राष्ट्रीय पोषण माह और अक्षयपात्र

लेखक: अशोक मिश्र (वरिष्ठ पत्रकार)

पोषण अभियान के अंतर्गत हर साल सितंबर के महीने में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जाता है। अक्षयपात्र फाउंडेशन इस अभियान को सफल बनाने के लिए केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है। देश के 15 राज्यों व कुछ केंद्र शासित प्रदेश में अक्षयपात्र 67 किचन के माध्यम से लगभग 22 लाख स्कूली बच्चों को दोपहर का गरमा गरम पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा रहा है।

उत्तर प्रदेश में अक्षय पात्र फाउंडेशन का किचन मथुरा, लखनऊ, वाराणसी व गोरखपुर में काम कर रहा है। लखनऊ में जहां 1472 स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को भोजन दिया जा रहा है वहीं मथुरा में भी दो हजार स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वाराणसी में अक्षय पात्र किचन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से 7 जुलाई 2022 में हुआ था। यहां भी करीब पचास हजार से बच्चों को दोपहर का गरमा गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी। 

गोरखपुर में करीब डेढ़ सौ स्कूलों के 25-30 हजार बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। लखनऊ, मथुरा व वाराणसी की तरह गोरखपुर में भी अत्याधुनिक बड़ा किचन बनाया जा रहा है। इस किचन के बनने के बाद यहां भी करीब डेढ़ से दो लाख बच्चों को भोजन दिया जा सकेगा। कानपुर, आगरा, गौतम बुद्ध नगर व मोदीनगर सहित उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य बड़े जिलों में भी अक्षय पात्र किचन खुलना प्रस्तावित है। गैर-लाभकारी इस फाउंडेशन का मुख्यालय बेंगलुरु में है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना व उत्तर प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यो में इसका किचन स्थापित है। अक्षयपात्र का उद्देश्य कुपोषण का मुकाबला करना है। इसका ध्यान इस बात पर रहता है कि भारत में कोई भी बच्चा भूख के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। अक्षयपात्र फाउंडेशन वर्ष 2000 में मात्र 15 सौ बच्चों से यह सेवा शुरू किया था जो आज 22लाख से अधिक हो गया है।

अक्षयपात्र के उपाध्यक्ष चंचलापति दास के अनुसार कलकत्ता के निकट गाँव मायापुर में एक दिन खिड़की से बाहर एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने देखा कि बच्चों का एक समूह भोजन को लेकर आवारा कुत्तों से लड़ रहें है। इस हृदय विदारक घटना से यह संकल्प लिया गया कि दस मील के दायरे में कोई भी बच्चा भूखा नहीं रहेगा। एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के प्रेरक संकल्प ने अक्षयपात्र फाउंडेशन के बीज बोए। वर्तमान में भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ-साथ परोपकारी दान दाताओं के साथ साझेदारी में यह संगठन दुनिया का सबसे बड़ा मध्याह्न भोजन कार्यक्रम चला रहा है। अक्षयपात्र फाउंडेशन द्वारा प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक बच्चों को दिए जा रहे भोजन में क्रमशः न्यूनतम 450 और 700 कैलोरी रहता है। चलाने की लगभग 60 प्रतिशत लागत सरकार से आती है व 40 प्रतिशत दान दाताओं द्वारा प्राप्त किया जाता है। अक्षयपात्र का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 3 मिलियन बच्चों को दोपहर का गरमा गरम पौष्टिक भोजन देने का है। 

चंचलापति दासजी बताते हैं कि कई बच्चे जो स्कूल में नामांकित हैं, लेकिन स्कूल नहीं आ रहे थे, अब स्कूल आने लगे हैं। उपस्थिति बढ़ गई है। इस संस्था को इस कार्य के लिए अनेकों पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उन्होंने बताया कि अक्षयपत्र का नामकारण तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने किया। 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कुपोषण को राज्य से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। पूरे प्रदेश में जून में चले संभव अभियान में चिंहित किए गए ढाई लाख कुपोषित बच्चों का उपचार किया जा रहा है, जिससे इनकी भी कद काठी सामान्य बच्चों की तरह बढ़ सके। अगले माह इन सभी बच्चों की प्रोग्रेस रिपोर्ट आंकी जाएगी। 

