नारेबाजी और तख्तियां दिखाने से न तो सदस्यों की प्रतिष्ठा बढ़ती है और न ही सदन की गरिमाः ओम बिरला

  • सदन में जितनी अच्छी चर्चा और संवाद होगा, विधान सभा की गरिमा और प्रतिष्ठा में उतनी ही वृद्धि होगीः लोकसभा अध्यक्ष  
  • विधान मंडलों की बैठकों मे सदस्यों की उपस्थिति कम होना चिंता का विषयः लोकसभा अध्यक्ष 

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज उत्तर प्रदेश विधान सभा के नव-निर्वाचित सदस्यों हेतु आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया एवं सभा को संबोधित करते हुए कहा की विधान मंडलों की प्रतिष्ठा और प्रामाणिकता तभी होगी, जब विधान सभा के जनप्रतिनिधियों की अच्छी प्रामाणिकता होगी। सदन में जितनी अच्छी चर्चा और संवाद होगा, विधान सभा की गरिमा और प्रतिष्ठा में उतनी ही वृद्धि होगी। जनप्रतिनिधियों के आचरण और व्यवहार से ही सदन की गरिमा बढ़ती है। इसलिए हमें सदन के अंदर आचरण के उच्चतम मानदंड अपनाना चाहिए और सदन की पवित्रता को कायम रखना चाहिए।

श्री बिरला ने कहा की सदनों के अंदर व्यवधान उत्पन्न करने से या नारेबाजी और तख्तियां दिखाने से न तो माननीय सदस्यों को प्रतिष्ठा बढ़ती है और न ही सदन की गरिमा बढ़ती है। इसलिए, हमें ऐसी प्रथाओं को उत्साहित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा की सदन चर्चा और संवाद के लिए है न की नारेबाजी के लिए।

श्री बिरला ने यह भी कहा की कानून बनाते समय जितनी गंभीर चर्चा होगी, संवाद होगा, उतना ही अच्छा कानून बनेगा और उनसे लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। कानून लोगों के जीवन को परिवर्तित करने के लिए, लोगों का अधिकार देने के लिए और उनके जीवन को सहज और सरल बनाने के लिए होता है। इसलिए कानून जितना सरल और सहज बनेगा, उतना ही सहज और शीघ्र न्याय लोगों को मिलेगा।

सदन में उपस्थिति के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि विधान सभा मे विधायकों की उपस्थिति कम होना चिंता का विषय है। जनप्रतिनिधि सदन में जितनी देर तक बैठेंगे, उतना ही उनको वरिष्ठ एवं अनुभवी विधायकों का मार्गदर्शन मिलेगा और सदन में सार्थक चर्चा और संवाद होंगे। लोकसभा अध्यक्ष ने कानून बनाने के लिए लोगों से इनपुट लेने पर जोर देते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को लोगों से इनपुट लेना चाहिए ताकि उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को विधानों में शामिल किया जा सके।

श्री बिरला ने विधायकों द्वारा प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी डिजिटल युग में जी रहे हैं, जहां सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में होने वाली तीव्र प्रगति ने विधायिका और इसके सदस्यों की भूमिका और कार्यों पर बहुत प्रभाव डाला है। इसने संपूर्ण विश्व के विधान मंडलों के कार्यकरण की शैली को बिल्कुल बदल दिया है। उन्होंने सूचित किया कि ‘एक देश-एक विधायी प्लेटफॉर्म’अर्थात् ई-विधान के द्वारा  पूरे देश के विधान मंडलों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा पोर्टल होगा, जो न केवल हमारी संसदीय प्रणाली को तकनीकी रूप से विकसित करेगा, बल्कि देश की सभी लोकतांत्रिक इकाइयों को परस्पर जोड़ने का कार्य भी करेगा।




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