विश्वसनीय है हिंदी पत्रकारिता: बृजेश पाठक

  • हिंदी अखबार पढ़ने से ही तृप्त होता है मन: दयाशंकर सिंह

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। यूपी प्रेस क्लब में हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन द्वारा "विश्वसनीय है हिन्दी पत्रकारिता" विषय पर आयोजित संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि हिंदी पत्रकारों की विश्वसनीयता आज भी कायम है। यदि ऐसा नहीं होता तो घरों में हिंदी अखबार लोगों की प्राथमिकता नहीं होते। उन्होंने कहा कि मैं सुबह उठकर सबसे पहले हिंदी के अखबार ही पढ़ता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों को विपरीत परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। 

इस दौरान डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने बताया कि हिन्दी पत्रकारिता का बहुमूल्य पुराना इतिहास है। हिन्दी हमारी मातृ भाषा है। हम आज विभिन्न भाषाओं को जानते हैं। जो हम लोग समाचार पढ़ते है, हिन्दी में ही पढ़ते है। अगर पूरे देश में हिन्दी पत्रकारिता को देखेंगे तो उनका उदय और अंत उत्तर प्रदेश से ही है। चाहे वो बड़े न्यूज चैनल हो या फिर अखबार हो। सबसे ज्यादा खबरें उत्तर प्रदेश से ही होती है। यूपी में एक साथ काम करने का मौका मिला है।अपनी मातृभाषा में खबरें लिखाना ये सब आप करते हैं। खबरों को करते हुए आप सभी को विपरीत परिस्थितियों में भी जाना पड़ता है। 25 करोड़ की जनता को आपके माध्यम से खबरें पढ़ने को मौका मिलता है।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि जहां तक विश्वसनीयता का प्रश्न है । आज कही न कही कमी आई है। हम निराश नहीं हो सकते है। हमारे समाज में अच्छे लोग भी है, और बुरे लोग भी है ।1936 में हिन्दी पत्रकारिता का शुभारंभ हुआ था। देश गुलाम था। अंग्रेजों के शासनकाल में कभी सूर्यास्त नहीं होता था। और उनके खिलाफ लिखना बहुत बड़ी बात होती थी। उनकी पूरी व्यवस्था अत्याचार करने आई थी। आज कलम में बहुत ताकत है। किसी को भी गिरा देना और किसी को भी उठा देना है। आज भी लोग लोहिया को याद करते हैं। ये अवसर 6 साल पहले आया था। जेल से छूटने के बाद मीडिया की कलम के बाद ही मुझे न्याय मिला।आज मैं मंत्री हूँ। मैं सबसे ज्यादा मीडियाकर्मी को महत्व देता हूं। अगर हिन्दी का सम्मान नहीं होगा तो देश का सम्मान नहीं होगा। 

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए आई एफ डब्ल्यू जे के अध्यक्ष के विक्रम राव ने कहा कि हिन्दी अखबारों का दुर्भाग्य है कि उसमें तकनीकी देर से आई। जब टेलीप्रिंटर शुरू हुआ था तब हिन्दी अखबारों में देवनागरी के बजाय रोमन लिपि में खबर भेजी जाती थी। हिन्दी अखबार में मूल लेखन की कमी रही उसमें अनुवाद का चलन था। उस वक्त हिन्दी अखबारों में विदेशी खबरों का अभाव रहता था जो पाठकों के साथ अन्याय था। 

यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष हसीब सिद्दिकी, वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी, प्रदीप उपाध्याय, सुरेश द्विवेदी, लखनऊ मंडल के अध्यक्ष शिवशरण सिंह, प्रेम कांत तिवारी, मनोज मिश्रा, ज्ञानेंद्र शुक्ला, अखण्ड साही, इफ्तिदा भट्टी, देवराज सिंह, अविनाश शुक्ला, अमिताभ नीलम, शैलेन्द्र सिंह, आलोक त्रिपाठी, शिव विजय सिंह, मुकुल मिश्रा, अर्चना गुप्ता, नितिन श्रीवास्तव, अनिल सैनी, कमाल अहमद खान, अमरेंद्र सिंह, विजय त्रिपाठी, राघवेंद्र सिंह, नितिन सिंह, सत्यजीत सिंह, अखण्ड प्रताप सिंह, अजीत कुमार सिंह, उमेश कुमार मिश्रा, शिव नरेश सिंह, अभिषेक शर्मा, शशिनाथ दुबे, अमरेंद्र प्रताप सिंह, अशोक नवरत्न समेत कई पत्रकार मौजूद रहें।


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