सदनों की कार्यवाही में बाधा दूर करने के लिए अपने सुझाव भेजने का आग्रह: हृदय नारायण दीक्षित

 


लखनऊ (ना.स.)। लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा अपने विगत 2 वर्षों के कार्यअनुभवों एवं विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं, विधान परिषदों के अध्यक्ष, सभापतियों से भी अपने अनुभवों को साझा करने के लिए आज वर्चुअल बैठक बुलायी गयी।

उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने लोक सभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई गयी बैठक में उत्तर प्रदेश का पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से अन्य कई दृष्टियों में भी देश का सबसे बड़ा राज्य है। कोरोना की महामारी ने पूरे देश को प्रभावित किया है। उत्तर प्रदेश भी इस महामारी से प्रभावित हुआ है। उत्तर प्रदेश राज्य सहित अन्य राज्यों के समक्ष संवैधानिक बाध्यता रही जहां 6 महीने व्यतीत होने वाले थे, वहां पर बैठक बुलाया जाना अपरिहार्य था। उत्तर प्रदेश में भी कोरोना के बीच बैठक बुलाये जाने की संवैधानिक अपरिहार्यता बनी।

श्री दीक्षित ने कहा कि उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य था जहां पर 20 अगस्त से 22 अगस्त 2020 तक कोरोना महामारी के बीच बैठक बुलाई गयी। हमारे सामने कोई अनुभव नहीं था। कोरोना के बीच विषम परिस्थितियों में बैठक बुलाये जाने हेतु सामान्य परंपरा के अनुसार सदन के प्रारम्भ होने के पहले बुलाये जाने के स्थान पर 15-20 दिन पहले बैठक बुलाई गयी थी। मुख्यमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री, सभी दलीय नेताओं ने भाग लिया। पक्ष एवं प्रतिपक्ष के साथ व्यापक रणनीति बनाई गई। सदस्यों को एक सीट छोड़कर दूसरी सीट पर बैठाने की व्यवस्था बनाई गयी। इसके अतिरिक्त विधायकों को दर्शक एवं विशिष्ट दीर्घाओं में बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी। पत्रकारों के लिए भी एक कक्ष अलग से निर्धारित किया गया। 65 साल के ऊपर वाले सदस्यों एवं विधान सभा में न आ पाने की स्थिति में रहे विधायकों को वर्चुअल बैठक की व्यवस्था की गई। सदन सुचारू रूप से सुन्दर ढंग से चला। उत्तर प्रदेश द्वारा कोरोना के बीच बैठक के आयोजन का अनुकरण अन्य राज्यों द्वारा भी किया गया। कोरोना महामारी के बीच दुर्भागपूर्ण घटना भी घटी जिसमें 9 साथी विधायकों को खोना पड़ा। जिसमें 3 मंत्रिमण्डल के सदस्य थे। विधान सभा के एक अधिकारी एवं एक कर्मचारी को भी कोरोना के बीच खोया।


उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश की कार्यवाही के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि विधायी सदन 2019-20 एवं 2020-21 विशेष रूप से स्मरणीय रहा। 2019-20 में साल भर में 6 बैठके आहूत की गयी। प्रथम सत्र के अतिरिक्त राज्यपाल द्वारा संवेत सदन को 2 बार सम्बोधित किया गया। प्रथम बजट सत्र पर एवं द्वितीय संविधान दिवस पर। 

वर्ष 2019-20 में 242 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया। कार्यवाही 143 घण्टे 51 मिनट चली। 2021 में 116 सदस्यों ने भाग लिया। 65 घण्टे 31 मिनट तक सदन की कार्यवाही चली। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन एवं विशेष रूचि लेने पर 3 बार विशेष सत्र चलाया गया। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 जयंती के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र संघ के 17 सतत विकास के कार्यक्रमों के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु 36 घण्टे का रातो-दिन निरंतर सदन चला। संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास के 17 लक्ष्यों पर चर्चा हुई।

26 नवम्बर को संविधान अंगीकृत करने की तिथि को संविधान की उद्देश्किा एवं मूल कर्तव्यों पर विचार विमर्श करने के लिए विशेष बैठक आहूत हुई। इसी तरह 31 दिसम्बर 2019 को संविधान का 126 संशोधन विधेयक आरक्षण के संसद के द्वारा पास किये गये संविधान संशोधन के अनुसमर्थन में बैठक बुलाई गयी। उत्तर प्रदेश विधान सभा से 2019-20 में 58 एवं 2021 में मात्र 10 दिनों के उपवेशन में कुल 18 विधेयक पारित हुए।

श्री दीक्षित ने सदनों की कार्यवाही में बाधा दूर करने के लिए गठित समिति के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि अन्य विधान सभाओं की तरह उत्तर प्रदेश में भी राज्यपाल के अभिभाषण पर हो-हल्ला, हाउस के वेल में जाकर कार्यवाही के संचालन में व्यवधान एवं निरंतर प्रश्न काल को बाधित करना आदि की समस्याएं रही है। सदन के भीतर विचार-विमर्श प्रेमपूर्ण एवं प्रीतिपूर्ण हो और सदस्यगण अपनी-अपनी बात शालीनता और सुन्दर ढंग से रख सके इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष ने समिति का गठन किया। उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष को उसका अध्यक्ष एवं 6 राज्यों के अध्यक्षों को सदस्य मनोनीत किया गया है। लोकसभा के अध्यक्ष की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके द्वारा विगत दो साल के कार्यकाल में कार्यवाही सुचारू रूप से चले इसके लिए कई अभिनव प्रयोग किये है और अनेकों बार अनेक स्तरों पर विचार-विमर्श किया है।

श्री दीक्षित ने कहा कि सदनों की कार्यवाही में बाधा दूर करने के लिए प्रकारांतर में बैठके हो चुकी है। सुझाव भी आए है। कोरोना महामारी के कारण बैठकों के आयोजन में कठिनाई के कारण कुछ विलम्ब अवश्य हुआ। समिति यथाशीघ्र अपने निर्णय को अंतिम रूप देते हुए लोक सभा अध्यक्ष को अपनी संस्तुति भेजेंगे।

अध्यक्ष ने कहा कि इस बीच कई विधान सभाओं में चुनाव हुए जिसमें कई नए अध्यक्ष निर्वाचित हुए है। उन्होंने देश के सभी विधान सभा एवं विधान परिषद के सदस्यों से आग्रह किया की सदनों में कार्यवाही में बाधा दूर करने के लिए गठित समिति के पास अपने-अपने सुझाव लिखकर भिजवाने की कृपा करें, जिससे व्यापक रूप से विचार कर निर्णय लेने का अवसर प्राप्त हो सके।

 इस वर्चुअल बैठक में असम, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा, राजस्थान आदि विधान सभाओं के अध्यक्षों एवं विधान परिषद के सभापतियों एवं अन्य विधान सभाओं सहित 31 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही