राज्य परिवहन निगम में 118 करोड़ के घोटाले के जांच की मांग
महालेखाकार ने अपने रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तर प्रदेश वस्तु के खरीद नियमावली के प्रस्तर 3.4, 3.5(2) तथा 8.8(1) के अनुसार 25 लाख से ऊपर के सामान के लिए प्रत्येक दशा में खुली निविदा की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके विपरीत हाई स्पीड डीजल जो निगम द्वारा प्रत्येक वर्ष लगभग 1000-1200 करोड़ की धनराशि तक क्रय किया गया। जो 12 सितम्बर 2008 को आईओसी से किये गए करार को लगातार विधिविरुद्ध एवं नियमविरुद्ध ढंग से आगे बढ़ाया गया और वर्तमान में यह करार 31 मार्च 2022 तक लागू है, जो प्रदेश की निविदा नीति का पूर्ण उल्लंघन है।
इससे निगम को प्रत्येक स्तर पर भारी क्षति पहुंची है। जहाँ अन्य राज्यों ने सही ढंग से निविदा प्रक्रिया का पालन कर आयल कंपनियों से भारी सहूलियत एवं रियायत ली, वहीं यूपी में यह लाभ नहीं मिला। साथ ही निगम ने शासन के सामने भी झूठे तथ्य प्रस्तुत किये और कोई अन्य कंपनी के सामने नहीं आने की बात बताई। जबकि इस दौरान सरकारी कंपनी भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. तथा निजी कंपनी एस्सार सहित तमाम कम्पनियाँ बेहतर दर पर हाई स्पीड डीजल सप्लाई करने को तैयार थीं। अमिताभ तथा नूतन ने इसे गंभीर भ्रष्टाचार बताते हुए उच्चस्तरीय जाँच व कार्यवाही की मांग की है।
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