नेपाल में भूकंप से तबाह मंदिरों एवं सांस्तकृतिक विरासतों का जीणोद्धार कराएगा भारत
दो मंदिरों और धर्मशाला के निर्माण पर भारत सरकार खर्च करेगी 88 करोड़ रुपये
नेपाल स्थित भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर
बताया कि समझौते पर नेपाल के राष्ट्रीय पुनर्निर्माण प्राधिकरण के सीएलपीआईयू
(भवन) के परियोजना निदेशक और भारतीय दूतावास के विकास भागीदारी और पुनर्निर्माण
विंग के प्रमुख डा. प्रफुल्लचंद्र शर्मा ने हस्ताक्षर किए। जिसके तहत मछिंद्रनाथ
मंदिर का जीर्णोद्धार, बुढ़ानीलकुंठ में धर्मशाला का निर्माण
और ललितपुर जिले में स्थित नेपाल की 'कुमारी' यानी 'जीवित देवी'
के निवास का संरक्षण और विकास किया
जाएगा।
मछिंद्रनाथ मंदिर के जिणोद्धार पर 39 करोड़ रुपये
मध्य काठमांडू में स्थित नाथ सम्प्रदाय के
गुरुओं में से एक गुरू मछिंद्रनाथ का मंदिर नेपाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक
है। जिनकी पूजा हिंदू और बौद्ध समान रूप से करते हैं। इस मंदिर के पुनर्निर्माण पर
भारत सरकार 39 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
बुढ़ानीलकुंठ मंदिर के पास धर्मशाला का निर्माण
नेपाल की राजधानी से 10 किलोमीटर दूर शिवपुरी में स्थित
बुढ़ानीलकुंठ मंदिर में भगवान विष्णु की शयन प्रतिमा विराजमान है जो लोगों को अपनी
ओर आकर्षित करती है। यह मंदिर अपनी नक्काशियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां पर
धर्मशाल के निर्माण के लिए भारत सरकार लगभग 21
करोड़ रुपये खर्च करेगी।
नेपाल की 'कुमारी' यानी 'जीवित देवी' के निवास का संरक्षण
ललितपुर जिले में नेपाल की 'कुमारी' यानी 'जीवित देवी' के निवास के संरक्षण और विकास पर भारत
सरकार 28 करोड़ रुपये खर्च करेगी। हिंदू और
बौद्ध धर्म से जुड़ी साझा परंपराओं से बंधी 'जीवित
देवियों' की नेपाल में काफी मान्यता है। नेपाल
के लोग यह मानते हैं 'जीवित देवियां' आपदाओं में उनका साथ देती हैं। इस
मान्यता की शुरुआत 17वीं शताब्दी से हुई थी।
सांस्कृतिक विरासतों के पुनिनिर्माण पर भारत खर्च कर रहा 50 मिलियन अमेरिकी डालर
बता दें कि नेपाल में 2015 में आए भूकंप में काफी जान माल का
नुकसान हुआ था, जिसमें आठ जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
हुए थे। बाद में भारत सरकार और नेपाल के बीच भूकंप प्रभावित आठ जिलों में
सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और बहाली के लिए एमओयू साइन हुआ था। जिसके तहत भारत, नेपाल में सांस्कृतिक विरासतों के
जीणोद्धार पर 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च कर रहा है।
ये तीनों परियोजनाएं भी इसी समझौते का हिस्सा हैं। इससे पहले नवंबर 2019 में भारत ने 1.3 करोड़ रुपये की लागत से बुढ़ानीलकुंठ
मंदिर के लिए मातादिश भवन बना चुका है।
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