कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट की रोकः बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी गठित

 

अखिलेश पाण्डेय

लखनऊ/दिल्ली। कृषि कानूनों के लागू होने के लगभग तीन महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके अमल पर रोक लगा दी है, और किसानों से बातचीत करने के लिए 4 सदस्यों की कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी के रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट अपना निर्णय देगी। कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के प्रेसिडेंट जितेंद्र सिंह मान, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट अशोक गुलाटी, शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र के अनिल धनवत, को शामिल किया गया है। 

नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली अर्जियों पिटीशनर वकील एमएल शर्मा ने बहस के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई जाने वाली कमेटी के सामने पेश होने से किसानों ने इनकार कर दिया है। किसानों का कहना है कि चर्चा के लिए तमाम लोग आ रहे हैं, प्रधानमंत्री चर्चा के लिए सामने क्यों नहीं आ रहे हैं। बहस के दौरान चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि हम उन्हें नहीं बोल सकते, इस मामले में वे पार्टी नहीं हैं। प्रधानमंत्री के ऑफिशियल यहां पर मौजूद हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून के अमल को अभी सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन बेमियादी तौर पर नहीं। हमें कमेटी में यकीन है और हम इसे बनाएंगे। यह कमेटी न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी। कमेटी इसलिए बनेगी ताकि तस्वीर साफ तौर पर समझ में आ सके। हम यह दलील भी नहीं सुनना चाहते कि किसान इस कमेटी के पास नहीं जाएंगे। हम मसले का हल चाहते हैं। अगर किसान बेमियादी आंदोलन करना चाहते हैं, तो करें। जो भी व्यक्ति मसले का हल चाहेगा, वह कमेटी के पास जाएगा। कमेटी किसी को सजा नहीं सुनाएगी, न ही कोई आदेश जारी करेगी। वह सिर्फ हमें रिपोर्ट सौपेंगी। यह राजनीति नहीं है। राजनीति और ज्यूडिशियरी में फर्क है। आपको सहयोग करना होगा।

बहस के दौरान एमएल शर्मा की दलील, नए कृषि कानून के तहत अगर कोई किसान अनुबंध  करेगा तो उसकी जमीन भी बेची जा सकती है। यह मास्टरमाइंड प्लान है। कॉर्पोरेट्स किसानों की उपज को खराब बता देंगे और हर्जाना भरने के लिए उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ जाएगी, इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम अंतरिम आदेश जारी करेंगे कि कॉन्ट्रैक्ट करते वक्त किसी भी किसान की जमीन नहीं बेची जाएगी। भारतीय किसान यूनियन भानू के वकील एपी सिंह ने किसानों की बात रखते हुए कहा कि वे बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों को वापस भेजने को तैयार हैं। चीफ जस्टिस ने इस बात की तारीफ करते हुए कहा कि हम इसे रिकॉर्ड में लेंगे। किसान संगठनों के वकील विकास सिंह ने कहा कि किसानों को अपने प्रदर्शन के लिए रामलीला मैदान या बोट क्लब पर प्रदर्शन की मंजूरी मिलनी चाहिए। इस बात पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम अपने आदेश में कहेंगे कि किसान दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से रामलीला मैदान या किसी और जगह पर प्रदर्शन के लिए इजाजत मांगें। चीफ जस्टिस ने अटाॅर्नी जनरल से कहा कि एक अर्जी में कहा गया है कि एक प्रतिबंधित संगठन किसान आंदोलन में मदद कर रहा है क्या आप इसे मानते हैं? इस पर अटॉर्नी जरनल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि आंदोलन में खालिस्तानियों की घुसपैठ हो चुकी है।


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