शिक्षा में समानता लाने के हो रहा है व्यापक प्रयासः योगी आदित्यनाथ

  • शुक्रवार को विधान परिषद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को दिया जवाब

नागरिक सत्ता ब्यूरो, लखनऊ। विधान परिषद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुपूरक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में शिक्षा में समानता लाने के व्यापक प्रयास किये जा रहा है। बेसिक शिक्षा में आज 40 लाख से ज्यादा बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है। हमारी सरकार शिक्षा में किसी के साथ भेद-भाव नहीं कर रहा है। पिछले सात वर्ष में उत्तर प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद में 1,32,000 विद्यालयों में कायाकल्प अभियान के अंतर्गत इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने का प्रयास हुआ है। 

आज विधानपरिषद में डॉ आकाश अग्रवाल के एक प्रश्न का जवाब बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह दे रहे थे तभी आकाश अग्रवाल के पूरक प्रश्न के जवाब पर सदन में मौजूद मुख्यमंत्री ने कमान संभालते हुए कहा कि सभी बच्चों को बैग, किताबें, जूता, मोजा, स्वेटर दिया जा रहा है। यही नहीं फेज वाइज एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को यूपी बोर्ड में भी लागू करने का प्रयास हो रहा है। इसके साथ ही सदन में जातिवार जनगणना का मामला भी गूंजा। सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सरकार को आरक्षण विरोधी बताते हुए सदन से वाक आउट किया।

  • बेसिक शिक्षा परिषद में भी प्राइवेट स्कूलों की तरह मिल रही शिक्षाः मुख्यमंत्री

विधान परिषद में प्रश्न प्रहर के बीच ही साढे ग्यारह बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन में आये। उस समय डा आकाश अग्रवाल के प्रश्न का उत्तर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतन्त्र प्रभार संदीप सिंह दे रहे थे। उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत कुछ विद्यालयों का बकाया है। 31 मार्च तक सभी विद्यालयों के बकाया धनराशि का भुगतान कर दिया जायेगा। 

इसी बीच सदन में मौजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमान संभालते हुए कहा कि आज जब बेसिक शिक्षा परिषद वही पाठ्यक्रम प्रदान कर रहा है तो आवश्यक नहीं कि हम प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को भेजें। मुख्यमंत्री ने बताया कि अप्रैल और जुलाई में स्कूल चलो अभियान चलाया जाता है। प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में 40 लाख नये बच्चों की वृद्धि ये दिखाती है कि सरकार के द्वारा किये गये प्रयासों का परिणाम सामने आ रहा है और आरटीई का उद्देश्य पूरा हो रहा है। वहीं एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा सरकार हर छात्र के अभिभावक के बैंक खाते में बैग, किताब, जूता-मोजा, स्वेटर के लिए अब 1200 रुपए दिये जाते हैं।

  • असत्य एवं त्रुटिपूर्ण सूचना दिये जाने का मामला भी विधानपरिषद में उठा

शून्य प्रहर में शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) द्वारा सदन में असत्य एवं त्रुटिपूर्ण सूचना दिये जाने के संबंध में औचित्य का प्रश्न किया। जिसपर सभापति कुॅवर मानवेन्द्र सिंह ने इस प्रकरण की जांच किन अधिकारियों ने की है, उस रिपोर्ट को इस सत्र के अंतिम दिन या अगले सत्र के प्रथम सप्ताह तक इस सदन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये।

  • विपक्ष ने जातिवार जनगणना कराये जाने का मामला भी विधानपरिषद में उठाया

शून्य प्रहर में समाजवादी पार्टी के लाल बिहारी यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, डा मान सिंह यादव, आशुतोष सिन्हा एवं शाहनवाज खान ने प्रदेश में जातिवार जनगणना कराये जाने का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा समय-समय पर सत्ता और विपक्ष के लोग जातीय जनगणना का मामला उठाते रहे हैं। सरकार को जातीय जनगणना करानी चाहिए। आरक्षण के मामले में इनकी कथनी-करनी में अन्तर है। ओबीसी, एससी-एसटी के साथ न्याय नहीं हो रहा है। लाल बिहारी यादव ने कहा जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी तब संभव होती जब जातीय जनगणना होती। जातिवार जनगणना न होने से सही हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है।