शासन की ओर से वर्ष 2021 से हर साल कुपोषित बच्चों को खोजने के लिए संभव अभियान चलाया जा रहा है। पिछले दो वर्षों से आयोजित हो रहे संभव अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। ई-कवच से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस साल शून्य से पांच साल के दो लाख 48 हजार 728 अति गंभीर कुपोषित (सैम) बच्चों को चिन्हित किया गया है। इन बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद उनकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार टीकाकरण, आयरन, फालिक एसिड, मल्टी विटामिन, कैल्शियम दिया जा रहा है। 

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हर 15 दिनों पर इन चिन्हित बच्चों के घर जाकर इनका स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं कि इनका वजन बढ़ रहा है कि नहीं। जरूरत के अनुसार अभी तक 16645 बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र (एन‌आरसी) रेफर किया गया है। 63148 और बच्चों को एनआरसी रेफर किया जाना है। 

एक सितंबर से राष्ट्रीय पोषण माह शुरू हो चुका है। इस दौरान इन चिन्हित बच्चों की जांच की जाएगी कि इनमें कितने बच्चे स्वस्थ हुए। अक्टूबर में पूरे अभियान का मूल्यांकन किया जाएगा। दिसंबर में बच्चों का फिर से वजन लिया जाएगा और यह देखा जाएगा कि बच्चों के पोषण की स्थिति में कोई परिवर्तन हुआ है कि नहीं। 

संभव अभियान में मुरादाबाद मंडल की परफार्मेंस प्रदेश में बेस्ट रही है। बिजनौर प्रथम, उन्नाव दूसरे, मुरादाबाद तीसरे, वाराणसी चौथे और जौनपुर पांचवें बेहतरीन जनपद के रूप में उभरा है। गाजियाबाद छठे, श्रावस्ती सातवें, रामपुर आठवें, अमरोहा नवें और चंदौली 10वें स्थान पर रहा। जिलों की रैकिंग सात मानकों के आधार पर की गई है। यदि बच्चे का वजन और उसकी लंबाई एक निश्चित अनुपात में नहीं है तो उस बच्चे को कुपोषित माना जाता है। इसके साथ ही यदि छह माह तक के बच्चे के दोनों पैरों में सूजन है तो वह भी कुपोषित की श्रेणी में आएगा।  

योगी सरकार ने प्रदेश की बाल विकास परियोजनाओं के तहत संचालित आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत पोषाहार वितरण को और सुदृढ़ तथा पारदर्शी बनाने के लिए बायोमैट्रिक्स प्रणाली लागू किए का निर्णय लिया है। इसके तहत ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के लिए उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीडेस्को) को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है। ई-पॉस मशीनों की स्थापना के लिए टेंडर के साथ ही ई-टेंडरिंग के माध्यम से रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) तैयार करने की जिम्मेदारी यूपीडेस्को की होगी। 

 हाल ही में योगी कैबिनेट ने ई-पॉस मशीनों के माध्यम से अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत पोषाहार वितरण की व्यवस्था को मंजूरी दी है। इसके माध्यम से लाभार्थी के हिस्से का पोषाहार कोई दूसरा नहीं ले सकेगा। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा प्रदेश की बाल विकास परियोजनाओं के तहत संचालित आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों (अति कुपोषित सहित), गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा 14 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं (केवल आकांक्षात्मक जनपदों में) को पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है। 

