उप्र में कृषि में विकास की अपार सम्भावनाएंः मुख्यमंत्री

  • मुख्यमंत्री ने ‘रोड मैप फॉर एग्रीकल्चर एण्ड एलाइड सेक्टर्स इन उप्र’ संगोष्ठी को सम्बोधित किया

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। योजना भवन में आयोजित संगोष्ठी ‘रोड मैप फॉर एग्रीकल्चर एण्ड एलाइड सेक्टर्स इन उत्तर प्रदेश’ को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि में विकास की अपार सम्भावनाएं हैं। यहां विश्व की सबसे उर्वर भूमि, पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध है। प्रदेश में 09 क्लाइमेटिक जोन, 89 कृषि विज्ञान केन्द्र, 05 कृषि विश्वविद्यालय हैं। कृषि वैज्ञानिकों, उद्यमियों तथा प्रगतिशील किसानों के सम्मिलित प्रयास से अगले 05 वर्ष में प्रदेश की कृषि सम्भावनाओं को 03 गुना बढ़ाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सर्वविदित है कि देश की प्रगति उत्तर प्रदेश की प्रगति के साथ जुड़ी हुई है। उत्तर प्रदेश समृद्ध होगा तो देश भी समृद्ध होगा। प्रदेश में कृषि सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराता है। सर्वाधिक किसान उत्तर प्रदेश में हैं। कृषि का महत्व सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के दौरान देखा गया। कोरोना कालखण्ड के विगत दो-ढाई वर्षों के दौरान पूरा विश्व कोरोना संक्रमण की चुनौती से जूझता रहा है। इस दौरान अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स में ग्रोथ रेट पर प्रतिकूल असर देखा गया है। निर्माण के क्षेत्र में 50 प्रतिशत तक निगेटिव ग्रोथ दर्ज की गयी। ऐसी स्थिति में भी कृषि सेक्टर में 3.5 प्रतिशत की पॉजिटिव ग्रोथ देखी गयी। यह स्थिति देश व प्रदेश के लिए कृषि के महत्व एवं इसमें विकास की सम्भावनाओं को दर्शाती है।

‘रोड मैप फॉर एग्रीकल्चर एण्ड एलाइड सेक्टर्स इन उत्तर प्रदेश’ विषय पर संगोष्ठी के आयोजन को सकारात्मक पहल बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के विकेन्द्रीकरण का प्रयास किया जाना चाहिए। कृषि विश्वविद्यालय आधुनिक कृषि अनुसंधान के केन्द्र बनें तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों को इनसे जोड़ा जाए। संगोष्ठी के निष्कर्षों को प्रदेश के 9 क्लाइमेटिक जोन्स में पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए। कृषि प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित संस्थाओं एवं वैज्ञानिकों को जनसामान्य से जुड़ना चाहिए, जिससे आम किसान को आधुनिक तकनीक प्राप्त हो सके।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सामान्य किसान के पास प्रायः डेढ़-दो एकड़ कृषि योग्य भूमि होती है। इन लघु किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने में संकोच होता है। प्रदेश सरकार ने राज्य में एफपीओ गठन की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक कृषि के क्षेत्र में कार्य करने वाले उद्यमी किसान मिलकर कार्य करेंगे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप प्रदेश की अर्थव्यवस्था को तेजी से एक ट्रिलियन डॉलर बनाने की ओर अग्रसर किया जा सकता है। विगत 5 वर्षों में प्रदेश एक्सपोर्ट हब के रूप में उभर कर सामने आया है। वर्तमान में राज्य से 1.56 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हो रहा है। जनपद मुरादाबाद के परम्परागत पीतल के उत्पाद को बढ़ावा देने से वर्तमान में वहां से साढ़े नौ करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हो रहा है।

आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ पंजाब सिंह ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान आईसीएआर के डायरेक्टर प्रो एके सिंह ने ‘उ0प्र0 में कृषि उत्थान के नये आयाम’ विषय पर एक प्रस्तुतिकरण भी दिया। कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ पंजाब सिंह, आईसीएआर के डायरेक्टर प्रो एके सिंह एवं अन्य कृषि वैज्ञानिकों को ओडीओपी योजना का उत्पाद प्रदान कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, गन्ना विकास एवं चीनी मिलें मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, मत्स्य मंत्री संजय निषाद, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह, सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयेन्द्र प्रताप सिंह राठौर, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, उद्यमी एवं प्रगतिशील किसान उपस्थित थे। अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी संगोष्ठी में वर्चुअल माध्यम से उपस्थित थे।

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