  • जातिवार जनगणना केंद्र का विषय हैः केशव मौर्या

नेता सदन एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा ये मुद्दे की तलाश में भटकते हुए लोग हैं। इनके पास मुद्दों का अभाव है। उन्होंने कहा जातिवार जनगणना की विरोधी ना तो भाजपा है और ना ही केशव मौर्या। यह केन्द्र का विषय है। जब ये सरकार में थे तब इन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया। अब 2047 तक इनके वापसी की कोई संभावना नहीं है। जनता ने इन्हें धूल चटाकर कमल का फूल खिला दिया। इसके बाद सपा और सत्तापक्ष के बीच खूब तीर चले और नोक-झोंक भी हुयी। सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा के सदस्य सरकार पर आरक्षण विरोधी और पिछड़ों का अपमान कराने का आरोप लगाते व नारेबाजी करते हुये सदन से वाक आउट कर गये।

  • मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी एवं पेंशन का मामला भी सदन में उठा

बसपा के भीमराव अम्बेडकर ने उत्तर प्रदेश में मृतक कर्मचारियों के स्थान पर उनके आश्रितों को मृतक आश्रित के रूप में सेवायोजित किये जाने व उनके आश्रितों को पेंशन आदि का भुगतान किये जाने का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। उन्होंने कहा अम्बेडकर ने बरेली की कमलादेवी के पति जमुना प्रसाद की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित में नियुक्ति नही दी मिल रही है। परिवार भटक रहा है। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्या ने कहा मामला संवेदनशील है। डीएम पीलीभीत का तत्काल सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। आख्या आते ही विचार किया जायेगा तथा सदन को भी अवगत कराया जायेगा।  

  • शिक्षा के अधिकार अधिनियम का हो रहे दुरूपयोग की जांच के दिये गये आदेशः संदीप सिंह

निर्दलीय समूह के राजबहादुर सिंह चंदेल एवं डा आकाश अग्रवाल ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के द्वारा निर्धन छात्रों को कक्षा एक से आठ तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था अधिनियम की अनियमितता व अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर हो रहे दुरूपयोग का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। राजबहादुर सिंह चंदेल एवं डा आकाश अग्रवाल ने कहा सरकार की इस सुविधा का खण्ड शिक्षा अधिकारी और बीएसए की मिलीभगत से दुरूपयोग हो रहा है। अभिभावकों के आय प्रमाण पत्र और बच्चों के आधार कार्ड की जांच की जाये। 

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बीएसए आगरा को जांच के आदेश दिये गये हैं। तीन खण्ड शिक्षा अधिकारी जांच करेंगे। यह व्यवस्था गरीब बच्चों के लिए है। पहले इसमें बहुत अनियमितता होती थी लेकिन ऑनलाइन करने के बाद अब पारदर्शी व्यवस्था है। जो डाक्यूमेन्ट बच्चे उपलब्ध करायेंगे उनकी जांच करायेंगे। अधिष्ठाता डा0 जयपाल सिंह ’व्यस्त’ ने कहा खण्ड शिक्षा अधिकारी की जगह कोई एसडीएम अथवा तहसीलदार स्तर के अधिकारी से जांच कराये तो बेहतर होगा।

  • शिक्षकों के साथ हो रहे शोषण का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया

शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने प्रदेश के राज्य अनुदानित मदरसों के कार्यरत शिक्षको एवं कर्मचारियों की प्रचलित नियमावली सम्बन्धी शासनादेश को रद्द करने एवं शिक्षकों के साथ हो रहे शोषण का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मदरसों की बेहतरी, नौजवानों को क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए ईमानदारी से काम किया जा रहा है। मदरसा शिक्षक हमारे परिवार का अहम हिस्सा हैं। हमारी सरकार इनके लिए काम कर रही है। अधिष्ठाता डा जयपाल सिंह ’व्यस्त’ ने निर्देश दिया कि जांच अनावश्यक न हो। 

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