प्रत्येक भारतवासी हमारे लोकतंत्र को शक्ति प्रदान करता हैः मुख्यमंत्री


लखनऊ (उ0प्र0)। संविधान दिवस की 70वी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एकदिवसीय विशेष सत्र की शुरूआत विधान सभा के मण्डप में समवेत सदन से हुयी। इसके बाद विधान परिषद के मण्डप मे अधिष्ठाता ओम प्रकाश शर्मा के सभापतित्व में वन्दे मातरम से पृथक सदन की शुरू हुयी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत की जनता देश के लोकतंत्र का आधार है। प्रत्येक नागरिक गणतंत्र का निर्माता होने के साथ-साथ इसका आधार स्तंभ भी है। प्रत्येक भारतवासी हमारे लोकतंत्र को शक्ति प्रदान करता है। अपने दायित्वों का निर्वहन कर उसे शक्तिशाली भी बनाता है। राष्ट्र निर्माण एक महा अभियान है। इसमें प्रत्येक भारतवासी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उत्तर प्रदेश इसमें महत्वपूर्ण योगदान कर सके, इसके लिए हम संकल्पबद्ध हो सकें। एक शक्तिशाली भारत के निर्माण के लिए मूल कर्तव्यों का पालन करने के लिए संकल्पवद्ध हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अद्भुत है कि उत्तर प्रदेश के संयुक्त अधिवेशन में सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक ढंग से आगे बढ़ी। यह बड़ी उपलब्धि है, और यही है बदलता हुआ उत्तर प्रदेश। कभी इन सदनों में लात-घूसे भी चले हैं और आज सबने उस गरिमा और मर्यादा का पालन किया व शांतिपूर्वक तरीके से हर एक सदस्य अपना योगदान किया। मैं सबका हृदय से अभिनन्दन करता हूॅं। 
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्रवासी राष्ट्र निर्माण के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध कर सके। इस उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान को अंगीकार करने के दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 2015 में अम्बेडकर स्मारक के शिलान्यास के समय की थी। इस वर्ष भारत 70वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत के संविधान में जहां एक तरफ व्यापक अधिकार प्रदान किये गये है तो अनुच्छेद 51 में कर्तव्यों के प्रति मार्गदर्शन भी किया गया है। उन्होंने कहा कि देश की एकता-अखंडता के लिए प्रयासरत रहने के साथ-साथ एक भारत, श्रेष्ठ भारत के रूप में विश्व के समक्ष देश को प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसके लिए हमें अपने कर्तव्यों के पालन करने पर भी ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं में चर्चा होनी चाहिए। संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बढ़ेगी तो हमारा मान भी बढ़ेगा। हम इससे जुड़े हैं अगर इसकी विश्वसनीयता गिरती है तो हमारी छवि भी धूमिल होगी। संविधान न्याय, स्वतन्त्रता, समता और ममता में निहित है। देश की संप्रभुता के अनुसार देश के नागरिकों के हित में इसमें संशोधन भी किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमार संविधान देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। सत्तर वर्ष बाद आज मैं प्रधानमंत्री मोदी का अभिनन्दन करता हूं कि उन्होंने धारा 370 को समाप्त किया। इसके साथ ही 35 ए को भी समाप्त किया गया। उन्होंने कहा कि 1950 में लागू हुये इस संविधान में 1952 में धारा 370 को जोड़ा जाने पर बाबा साहब ने उसी समय कहा था कि इस धारा से अराजकता और साम्प्रदायिकता फैलेगी। इसके बाद सरदार पटेल ने कहा कि धारा 370 में कोई दम नहीं है, लेकिन इसे किसी सरकार ने समाप्त नहीं किया। यह काम हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर दिखाया। अब लद्दाख के लोग एक साथ आगे बढ़ रहे हैं और पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है। कश्मार भारत का गणराज्य बन गया है। अब उसमें भारत के सब कानून लागू होंगे। अब एक भारत का सपना साकार हो गया है। 


इसके पूर्व नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि आज संविधान दिवस है। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। सरकार संविधान के अनुरूप कोई काम नहीं कर रही है। सरकार पावर का मिसयूज कर रही है। विधवा पेंशन को बन्द कर दिया है जो इसके कल्याणकारी सरकार होने का विरोध प्रगट करता है। अस्पताल में गरीबों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। सरकार के विकास के सारे दावे हवा-हवाई है। केवल कागजों पर ही सीमित हैं। जबकि धरातल पर कोई काम हो ही नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार में तमाम हत्याएं हो रही हैं जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की है। 
इसके पूर्व 12 बजकर तीस मिनट पर सदन की शुरूआत हुयी। इसके बाद अधिष्ठाता ने कार्य परामर्शदात्री समिति की सिफारिशों को सदन के पटल पर रखा। अधिष्ठाता ने विधान सभा मंे राज्यपाल केे प्रस्तुत हुए अभिभाषण को सदन में प्रतिवेदित किया। इसके बाद सदन के सदस्य डा0 यज्ञदत्त शर्मा  ने संविधान को अंगीकार किये जाने की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर इसकी उद्देशिका में अन्तर्निहित तत्वों एवं संवैधानिक मूल कर्तव्यों तथा संविधान के महान वास्तुकार डा0बी0आर0आम्बेडकर के सिद्धान्तों पर धन्यवाद प्रस्ताव रखा जिसका लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने समर्थन किया। इसी बीच सपा के सदस्य शतरूद्र प्रकाश ने सदन की कार्यसूची में राष्ट्रगान में एक शब्द गलत अंकित होने का मामला उठाते हुए कहा कि जब तक राष्ट्रगान का नम्बर आये तब तक इसे ठीक करा दिया जाये। इसके साथ ही उन्होंने इस सत्र का समय भी एक दिन रखे जाने का मामला व्यवस्था के प्रश्न के तहत उठाया। दोनों पक्षोंके बीच  लगातार बहस होते रहने के बाद जब सदन व्यवस्थित नहीं हुआ तो अधिष्ठाता ने सदन की कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद दोबारा सदन की शुरू होने पर मुख्यमंत्री ने सदन को सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री के सम्बोधन के बाद सदन की कार्यवाही 4बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। 


 


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