गई टेक्नोलॉजी से विद्यार्थियों को अवगत कराने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करता रहेगा।

काउंसिल आफ आर्किटेक्चर की उपाध्यक्ष आ. सपना ने सांस्कृतिक विरासतों के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासतों के संरक्षण हेतु जनजागृति सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने ऐतिहासिक शहरों के विकास हेतु उत्तर प्रदेश शासन की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने ऐतिहासिक शहरों के समस्त हितधारकों के विचारों को समाहित करने के लिए भविष्य में इस तरह के अन्य समागम करने योजना भी श्रोताओं के साथ साझा की।

वास्तुकला एवं संकाय एकेटीयू लखनऊ की अधिष्ठाता डॉ वंदना सहगल ने वाराणसी में अपनी पुरानी यात्राओं का जिक्र करते हुए विभिन्न ऐतिहासिक शहरों के ऊपर बनाए अपने कई रंगचित्र प्रदर्शित किए। उन्होंने पंचक्रोशी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वाराणसी में मूर्त और अमूर्त दोनों तरह की धरोहर प्रचुर हैं और उनका सचेत अनुभव केवल वाराणसी में आकर ही हो सकता है।

डॉ अमोघ गुप्ता अध्यक्ष विज्ञान भारती, मध्य भारत ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञान को जनहित हेतु लिपिबद्ध करके जनसुलभ करने पर वह विज्ञान हो जाता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री, प्राविधिक शिक्षा जितिन प्रसाद ने ऑनलाइन माध्यम से अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। विशेष सचिव, प्राविधिक शिक्षा चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने वास्तुकला संकाय, एकेटीयू एवं बीएचयू को कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु विशेष साधुवाद दिया।

कार्यक्रम में विवि के कुलसचिव नंद लाल सिंह, वास्तुकला के विभिन्न संस्थानों के सदस्य एवं 150 से अधिक शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।


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