तकनीक के क्षेत्र में कुछ बेहतर और नया करेंगे तभी हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ेगें: आनंदीबेन पटेल

डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय का 18वां दीक्षान्त समारोह 


अखिलेश पाण्डेय

लखनऊ। दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के लिए तो विशिष्ट अवसर होता ही है, परन्तु उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए भी यह महत्वपूर्ण क्षण है। विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं को इस कामना के साथ उपाधि प्रदान करता है कि उसके द्वारा तैयार किया गया ‘मानव-संसाधन’ अब राष्ट्र की प्रगति में सकारात्मक योगदान प्रदान करेगा। निश्चित रूप से यह सभी के लिये गौरव प्रदान करने वाला समय होता है। 

उक्त विचार डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के 18वें दीक्षान्त समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने व्यक्त किये। उन्होंने इस अवसर पर 90 पीएचडी उपाधियां तथा 65 मेधावियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रदान किये। 

इस अवसर पर राज्यपाल ने पूर्व प्राविधिक शिक्षा मंत्री स्वर्गीय कमला रानी वरूण की स्मृति में शुरू किये गये पुरस्कार को अनुसूचित वर्ग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्रा ऋतु वर्मा को दिया, जबकि सभी पाठ्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्रा सृष्टि सिंह को स्वर्ण पदक प्रदान किया। उन्होंने वरिष्ठ पर्यावरण विद् एवं समाजसेवी पद्म भूषण डाॅ0 अनिल कुमार जोशी को पर्यावरण एवं समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये डाक्टर आफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया।

राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब हम तकनीक के क्षेत्र में कुछ बेहतर और नया करेंगे तभी हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढं़ेगे। विश्व के तेजी से बदलते दौर में आत्मनिर्भरता का महत्व बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी के क्षेत्र में रचनात्मक कार्य की बहुत सम्भावनाएं हैं। इस दृष्टि से हमारे तकनीकी विश्वविद्यालय केवल शोध और डिग्री बांटने का ही कार्य न करें, बल्कि कौशल विकास पर भी ध्यान दें। कौशल विकास का मतलब है कि युवाओं को हुनरमंद बनाने के साथ उन्हें बाजार के अनुरूप तैयार करना। इसके साथ ही पूरे भारत में महिलाओं को आगे लाने सशक्त करने तथा आत्मनिर्भर बनाने का कार्य भी शिक्षण संस्थाओं का है। इन प्रयासों को कारगर करने में स्वयं सहायता समूहों का विशेष महत्व है जिनके माध्यम से महिलाएं आगे बढ़ रही हैं तथा आत्मनिर्भर बन रही हैं। 

शिक्षण संस्थाओं का दायित्व बनता है कि उनके लिये विशेष प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार किये जाने चाहिये जो ग्रामीण गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने मे सक्रिय सहयोग कर सकें और ये कार्य हमारे छात्र जिन्होंने आज डिग्री प्राप्त की है, वह ग्रामीण गरीब महिलाओं, कुपोषित बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य आसानी से कर सकते हैं। अतः आप सभी गांव के समग्र विकास का हिस्सा बनें और अपना योगदान दें। राज्यपाल ने कहा यह विलासिता से सम्भव नहीं है। अतः सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिये विश्वविद्यालयों में विस्तृत चर्चा होनी चाहिये, क्या करें, क्यों करें और कैसे करें, इस पर गहन विचार-विमर्श यदि किया जायेगा तो निश्चय ही विकास का रास्ता खुलेगा तथा शिक्षा एवं तकनीक का प्रयोग करते हुये भी अनेक स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को सामाजिक सरोकारों से जुड़े पहलुओं की शिक्षा भी बच्चों को दी जानी चाहिए। सामाजिक समरसता बढ़े, इसलिए छात्रों को जेलों, नारी निकेतन आदि का भी भ्रमण करायें ताकि वे जान सकें कि जो विभिन्न अपराधों के कारण जेल में सजा काट रहे हैं। उनके समय ऐसे क्या कारण उत्पन्न हो गये कि वे अपराध कर बैठे। इस प्रकार के अनुभव जब बच्चों को मिलेगा तो वह इस प्रकार का अपराध करने से बचेंगे और हमारी अगली पीढ़ी स्वस्थ, संबल तथा उच्च कोटि की मनासिकता के साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हमें अपनी बेटियों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से सशक्त बनाना है। अतः बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिये हर सम्भव उपाय करें। राज्यपाल ने कुलपति को विश्वविद्यालय में पढ़ रही समस्त छात्राओं की रक्त जांच कराने का निर्देश दिया। राज्यपाल ने पुस्तक ‘अलंकृत मातृ शक्ति’, एल्युमिनाई ब्रूसर तथा एल्युमिनाई सेल पोर्टल का विमोचन किया तथा एकेटीयू परिसर स्थित सेंटर फार स्टडी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब का उद्घाटन भी किया।

राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय शोध, शिक्षा एवं नवाचारों के अतिरिक्त सामाजिक कार्यों में भी अहम् भूमिका का निर्वाह रहा है। विश्वविद्यालय तथा सम्बद्ध संस्थानों ने कुपोषित एवं टीबी ग्रस्त बच्चों को गोद लेकर उनके पुनर्वास के सफल प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने प्रदेश में एनीमिया के विरुद्ध प्रतिबद्धता से कार्य करने के लिए ‘जान है तो जहान है’ जैसे प्रासंगिक कार्यक्रम का आयोजन कर इस क्षेत्र में कार्य करने की प्रतिबद्धता प्रकट की है। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गये क्षय रोग ग्रसित बच्चों, श्रीराम अनाथालय के बच्चों तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर के बच्चों को उपहार प्रदान किये।  

हमें प्रकृति के विज्ञान को समझना चाहिए

दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि पद्मभूषण, पर्यावरणविद् एवं समाजसेवी डाॅ0 अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि प्रकृति सर्वोपरि है। अतः हमें प्रकृति के विज्ञान को समझना चाहिए। हम दुनिया में अपने को विशिष्ट रूप से स्थापित कर चुके हैं। सुविधाओं से कभी भी कुछ नहीं सीखा जा सकता है। हम सीखते हैं तो सिर्फ कष्ट व आपदाओं से। अतः आज जिन्होंने उपाधियों प्राप्त की हैं, वे जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर बनें। आत्मनिर्भरता आत्मसम्मान से जुड़ी है। यह तभी है जब हम अपने पैरों खड़े हैं। यह देश साढ़े छः लाख गांवों का है। आपसे अपेक्षा करता है कि आप ग्रामोन्मुखी बनें। ये गांव ही देश के पैर हैं इन्हें मजबूत करें, गांव के समग्र विकास का हिस्सा बनें, अपना योगदान दें। कोरोना के समय सभी वर्गों को जो सबसे सुरक्षित जगह लगी वह भी हमारा घर और हमारा गांव। इसलिए अपनी समृद्धि के साथ अपने गांव-गिरांव को जोडें। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक ने वार्षिक लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह, अपर मुख्य सचिव प्राविधिक शिक्षा राधा एस0 चैहान, कुल सचिव नन्द लाल सिंह, शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।


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