यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक को सौंपा 12 सूत्रीय ज्ञापन
लखनऊ (नागरिक सत्ता)। यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के छ: सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने शिव शरण सिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को संबोधित 12 सूत्रीय ज्ञापन उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को सौंपा गया। एक मई को श्रमिक दिवस के अवसर पर प्रेस क्लब में आईएफडब्ल्यूजे एवं यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की विचार गोष्ठी में पत्रकारों की विभिन्न मांगों से संबंधित मुख्यमंत्री को भेजे जाने वाले 12 सूत्रीय प्रस्तावों को पास किया गया था। जिसे आज उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को सौंपा गया है।
यूनियन ने अपने ज्ञापन में राज्य सरकार से अखबारों में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार द्वारा त्रिपक्षीय समिति का गठन करने, पीजीआई में मान्यता प्राप्त पत्रकारों की तरह 1973 के शासनादेश के दायरे में आने वाले सभी श्रमजीवी पत्रकारों को राज्य कर्मियों के समान निशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान की करने, सरकार 1973 के शासनादेश के तहत प्रदेश के सभी श्रमजीवी पत्रकारों को राज्यकर्मियों की तरह है चिकित्सा कार्ड उपलब्ध कराकर उनके निशुल्क इलाज की सुविधा मुहैया कराने, उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति का तुरंत गठन करने, प्रेस काउंसिल भंग कर प्रेस मीडिया काउंसिल का गठन करने, सूचना विभाग द्वारा डेस्क कर्मियों (संपादक से प्रूफफ्रीडर तक) मिलने वाली प्रेस मान्यता बहाल करने, पत्रकारों के उत्पीड़न एवं अन्य शिकायतों के निराकरण के लिए पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा गठित पत्रकार बंधु को पुनर्जीवित करने की गई है।
साथ ही प्रदेश के प्रमुख शहरों में विकास प्राधिकरण एवं आवास विकास परिषद के माध्यम से विकसित हो रही कालोनियों में जनपदों में श्रमजीवी पत्रकारों को लखनऊ के तर्ज पर पूर्व की भांति योजना बनाकर निश्चित संख्या में भूखंड, फ्लैटों का आवंटन प्राथमिकता पर करने, सभी अखबार कर्मियों को सरकारी खर्च पर पांच लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा और श्रमजीवी पत्रकारों को पेंशन की व्यवस्था लागू करने, प्रादेशिक हाईवे पर लगने वाले टोल टैक्स को माफ करने, सरकारी विज्ञापनों का लाभ लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के विज्ञापन के लिए अलग से बजट की धनराशि निश्चित करने, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के दौर में यु-ट्यूब आधारित वेबसाइट लिए प्रदेश स्तर पर नीति तय की जाए और उनसे संबंध पत्रकारों की मान्यता के लिए अहर्ताएं निर्धारित करने सम्बन्धी 12 सूत्री मांगें शामिल हैं।
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