देश की विकास यात्रा में डिमांड, डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डिजायर और ड्रीम (5डी) अत्यंत लाभकारी होगा: राष्ट्रपति

  • आईआईआईटी लखनऊ के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में सम्मिलित होकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छात्रों का बढ़ाया मनोबल 
  • राष्ट्रपति ने संस्थान के विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया

नागरिक सत्ता, लखनऊ। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान लखनऊ (आईआईआईटी) के द्वितीय दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि आज भारत के पास 5डी-डिमांड, डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डिजायर और ड्रीम है। यह 5डी देश की विकास यात्रा में अत्यंत लाभकारी होगा। भारत की अर्थव्यवस्था जो एक दशक पहले 11वें पायदान पर थी, आज विश्व की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा वर्ष 2030 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। देश की 55 प्रतिशत से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है। भारत एक प्रगतिशील और लोकतांत्रिक राष्ट्र है।

समारोह में राष्ट्रपति ने संस्थान के विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। राष्ट्रपति के समक्ष उपाधि प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की शपथ दिलायी गई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समारोह में सम्मिलित हुए। 

  • हम सभी का सपना, वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित देश बने:  राष्ट्रपति 

राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी का सपना है कि वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित देश बने। आप सभी का दायित्व है कि आप न केवल इस विजन के भागीदार बनें बल्कि इसे पूरा करने के लिए अपना सर्वस्व लगा दें। आप सभी को प्रतिज्ञा करनी होगी कि जब भारत अपनी आजादी के 100 साल पूरे कर रहा हो तब आने वाली पीढ़ियां एक ऐसे भारत में जन्म लें जो सम्पन्न हो, समृद्ध हो और जहां समावेशी विकास हो। राष्ट्रपति ने कहा कि संस्थान के ‘लोगो’ में ‘विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्’ श्लोक उल्लेखित है, जिसका अर्थ है कि विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है। इस श्लोक की दूसरी पंक्ति ‘पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम्’ का अर्थ है, पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है, और धर्म से सुख प्राप्त होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्थान के विद्यार्थी संस्थान के आदर्श वाक्य के अनुकूल आचरण करते हुए, नैतिकता के साथ समाज और देश के सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए कार्य करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस और इसके अनुप्रयोगों पर केंद्रित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को नए तकनीकी परिदृश्य की ओर जाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करता है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आईआईआईटी, लखनऊ समाज एवं उद्योग जगत के सामने आने वाली चुनौतियों के निदान एवं समय के साथ उपजी मांगों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह देश का पहला संस्थान है जिसने नई शिक्षा नीति के विजन को ध्यान में रखते हुए डिजिटल बिजनेस के लिए एमबीए प्रोग्राम शुरू किया है। यह पहल विद्यार्थियों को न केवल डिजिटल युग के लिए तैयार करने में सहायक साबित हुई है, बल्कि डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुकूल भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार एआई के प्रति मिशन सेन्ट्रिक एप्रोच के साथ काम कर रही है। भारत सरकार ने वर्ष 2018 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय रणनीति प्रकाशित की थी। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने भी प्रमुख शहरों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तथा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित करने की अपनी योजना शुरू की है। एआई एवं अन्य समकालीन तकनीकी विकास असीमित एवं अभूतपूर्व डेवलपमेन्टल एवं ट्रांसफॉरमेटिव संभावनाएं प्रदान करता है, लेकिन हम सभी को महात्मा गांधी का यह कथन भी याद रखना होगा कि चरित्र के बिना ज्ञान घातक है। यह आवश्यक है कि एआई प्रयोग के साथ उत्पन्न हुई नैतिक दुविधाओं का निराकरण सबसे पहले हो। चाहे ऑटोमेशन के कारण उत्पन्न हुई रोजगार की समस्या हो, या आर्थिक असमानता की चौड़ी होती खाई हो या फिर एआई के परिणामों में आने वाला मानवीय पूर्वाग्रह, हर समस्या के लिए रचनात्मक हल ढूढ़ने होंगे। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ इमोशनल इंटेलीजेंस को भी महत्व दें। यह याद रखना होगा कि एआई साध्य नहीं बल्कि एक साधन हो जिसका उद्देश्य मानव जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना हो। प्रत्येक निर्णय से सबसे निचले पायदान पर खड़ा व्यक्ति लाभान्वित हो। इसके लिए जरूरी है कि महात्मा गांधी के ‘रिकॉल द फेस ऑफ द पुअरेस्ट’ मंत्र को अपने जीवन का मूल मंत्र बनायें।

