सात वर्षीय बच्ची के अंगदान से छह साल के लड़के को मिला नया जीवन

  • दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में लखनऊ निवासी लड़के का हुआ प्रत्यारोपण
  • गंभीर बीमारी से जुझ रही बच्ची के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिजनों ने दिखाई हिम्मत

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं और मौत के बाद भी अगर कोई जिंदा रहता है तो वह है दाता के अंग। यह कहावत एक सात वर्षीय नीलम और उसके परिवार पर एकदम सटीक बैठती है। गंभीर चोट के कारण नीलम को ब्रेन डेड   घोषित कर दिया गया। इस दुख की घड़ी में भी परिजनों ने हिम्मत दिखाई और उसके अंगदान करने का फैसला लिया। परिवार ने बच्ची का लीवर और किडनी दान किया। इससे एक छह साल के बच्चे की जान बचाई जा सकी। डॉक्टरों ने उसे नया जीवन दिया है। नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी छह वर्षीय अर्णव का प्रत्यारोपण सफल रहा। दिल्ली में नीलम के परिजनों ने अंगदान किया।

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के सीनियर ‌पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ अनुपम सिब्बल ने बताया कि अर्णव लैंगरहैंस जाइंट सेल हेमोफैगोसाइटोसिस (एलसीएच) से पीड़ित था। एलसीएच एक ऐसा दुर्लभ विकार है जो अस्थि मज्जा और लीवर के साथ साथ एक से अधिक अंगों को प्रभावित कर सकता है। लीवर में स्क्लेरोज़िंग हैजांगाइटिस विकसित हो सकता है जिसकी वजह से फाइब्रोसिस और सिरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है। फाइब्रोसिस या फिर सिरोसिस की वजह से क्रोनिक लीवर फेलियर की स्थिति भी हो सकती है। कीमोथैरेपी के बाद अर्णव का लीवर प्रत्यारोपण होना जरूरी था। उन्होंने कहा कि पूरी टीम यह देखकर खुश है कि अर्णव को नया जीवन मिला है। उसका प्रत्यारोपण सफल रहा और फिर से उसे पहले जैसा स्वस्थ देख सभी काफी खुश हैं।

वहीं इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के लीवर ट्रांसप्लांट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ नीरव गोयल ने कहा “चिकित्सीय समस्याओं के चलते अर्णव के परिजनों के पास सही दाता नहीं था। इसलिए उन्हें एक लीवर का इंतजार था। सौभाग्य से राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोत्तो) से सात साल की बच्ची के अंगदान की सूचना मिली। इसके बाद अर्णव को करीब पांच घंटे के भीतर लखनऊ से दिल्ली सड़क मार्ग के जरिए लाया गया। पुलिस अधिकारियों के साथ साथ एनएचएआई के सहयोग से समय रहते लीवर उपलब्ध हो गया था। हमने रात करीब 10 बजे लीवर ट्रांसप्लांट शुरू किया और देर रात 2 बजे प्रत्यारोपण की प्रक्रिया की गई। सुबह करीब आठ बजे तक चला यह प्रत्यारोपण अंत में सफल रहा। मरीज की पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी असमान थी और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

अर्णव की देखभाल टीम में इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ अनुपम सिब्बल, सीनियर ‌लीवर ट्रांसप्लांट कंसल्टेंट डॉ नीरव गोयल, डॉ अरुण वी, डॉ वरुण एम, डॉ प्रदीप कुमार (सलाहकार), डॉ रमन आर (एनेस्थेटिस्ट), डॉ स्मिता मल्होत्रा ​​​​और डॉ करुणेश कुमार सलाहकार, बाल चिकित्सा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी शामिल थे। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही