नई शिक्षा नीति से शिक्षा के नए आयाम स्थापित होंगेः राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

 

लखनऊ। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के 25 वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति एवं राज्यपाल  आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मेरे लिए गर्व का विषय है कि आज मुझे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रणेता वीरांगना लक्ष्मीबाई की क्रांतिधरा पर स्थित इस बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के 25 वें दीक्षान्त समारोह को   संबोधित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष एवं दीक्षांत पर्व अपने साथ एक नयी चुनौती तथा नयी संभावना लेकर आता है। जिन स्नातकों ने इस अवसर पर पदक एवं पुरस्कार प्राप्त किये हैं उनको मेरी विशेष शुभकामनायें! मुझे पूर्ण विश्वास है कि नए समाज और नए भारत के निर्माण में आप अपना योगदान देंगे। मैं उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले स्नातकों के अभिभावकों को भी बधाई देती हूँ, जिनके अथक योगदान ने उन्हें यह उपाधि एवं पदक प्राप्ति का अवसर प्रदान किया है। राज्यपाल ने कहा कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय स्वावलंबन एवं बहु-आयामी विकास का प्रतीक है। विश्वविद्यालय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों जैसे शोध, तकनीकी, कृषि एवं सामाजिक विकास, न्याय व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा, खेल प्रशिक्षण संस्थानों एवं शिक्षण सस्थानों हेतु दक्ष मानव संसाधनों की उपलब्धि सुनिश्चित कर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक एवं तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का पहला संस्थान है। मुझे यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि विश्वविद्यालय पूर्णतया वेब संचालित है और परीक्षा के दस्तावेजों का डिजिटाइजैशन किया जा चुका है। विश्वविद्यालय परिसर सर्विलांस सिस्टम द्वारा सुरक्षित एवं नियंत्रित है। विश्वविद्यालय परीक्षा प्रणाली की शुचिता एवं गरिमा बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।विश्वविद्यालय में प्रदेश की सबसे आधुनिक शोध सुविधा इनोवेशन सेंटर द्वारा अनेक शोध एवं औद्योगिक संस्थानों के साथ अनुबंध किये जा रहे हैं ताकि पारस्परिक प्रयासों द्वारा विज्ञान और तकनीक का विकास हो।विश्वविद्यालय कोविड 19 के पश्चात ऑफ लाइन कक्षाएं संचालित करने वाले संस्थानों में अग्रणी रहा है।

राज्यपाल ने कहाकि विभिन्न उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है जो संभावनाओं एवं उपलब्धियों के नए क्षितिज छूने को आतुर हैं। किसी छात्र के जीवन में दीक्षांत एक प्रमुख उपलब्धि है, जो उच्च शिक्षण तथा व्यावसायिक जगत के मार्ग की ओर उन्मुख करती है। जीवन ज्ञान प्राप्ति की अनंत यात्रा है और इस यात्रा के लिए हमें सदैव जिज्ञासा, जोश एवं ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि प्रिय विद्यार्थियों, हम वैश्विक समाज के ज्ञान युग के दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए जीवन में सफल होने के लिए तकनीकी, अवधारणात्मक एवं मानवोचित गुण एवं कुशलता अनिवार्य हैं। यह तभी संभव है जब पाठयक्रम एवं शिक्षण पद्धति ऐसी हो जो छात्रों का भौतिक, बौद्धिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मक विकास सुनिश्चित करे। बहुमुखी व्यक्तित्व विकास के लिए शिक्षा में छह आयामों का समावेश अनिवार्य है। उन्होंने सभी छह आयामों की विस्तृत समीक्षा करते हुए उपस्थित छात्र-छात्राओं को इसके बारे में बताया।  

राज्यपाल ने कहा कि मुझे बताते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भाषा, सभ्यता, संस्कृति, सामाजिक मूल्यों को समुचित महत्व मिला है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विजन भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए नए आयाम स्थापित करने का अवसर है।  राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप भारतीय है। यह पूरी तरह से भारत की भारतीय शिक्षा नीति है। नीति के सफल अमल से भारतीय ज्ञान के साथ-साथ भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार विद्यार्थियों में स्किल विकसित होगा, जो बहुमुखी प्रतिभा संपन्न युवाशक्ति का निर्माण करेगा।



      


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