दंगल टीवी के अभिनेताओं ने शिक्षक दिवस पर साझा किया अपना अनुभव

 



मुंबईः 5 सितंबर, 2020
हर साल 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उस व्यक्ति के प्रति  कृतज्ञता प्रदर्शित करने के लिए मनाया जाता है जो हमें खुद को बेहतर बनाना सिखाता है। एक व्यक्ति उसके गुरु के बिना बेखबर है। यह सर्वविदित है कि परिस्थितियां जीवन में महत्वपूर्ण सबक प्रदान करती है, इसलिए इस वर्ष दंगल टीवी के अभिनेताओं ने इस महामारी को एक शिक्षक के रूप में देखकर जो सिखा, उसे साझा किया।


ऐ मेरे हमसफर की टीना फिलिप उर्फ विधी शर्मा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि महामारी ने मुझे जीवन में साधारण चीजों का जैसे की खाना, अपने लिए समय निकालना का महत्व सिखाया है। इसके अलावा, अच्छे स्वास्थ्य और मेरे सिर पर छत के लिए आभारी होना। बहुत से लोग किराए का भुगतान करने में असमर्थ होने के कारण मुंबई छोड़ गए, लेकिन मैं आभारी हूं कि मुझे इस संकट के समय में काम करने का अवसर मिला। मैं बहुत धन्य महसूस कर रही हु। इस साल, मुझे लगता है कि महामारी हर किसी की शिक्षक रही है और उसने सभी को जीवन के कुछ न कुछ सबक सिखाए हैं।


ऐ मेरे हमसफर से नमिश तनेजा उर्फ वेद कोठारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मुझे लगा कि इन दिनों हम जिस जीवन को जी रहे हैं वह बहुत तेज गति से चल रहा है और महामारी ने सब कुछ स्थिर कर दिया। हम अपने दैनिक जीवन में बहुत तल्लीन थे कि हम आम तौर पर जीवन को नजर अंदाज कर देते है और हमेशा कार्य समाप्त करने की कोशिश में रहते है। इस चरण ने मुझे धैर्य रखना सिखाया। लॉकडाउन ने मुझे वर्तमान में पूरी तरह से जीवन जीना सिखाया और जीवन को हलके में ना लेना सिखाया जीवन अप्रत्याशित है। इसने मुझे सिखाया कि मैं अपने भविष्य को सुधारने की कोशिश में अपने वर्तमान खराब न करु और अंत में खुशी के साथ जीवन जीना।


ऐ मेरे हमसफर से पूजा सिंह उर्फ दिव्या कोठारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैं एक बहुत ही प्यार करने वाली व्यक्ति हूं और आम तौर पर लोगों के आसपास रहना पसंद करती हूं और लॉकडाउन से पहले मैं भावनात्मक रूप से लोगों पर निर्भर थी। लॉकडाउन ने मुझे अधिक आत्मनिर्भर होना सिखाया। मैंने अपने घर और अपने पालतू कुत्ते की अकेले देखभाल की, जिससे मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ा।


ज्योति की स्नेहा वाग उर्फ ज्योति ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस सभी मानव प्रकार पर बहुत कठोर है। हमने यह भी महसूस किया कि कैसे इस स्थिति ने सब कुछ रोक दिया और सभी चीज थम सी गयी। हालांकि यह कई लोगों के लिए एक कठिन स्थिति है और कई लोगों के लिए यह एक अवरोधक की तरह लग सकता है। महामारी ने मुझे अधिक विनम्रता और दया के साथ हर किसी के साथ बात करना और व्यवहार करना सिखाया है। मैं लोगों के साथ अधिक सौम्य हूं क्योंकि हम कभी नहीं जानते कि दुसरे व्यक्ति  पर क्या गुजर रही है। एक बार के लिए सहानुभूति अधिक महत्वपूर्ण है।


प्यार की लुका चुप्पी के राहुल शर्मा उर्फ सार्थक ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि लाक डॉउन ने मुझे बहुत सारी चीजे सिखाई। मैंने यह सीखा कि खुद के बारे में जानना और दूसरों के साथ साथ खुद के साथ वक्त बिताना कितना जरूरी होता है। इसके कारण मुझे कई सवालों के जवाब मिले कि हम जीवन में बहुत सारी चीजे करते क्यों है। कहते है आत्मज्ञान कि प्राप्ति करलो, पुरी दुनिया कि प्राप्ति हो जाती है। तो बस मैं आत्मज्ञान कि प्राप्ति करने चला। इसके साथ ही मैंने अपना यूट्यूब चैनल खोला और वहा अपने अनेक कलाओ का प्रदर्शन किया। और मुझे इस लाकडाउन ने धीरज रखना और मानसिक रूप से मजूत रहना सिखाया।


ऐ मेरे हमसफर से वैष्णवी मैकडोनल्ड उर्फ सूरजमुखी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इन सभी वर्षों में मैं हमेशा व्यस्त रहने के कारण मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय नहीं गुजार पाती थी। लेकिन इस लॉकडाउन में, मुझे अपने परिवार के साथ और अधिक व्यक्तिगत स्तर पर प्रशंसकों के साथ जुड़ने का मौका मिला। मेरा हृदय कृतज्ञता से भर गया है। प्रत्येक दिन के लिए अब मैं भगवान को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझे जीने के लिए एक और दिन दिया और उन्होंने हमें सुरक्षित और स्वस्थ भी रखा। मैंने महसूस किया है कि स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है। यह वास्तव में आपका असली धन वही है। इस लॉकडाउन में और कुछ भी मायने नहीं रखता। न तो प्रसिद्धि और न ही पैसा। स्वास्थ्य और जिंदगी के सामने यह सब फीके है।


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