“मानवाधिकार उभरती चुनौतियाँ एवं संस्थागत प्रतिक्रियाएँ" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन

लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग के तत्वाधान में "मानवाधिकार उभरती चुनौतियाँ एवं संस्थागत प्रतिक्रियाएँ" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में कुलपति प्रोफेसर संजय सिंह ने भारत में मानवाधिकारों के बदलते पहलुओं और मान्यता पर चर्चा करते हुए आदिवासियों और उपवर्गीय लोगों की स्थिति पर जोर दिया।

सेमिनार के मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. संजय गुप्ता ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों के आलोक में मानव अधिकारों की यात्रा को साझा किया। सेमिनार में दूसरे वक्ता प्रो. (डॉ.) मनीष सिंह ने मानवाधिकारों के संदर्भ में कॉर्पोरेट जगत द्वारा निभाई गई भूमिका पर विचार किया। उन्होंने बताया कि कैसे कॉरपोरेट जगत ने आम लोगों के मानवाधिकारों के मुद्दे को पहचानना शुरू कर दिया है। इस बात को उजागर करने का प्रयास किया गया कि समाज में मानवाधिकारों के प्रति सम्मान बढ़ाने में हम सभी की भूमिका है।

सेमिनार के संयोजक डॉ. अमन दीप सिंह ने स्वागत भाषण दिया और आधुनिक समय में मानवाधिकारों के महत्व पर प्रकाश डाला। इसमें राज्य भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वानों ने भाग लिया और अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये। सेमिनार में डॉ विकास भाटी, डॉ अपर्णा सिंह, डॉ समरीन हुसैन, डॉ मिताली तिवारी, डॉ मनीष कुमार बाजपेयी, डॉ मलय पांडे, डॉ विपुल विनोद, डॉ शशांक शेखर और डॉ अंकिता यादव मौजूद रहीं।

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