ई-पॉस मशीन की बिड प्रक्रिया में मल्टीपल कंपोनेंटट सम्मिलित होने के कारण इसे उत्तर प्रदेश शासन के ई-प्रोक्योरमेन्ट पोर्टल https://etender.up.nic.in के माध्यम से किए जाने के प्रबंध किए गए हैं। निदेशक, यूपीडेस्को की अध्यक्षता में क्रय समिति का गठन किया जाएगा। समिति में प्रशासकीय विभाग के सदस्य के रूप में संयुक्त निदेशक, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार सदस्य के रूप में सम्मिलित होंगे। इसके अतिरिक्त आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा समिति में जरूरत के अनुसार अन्य विभागीय अधिकारियों एवं वित्त विभाग के प्रतिनिधि को सदस्य नामित किया जाएगा। चयनित होने वाली सिस्टम इंटीग्रेटर संस्थाओं को ई-पॉस मशीन सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन, आइरिश आइडेंटिफिकेशन, फील्ड लेबल मैनपावर, तकनीकी मैनपावर, मोबाइल सिम उपलब्ध कराने होंगे। साथ ही इन सभी का 03 वर्षो तक रख-रखाव भी करना होगा। यह परियोजना सिस्टम इंटीग्रेटर आधारित बीओओ (बिल्ड, ओन, ऑपरेट) मॉडल पर संचालित की जाएगी। ई-पॉस मशीन की बिड प्रक्रिया में विभिन्न कंपोनेंट (हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर आदि) सम्मिलित होंगे, जिसमें एक से अधिक सिस्टम इंटीग्रेटर्स का भी चयन संभावित है। 

14 से 18 वर्ष आयु की किशोरी बालिकाएं तथा गर्भवती एवं धात्री महिलाएं स्वयं बायोमैट्रिक ऑथेंटिफिकेशन हेतु सक्षम हैं, इसलिए उनके द्वारा आधार बेस्ड सत्यापन करते हुए पोषाहार प्राप्त किया जाएगा। 06 माह से 06 वर्ष के बच्चों के स्वयं के द्वारा पोषाहार न प्राप्त करते हुए उनके अभिभावकों द्वारा ही व्यवहारिक रूप से पोषाहार प्राप्त किया जाता है। ऐसे में व्यवहारिक दृष्टिकोण रखते हुए उन बच्चों के माता या पिता के आधार बेस्ड बायोमैट्रिक ऑथेंटिफिकेशन की व्यवस्था स्थापित की जाएगी। इस संबंध में आदेश जारी होने के बाद विस्तृत दिशा-निर्देश निदेशक, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार द्वारा यूपीडेस्को को एक सप्ताह में उपलब्ध कराया जाएगा।

ई-पॉस मशीनों की स्थापना और संचालन में क्वालिटी वर्क और अनुभव को देखते हुए यूपीडेस्को को यह जिम्मेदारी दी गई है। यूपीडेस्को द्वारा प्रदेश में खाद्य एवं रसद विभाग के अंतर्गत एफपीएस आटोमेशन के लिए आरएफपी तैयार कराने, बिड कराने एवं प्रणाली की मॉनीटरिंग व बिलिंग का कार्य कार्यदायी संस्था के रूप में  किया जा रहा है। इसी मॉडल के अनुसार ई-पॉस मशीनों की व्यवस्था के संबंध में यूपीडेस्को के माध्यम से सिस्टम इंटीग्रेटर संस्थाओं से अनुबंध किए गए हैं। यही नहीं, खाद्य एवं रसद विभाग में ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के लिए नवीनतम तकनीकों के प्रयोग (आइरिश आइडेंटिफिकेशन, जीपीएस लोकेशन ट्रैकर, फेस आइडेंटिफिकेशन रीडर आदि) को सम्मिलित करते हुए आरएफपी तैयार कराने का कार्य भी यूपीडेस्को द्वारा किया गया है।

उत्तर प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था को देश में नंबर एक बनाने को लेकर योगी सरकार ने बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है। नीति आयोग द्वारा जारी स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (एसईक्यूआई) और परफॉर्मेंस ग्रेड इंडेक्स (पीजीआई) में प्रदेश को प्रथम स्थान पर लाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देशित किया है। उत्तर प्रदेश में कुल 1.41 लाख परिषदीय व माध्यमिक विद्यालय हैं, जिनमें तकरीबन 2.37 करोड़ विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। योगी सरकार की ओर से इस वित्तीय वर्ष में 83 हजार करोड़ रुपए शिक्षा पर खर्च किये जा रहे हैं।

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