एकेटीयूः एआईसीटीई की विभिन्न योजनाओं की जागरूकता के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्रावधिक विश्वविद्यालय में आज कुलपति प्रो पीके मिश्रा की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा विभाग के सहयोग से विद्यार्थियों, शिक्षकों, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, स्टार्टअप, इनोवेशन और इनक्यूबेशन आदि से संबंधित अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 

कार्यशाला में सदस्य सचिव एआईसीटीई प्रो राजीव कुमार, प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा, अमृत अभिजात, सचिव प्राविधिक शिक्षा, आलोक कुमार, विश्वविद्यालय के संबद्ध संस्थानों के निदेशक उपस्थित रहे। कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य हितधारकों को एआईसीटीई की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूक करना और डिप्लोमा और डिग्री स्तर के संस्थानों को विभिन्न योजनाओं में आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करना रहा। 

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मिश्रा ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यशाला की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी। प्रो मिश्रा ने छात्र केंद्रित शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया और कॉलेजों से एआईसीटीई की विभिन्न योजनाओं में भागीदारी के लिए आगे आने का आग्रह किया। 

विद्यार्थियों की एम्प्लोयबिलिटी बढ़ाने की जरुरतः आलोक कुमार 

प्राविधिक शिक्षा सचिव, आलोक कुमार ने उत्तर प्रदेश शासन द्वारा तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में की गई पहलों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एनआईआरएफ में हमारे संस्थान पीछे  हैं, किन्तु हमारे विद्यार्थियों में बहुत क्षमता है। हमें विद्यार्थियों की एम्प्लोयबिलिटी बढ़ाने की जरुरत है। दीन दयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार योजना से लैबो का आधुनिकीकरण किया गया है। शिक्षक भर्ती मार्च के अंत तक हो जाएगा। एनबीए और नैक के मानको के अनुसार और शिक्षकों की आवश्यकता होगी। इन्क्यूबेटर्स स्थापित किये जाने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य हो रहा है। जल्द ही एसआईआरएफ रैंकिंग लागू की जाएगी। एसआईआरएफ में हर संस्थान को अनिवार्य रूप से भाग लेना होगा।

सर्वे के अनुसार लगभग 87 फ़ीसदी शिक्षकों को मॉडर्न प्रशिक्षण की जरुरतः अमृत अभिजात

प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने विभिन्न योजनाओं में संस्थाओं की भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिग्री और डिप्लोमा दोनों स्तर की संस्थाओं को इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि योजनाओं का लाभ लेने में हम पिछड़ जाते हैं। एक सर्वे में पता लगा है कि लगभग 87 फ़ीसदी शिक्षकों को मॉडर्न प्रशिक्षण की जरुरत है। उन्होंने कहा कि प्राविधिक शिक्षा के उन्नयन के लिए प्रदेश शासन हर संभव मदद के लिए प्रतिबद्ध है। 

समग्र शिक्षा विद्यार्थी के समावेशी विकास के लिए आवश्यकः प्रो राजीव कुमार

प्रो राजीव कुमार ने कहा कि विगत में विश्वविद्यालय में हुयी शिक्षक भर्ती से प्रदेश में प्राविधिक शिक्षा में शिक्षकों की कमी की समस्या कम हुयी है। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा विद्यार्थी के समावेशी विकास के लिए आवश्यक है। एनआईआरएफ रैंकिंग के मानकों में समग्र शिक्षा को समाहित किया गया है। शैक्षणिक भ्रमण के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा महत्वपूर्ण आर्किटेक्चर स्थानों हेतु प्रस्ताव मांगे आमंत्रित किये थे। किन्तु उत्तर प्रदेश से एक भी प्रस्ताव नहीं आया। परिषद ने कई महत्वपूर्ण स्थानों की सूची वेबसाइट पर अपलोड की है। संस्थान इसे देखकर विद्यार्थियों को प्रतिभाग करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। मेंटर और मेंटी योजना के अंतर्गत अद्यतन स्थिति तक 1200 कॉलेजों की मेंटरिंग कर चुका है। उन्होंने कहा कि एआईसीटीई द्वारा राज्यवार स्कालरशिप जारी करने की प्रथा शुरू की गयी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को 1500 स्कालरशिप आवंटित की गयी हैं। इनके सापेक्ष 350 के आसपास आवेदन प्राप्त हुए हैं। यह एक प्रासंगिक कार्यशाला है। इस कार्यशाला के माध्यम से केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रति सजगता से कार्य करने के लिए संस्थान प्रेरित होंगे। 

इसके साथ ही साथ एआईसीटीई के चार वक्ताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं पर प्रस्तुति दी। डॉ नीरज सक्सेना ने संस्थागत विकास योजनाओं के बारे में जानकारी दी। डॉ अमित श्रीवास्तव ने छात्रों और संकायों पर योजनाएं प्रस्तुत कीं। डॉ मोहित गंभीर ने नवाचार, ऊष्मायन और स्टार्ट-अप से संबंधित योजनाओं के बारे में चर्चा की। डॉ नीतू भगत ने एआईसीटीई की इंडक्शन और इंटर्नशिप योजनाओं पर चर्चा की। कुलसचिव नंद लाल सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र का संचालन डॉ. अनुज कुमार शर्मा ने किया। इस अवसर पर विशेष सचिव, प्राविधिक शिक्षा, सुनील चौधरी, वित्त अधिकारी जीपी सिंह, परीक्षा नियंत्रक प्रो अनुराग त्रिपाठी, निदेशक सीएएस प्रो एमके दत्ता, निदेशक यूपीआईडी प्रो वीरेंद्र पाठक, निदेशक आईईटी प्रो विनीत कंसल सहित 200 से अधिक डिग्री और डिप्लोमा सेक्टर के संस्थानों के निदेशक एवं प्राचार्य उपस्थित रहे।

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