ईमानदारी का फल (रोचक कहानी)


ईमानदारी का फल
(कहानी)। एक समय की बात है, दूर देश में कही एक राजा राज्य करता था, एक बार राजा अपनी प्रजा का हाल चाल पूछने गाँव में घूम रहा था घूमते घूमते उसके कुरते का बटन टूट गया, राजा ने अपने मंत्री से कहा, पता करो इस गाँव में कोई ऐसा दर्जी है जो मेरा बटन लगा सकता है। मंत्री ने गाँव में दर्जी तलाश कराया और उनको एक अच्छे दर्जी का पता चला, जिसका नाम सुखीराम था, उसे राजा के पास बुलाया गया, राजा ने दर्जी से कहा तुम मेरा कुरते का बटन लगा सकते हो, सुखीराम ने कहा, जी हुजूर बटन लगाना कोई मुश्किल काम नही है, यह मेरा रोज का काम है, मैं इसको सरलता से लगा सकता हूँ। सुखीराम ने बटन लिया और धागे से राजा के कुरते में बटन लगा दिया, टूटा हुआ बटन राजा के पास ही था इसलिए दर्जी ने सिर्फ अपने धागे का इस्तेमाल किया था। बटन लगने के बाद राजा ने सुखीराम से पूछा कितने पैसे दूँ, सुखीराम ने कहा “ महाराज, रहने दीजिये, राजा ने फिर दर्जी से कहा,” बोलो कितनी मुद्राये दूँ, सुखीराम ने मन ही मन सोचा की 2 रूपये मांग लेता हूँ, लेकिन फिर उसने सोचा राजा कही यह न सोच ले, की यह बटन लगाने के बदले में मुझसे 2 रूपये ले रहा है, तो गाँव वालो से कितने लेता होगा, सुखीराम ने राजा से कहा, “महाराज आपको उचित लगे आप मुझे दे दीजिये। राजा ने अपने मंत्री से कहा, इस दर्जी को दो गाँव देदो (कहा दर्जी राजा से 2रूपये मांग रहा था ओर कहा राजा ने उसे दो गाँव दे दिए) सुखीराम ने खुशी से दोनों गाँव की जागीर कबूल कर ली। इसलिए जो संतोषी होते है और सच्चाई पर रहते है, जिंदगी में खुशियाँ उसके पास ही आती है, वह अपने जीवन में हमेशा सुख से रहते है।


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