  • समग्र शिक्षा न केवल तकनीकी कौशल बल्कि आजीवन सफलता के लिए आवश्यक रचनात्मकता को पोषित करने की कुंजी: आनंदीबेन पटेल

समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज का दिन न केवल उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बल्कि उनके अभिभावकों, संस्थान के सभी शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। संस्थान के छात्र-छात्राओं से न केवल अभिभावकों और संस्थान की, बल्कि देश के करोड़ों नागरिकों की आकांक्षाएं जुड़ी हुई हैं। राज्यपाल ने कहा कि तेजी से तकनीकी विकास और गतिशील कार्यस्थल परिदृश्य द्वारा परिभाषित उद्योग के इस युग में समग्र शिक्षा के महत्व को कमतर नहीं आंका जा सकता। शैक्षणिक ज्ञान, समग्र दृष्टिकोण, महत्वपूर्ण शोध, सोच, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और प्रभावी संचार कौशल के विकास के साथ नवाचार को बढ़ावा देने तथा वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है। समग्र शिक्षा न केवल तकनीकी कौशल बल्कि आजीवन सफलता के लिए आवश्यक रचनात्मकता को पोषित करने की कुंजी है।

  • आईआईआईटी लखनऊ समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्य कर रहा है : राज्यपाल

शिक्षा के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाते हुए भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रतिबद्धता पूर्वक कार्य कर रहा है। संस्थान का बहुविषयक पाठ्यक्रम प्रौद्योगिकी और प्रबंधन का सहज मिश्रण है, जो छात्र छात्रों को गतिशील और रोजगार प्राप्ति में सक्षम बनाता है। संस्थान के छात्र-छात्राओं का प्रभावशाली प्लेसमेंट प्रदान की गई शिक्षा की गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है। 

देश के युवाओं को प्रेरित करने और नई दिशा देने के लिए उप्र की राजधानी में राष्ट्रपति का आगमन प्रेरणा का स्रोत: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईआईआईटी के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को बधाई देते हुए कहा कि हमारा देश दुनिया में एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम नए भारत का दर्शन कर रहे हैं। भारत ने विगत 09-10 वर्षों में अपने युवाओं के लिए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सम्भावनाओं के अनेक द्वार खोले हैं। देश के युवाओं को प्रेरित करने और नई दिशा देने के लिए उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राष्ट्रपति का आगमन प्रेरणा का स्रोत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दीक्षान्त उपदेश भारत की प्राचीन परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। तैत्तिरीय उपनिषद के अनुसार प्राचीन गुरुकुलों में आयोजित होने वाले समावर्तन समारोह में ‘सत्यं वद, धर्मं चर’ का उल्लेख होता था। अर्थात अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सत्य का आचरण करना। धर्म का मतलब केवल उपासना विधि से नहीं है, बल्कि धर्म अपने कर्तव्य तथा नैतिक मूल्यों के प्रति हमें जागरूक करता है।

  • मुख्यमंत्री ने ‘नए भारत के नए उत्तर प्रदेश’ में प्रदेश की सम्भावनाओं के साथ कार्य करने के लिए युवाओं को आमंत्रित किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी पर केन्द्रित आईआईआईटी लखनऊ जैसे संस्थानों के छात्र इस दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी छात्र अपनी प्रतिभा, ऊर्जा, ज्ञान तथा कौशल का उपयोग देश और प्रदेश के विकास में करेंगे तथा आईआईआईटी लखनऊ के गौरव को बढ़ाएंगे। मुख्यमंत्री ने ‘नए भारत के नए उत्तर प्रदेश’ में प्रदेश की सम्भावनाओं के साथ कार्य करने के लिए युवाओं को आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी और डिजिटाइजेशन ने ईज़ ऑफ लिविंग के लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी मदद की है। ग्रामीण क्षेत्रों मे टेक्नोलॉजी का उपयोग करके लोगों के जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटल हॉस्पिटल तथा सबको सुरक्षा प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस का उपयोग कर हम इस दिशा में बेहतर कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कार्य किए हैं, जिसमें हमें व्यापक सफलता मिली है।

इस अवसर पर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन विशद पद्मनाभ मफतलाल, निदेशक डॉ अरुण मोहन शेरी सहित गणमान्य व्यक्ति तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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