यूपी मेडिकल एजुकेशन का बुरा हाल, बिना फीस निर्धारण के ही शुरू करा दी गयी नीट की काउंसलिंग

  • डीजी पद पर आईएएस बैठाने के बाद भी नहीं सम्हल रहा विभाग
  • दो साल पुरानी 2021-22 फीस को 2023-24 में भी लागू करने का फरमान 

नागरिक सत्ता ब्यूरो

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में एमबीबीएस और बीडीएस की पढ़ाई के लिए तमाम नये मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं एवं प्रवेश प्रक्रिया को आनलाईन करने की पूरी व्यवस्था की गई है उसके बावजूद चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश में एमबीबीएस एवं बीडीएस के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट-2023 की काउंसलिंग को लेकर फीस का निर्धारण न करने से प्राइवेट मेडिकल कालेजों एवं अभ्यर्थियों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। 

आपको बताते चलें कि प्रतिवर्ष नीट की काउंसलिंग को शुरू कराने से पहले चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा प्राइवेट मेडिकल कालेजों से उनके कालेज संचालित करने में आने वाले सम्भावित खर्चे को देखते हुए फीस का प्रस्ताव मांगा जात है तत्पश्चात एक्सपर्ट कमेटी द्वारा प्रस्ताव का निरीक्षण करने के उपरांत प्रमुख सचिव मेडिकल एजुकेशन के द्वारा फीस निर्धारण का आदेश जारी किया जाता है। उसके बाद काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

इस बार महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा द्वारा नीट काउंसलिंग के प्रथम चरण के लिए 25 जुलाई से 8 अगस्त के बीच में क्रमशः रजिस्ट्रेशन, च्वाइस फिलिंग और प्रवेश के लिए समय सीमा निर्धारित कर दिया गया। बच्चों ने रजिस्ट्रेशन कराना शुरू कर दिया और सिक्यूरिटी मनी जमा कर च्वाइस फिलिंग में गये तो वहां अल्पसंख्यक का दर्जा ही नहीं दिख रहा था साथ ही फीस निर्धारित न होने से उन्हेें कितने का डिमांड ड्राफ्ट बनवाना है इन सब दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इन सब परेशानियों को देखते हुए कुछ प्राईवेट मेडिकल कालेजों द्वारा फीस निर्धारण के लिए उच्च न्याायालय की शरण लेनी पड़ी। 2 अगस्त को प्राईवेट मेडिकल कालेजों द्वारा रिट् दाखिल करने के बाद प्रमुुख सचिव चिकित्सा शिक्षा द्वारा आनन फानन में एक लेटर जारी कर वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित की गयी फीस को इस वर्ष 2023-24 के लिए भी लागू कर ट्वीटर पर पोस्ट कर दिया गया। अब दो साल पुरानी फीस को बिना किसी बढ़ोत्तरी के लागू करने कर फरमान मेडिकल कालेजों वालों को हजम नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि दो वर्षों में महंगाई दर डेेढ़ गुना बढ़ गयी है। फीस को बिना बढ़ोत्तरी के लागू करने मेडिकल कालेज में होने वाले खर्चे को कैसे वहन किया जाएगा।  

महानिदेश चिकित्सा शिक्षा के पद पर सरकारी मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्यों की नियुक्ति होती थी। इस सरकार में पिछले लगभग दो वर्षों से इस पद पर आईएएस की पोस्टिंग हो रही है ताकि व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त रखा जा सके। इसके बाद भी नीट जैसी नीट जैसी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर इस तरह की लापरवाही विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रही है। 

एडवोकेट अमित जायसवाल 

प्राइवेट मेडकल कालेजों के उच्च न्यायालय लखनऊ में अधिवक्ता अमित जायसवाल ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि विभाग द्वारा बिना फीस निर्धारण के नीट की काउंसलिंग शुरू करा दी गई है जिसकी वजह से हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। एडवोकेट श्री जायसवाल ने कहा कि अभी हाल ही में आंध्र प्रदेश में भी प्राइवेट मेडिकल कालेजों की फीस का निर्धारण नहीं किया गया था जिसको लेकर मेडिकल कालेज वाले आंध्रा प्रदेश हाईकोर्ट गये तो हाईकोर्ट ने स्वत: पिछले वर्ष की फीस में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए आर्डर पास कर दिया। यूपी के अन्य प्राइवेट मेडिकल कालेज भी प्रमुख सचिव द्वारा जारी किए गए फीस फिक्सेशन के विरोध में जाएंगे हाईकोर्ट।

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